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शरीरना उपर जे वस्त्र परिधान करे छे ए तो शरीरनुं प्रदर्शन करवा माटे के रक्षा ? वस्त्रो शरीरना रक्षण माटे छे के प्रदर्शन माटे ? बोलो ! एक श्रोता : रक्षण माटे "
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तेने बदले शरीरनुं प्रदर्शन ! वा वाय छे एवा ज प्रकारनो. बच्चांओने आजे कंइ खबर ज नथी. जेवा मातापिता संस्कार आपे तेवा ग्रहण करे छे. एमने खबर पण नथी होती एवं पण बने छे. पण थाय छे शरीरनुं प्रदर्शन. " हुं केवो रूपाळो छु ! केवो सारो देखाउं छं ! " आ रीते बीजाओनुं आकर्षण पोता भणी थाय एवी टापटीप थाय छे. ते मोहनुं साम्राज्य के बीजुं कंइ ? ज्यां जुओ त्यां गरीब वर्ग पण ए ज स्थितिमां छे. आजे तो एने ज पोषण मळी रधुं छे. सिनेमा पद्धतिए विलासितानी खूब, एटली बोलबाला करी छे ! एटलो विकास करी नांख्यो छे विलासितानो के एवं कदी सांभळ्युं ज न हतुं, जोयुं तो नहोतुं, सांभळ्युं पण न हतुं ! आ स्थिति छे. तेवी नगरीमां रहीने अमोह स्थिति करवी ए कोइ नानीसूनी वात नथी. ते माटे स्वरुप जागृत रहेवुं. सतत ... आत्मा भूलाय नहीं लेतां के देतां, खातां के पीतां, चालता, ऊठता, बेसता, दरेक क्रिया करतां आत्मा भूलाय नहीं. एनुं नाम स्वरुप - जागृति. चार अवस्थाओमां आ जाग्रत दशा. अने पछी माहें अजवाळु थइ जाय, देहनुं भान पण भूलाइ जाय त्यां उजागर चोथी अवस्था "" उज्जागर ! निद्रा अने खप्नदशामां पड्यो छे. आ जीव अनादि स्वप्नदशामां छे. अने स्वप्नदशामां जे कंइ देखाय
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