Book Title: Niti Shatak Satik
Author(s): Bhartuhari
Publisher: 

View full book text
Previous | Next

Page 21
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir भदै कथनेनभंगनांभाभवनाविलानान्यपरान्यक्षराणियस्मिन्नास्येतत्कियाविशेषणेगाकोप|| || श. नस्वीजन: धीर: वदेन देहीनिकः कथपेत् पजाठरानलेनदग्ध स्यजठरस्यार्थे स्वोदरपूरणायो त्यर्थ: अनआकारमश्लेषः कार्योन्यथार्थमंशः स्यान् 8 सीयानां मरणं दृष्ट्वायत्का यानाभगायेनगद्गद्गल युपाहिलीनासरंकीदेहानिदेवदग्ध जठरस्यार्थमनस्वीजनः निरत्ताभोगेच्छापुरुषबहुमानोविगालनः समानाः स्वयानाः सपादसहदाजावितसमाः मानियन पपान भरसागर पारायकृष्णचंद्रंसराजेन् / परणभयशनिंपुरुषदूषयनि निरत्तेनि भोगेच्छा यथासीनथेरानींनास्त्यनोदेहेंद्रियबैकस्माननिरत्तासीणा पुरूपेठमध्येयोबहुमानःसत्कार For Private and Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116