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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir AASARA AASHRISTIATESTRATIM E S अथभर्तृहरिकतनीतिशतक सटीक प्रारंभोयम्॥ For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandie भनी श्रीगणेशायनमः॥ विनेशविमहरिंगणराजनमाम्यहम् शारदांवरदां नोमिजाड्यापनुत्नये तया 1 श्रीगोपालंनमस्कृत्यनत्वागुरुपरंपराम् भर्तहरिणाकतोग्रंथस्तस्य व्यारन्यांकरोम्यहम 2 दिगिति दशदिशास तथाभूतभविष्यवर्तमानत्रिकालेषुचअनवच्छिन्नः अतएव अनंत: अंतोनास्तिचिन्मात्रमेव ज्ञानमूर्ति स्वरुपयस्यतथास्वानुभूतिः स्वस्यअनुभवः सएकसारांशो दिक्कालाधनवच्छिन्नानंतचिन्मात्रमूर्तये स्वानुभूत्येकसारायनमः शांता यतजस 1 यस्यएतादृशंशांतंयत्नेजः ब्रह्मरूपंतस्पेनमः यथादोग्रंथमध्येग्रंथांतेम|गल माचरणीयमितिशिष्टाचारोस्ति अतोयंथक मंगलं नमनात्मकंकृतं प्रयोजनमनुहिश्यन ||" मंदोपिप्रवर्ततेएनीति-वर्ततेतर्हिकेन कारणेनग्रंथः सनसत्कारणंयेनवैराग्योत्पत्तिस्तल्लिरपति' For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir धिग्योगेहितीयाभवति अत्तोदितीयाविभक्तिरुक्ता राज्ञाविक्रमशकेनस्थलब्धफलंकस्मेनिद्रा ह्मणायदत्तं तस्यफलस्यमहिमायेनभक्षितंसअमरोभवतिमरणंनास्ति तकलं ब्राह्मणेनमन ||सिविचार्यबहूनांपालकोराजाभर्तृहरिस्तस्मैदत्तंतेनभर्तृहरिणास्वपत्नी प्रियतमातस्पेदत्तया. पिकश्चनजारस्तस्मैदत्तं जारेणापिस्वस्यप्रियाकाचपुंश्वलीतस्येदत्तत्फलं एकस्मिनदिने यांचिंतयामिसततंमयिसाविरक्तासाप्यन्यमिच्छनिजनंसजनो न्यसक्तः पुनलीसमीपेराज्ञादृष्टंपश्चातशोधः कनः तावत्पूर्वापरंज्ञात्वापश्चाईराग्येणनिति अहंयांत पियंतियामिप्राणादधिकांसापिविरक्ता सास्त्रीअन्यजारप्रियतमंइति सोपिअन्यांपुंश्च लीमियत्वेनेच्छनि एवंमदर्थेपिकाचनरुत्रीमयासहसंगो पवितव्यमितिमनसिसंतुष्टिमानयि || For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir पनि एवंनकश्रित्कस्यचिप्रियः अतोनिंदति साचलीनाधिकसजारः तंधिक इयंमदीयास्त्र श इमाचधिकअहमपिएतादृशोमूर्यः मांचधिक इदंसर्वमदनरुतंजानमनोमदनचधिक 2 ए . वंज्ञानेसनिस्वस्मिन्मूर्नत्वं ज्ञातमनोमूरलक्षणानिवदति अज्ञेनि यः केवलनजानानिसा अस्मत्ततेचपरितुष्यतिकाचिदन्याधिक्तांच्नंचमदनंच इमांच मांच 2 अ ज्ञः सरपमाराध्यःसरवतरमाराध्यतेविशेषज्ञः जामः सत्तशिष्टेनयूक्तायुक्तमुक्तंतच्छृणोनि तथैवकरोति अनःसरवेन आराधितुंवशीकर्तुशम्यः यस्त विशेष युक्तायुक्तंजानातिसर्विशेषज्ञः कदाचित्प्रमादादयुक्तेकर्मणिप्रवनःसन अपरेणनिवारितश्रे॥ 2 त शृणोतिसचअत्यंतेवशीकर्तुशम्यः अधुनाउभयोर्विलक्षण: अज्ञोन भवतिपूर्णज्ञातापिन For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandie पिनभवनिशानेपरेशोगाम्मिचहुश्रुननयास्यास्पन्नडिनंमन्यनयापरस्यवचनंनभृणोनि किचित् ज्ञानलनदुर्मिदग्यो गर्विष्ठसंवशीकर्नेबलापिनशक्तः इतरेषांकापारी 1 प्रसोनि अधुनामूः सन्मतिनिधिष्पचित्तमस्यचित्तमाराधिनशक्यं आराधनाभावेष्टांदेनवनि ज्ञानलबदिग्धंबह्मापिननरंनरंजयान 2 सयमाणमुहरेन्मकरय कदष्ट्राकुरासमुद्रमपिसनरमचल दूमिमालाकुलम् मोगामया विशेषतस्यवदंष्ट्रांकरस्पास्मन्माणिः समाणिः प्रसावलात्कारेणानिष्कासितुंशयः भ चेत्मकरवच्छेमणेरभावएपमोपिकालेनभायो भविष्याति तथाच पचलंतानांऊर्माणोलह रीणांमालाः समुरायास्सैराकुलंसमुद्रमपिबाहुभ्यामनरेन् नयाच कोपिनंभुजंगशिरमि For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir भानी | पुष्पवदारयेत् एनेअपरिनारशंनाः कालेन भविष्यनि परंतु पानिनिविष्टआविष्टविनः || || श. सन्यानिचिन्मसिधृतनत्यजनिकस्यापिवचनंनभृणोनि तस्य मूर्खस्यचित्तमाराधिनुनश स्यंज्ञानापिआविष्टचित्तःसन्यतिचित्करोनिस्वहिननजानानिसोपिसूक्रेनः पानिरेच यथारा भुजंगमपिफोपिनंशिरसिपुष्णवहारयेन्ननुपनिनिलिष्टमूरजनानिनमारा येत् 4 लभेचसिकनासलपपियननःपॉडयनपिचेच मंगवृष्णिकासस लिलंपिपासादिनः वणर्योधनादयः 4 लफोरिनि सिकनास वालुकाम तैलंयलतः प्रयासेनपीडयन्सन्कदानिलभेन् नथाच तृषार्गः सन् मृगताणकास सलिलं || || 5 || कदाचिन पिचेन काचित्पृथीपर्यटनसन शशस्यविषाणंशृंगंगाप्नुयान् एवमपठिनघय For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir चनिशास्येप्रवेशोनास्तिबहुश्रुततयास्वस्मिन्यंडितंमन्यतयापरस्य वचननशृणोति किंचितज्ञा नलवेनदुर्विदग्धोगविधतेवशीकर्तुंब्रह्मापिनशक्तः इतरेषांकावार्ता 3 प्रसत्यति अधुना मूर्वः सन्प्रतिनिविष्टचित्तस्तस्यचित्तमाराधितुंनशम्यं आराधनाभावेदृष्टांतेन वदनि म ज्ञानलवदुर्विदग्धंब्रह्मापितंरंनरंजयति 3 प्रसद्यमणिमुद्दरेन्मकर वकदंष्ट्राकुरासमुद्रमपिसचरेत्मचलदूमिमालाकुलम् करोनापनषविशेषस्तस्यवोदंष्ट्रांकुरस्तस्मिन्पणिःसमणिः प्रसत्यबलात्कारेणनिष्कासितुंशस्यः भवेत मकरवकेमणेरभावएसोपिकालेनभावोभविष्यति तथाच प्रचलंतीनांऊर्माणां लहरीणां मालाः समुदायास्तैराकुलंसमुद्रमपिबाहुभ्यांसंतरेत् तथाच कोपितंभुजंगंशिरसिपु || For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir भनी पवहारयेत् एतेअपरिता दृष्टांताः कालेनमाविष्यतिपरंतु प्रनिनिविष्ट आविरचित्तःस नयक्तिचितमनसितंनत्यजति कस्यापिवचनंनभृणोति तस्य मूरवस्यचित्तुमाराधितुंन| शक्यंज्ञानापिआविष्टचित्तःसन्यत्किंचित्करोतिस्वहितंनजानातिसोपिमूरर्वोतःपातिरेवया भुजंगमपिकोपितंशिरसिपुष्पवदारयेन्नतुप्रतिनिविष्टमूरर्वजनपित्तमारा धयेत् 4 लभेचसिकतासतेलमपियत्नतःपीडयपिबेञ्चमृगणिकासु सलिलंपिपासादितः थारावणदुर्योधनादयः 4 लमेदिति सिकतासवालुकासुनै लंयत्नतः प्रयासेनपीडयन् सन् कदाचिलभेत् तथाच पातःसनमृगाष्णिकाससलिलक दाचित्पिबेत् कदाचित् पृथ्वी पर्यटन्सनशशस्यविषाणंशंगं प्राप्नुयात् एवमपरितघरनं For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir नभविष्यनिपरनुपनिनिविष्टपूर्वजनस्यचिन आराधयेत् 5 व्यालपिनि व्यालंसपंचाल / मृणालतंतुभिः कोमलकमलनुभिः रोडुमवरोडुंयथावांछति तथाचयजमणी शिराप पुष्पाग्रणमाछद्राकर्नुसन्नदोभवनिययाचसारसमुद्रस्यमधुपिंदुनामाधुर्यकर्जुईहनेचेग्ने कदाचिदपिपर्यटनशशविषाणमासादयेतूननुपानिनिपिष्टमूर्सजनपिनमा राधयेत् 5 व्यालंगालमृणालनंनाभरसोरोडंसमुन् भनेछेनुंचनमणीनाश रीषकुसुमपानेनसन्नयने माधुर्येमधुचिंदुनारचयिनुसाराचुधेरीहतेनेवां उनियापलाम्पथिसनासूतः सधास्यादरामः६ एयथाअपरिनानिक पिच्छति // नथारखलासनामार्गेर्नतुममृनतुल्यैः सूभिर्याछनिदुरासन्मार्गेपयितुंनशक्य इत्यर्थः For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir भन्नी स्वायत्तमेनि अपंडितानांमूर्खाणामज्ञनयापौरय॑स्यछादनमाच्छादनमौंविधावाबाह्मणा निर्मित कथनमानं स्वायत्तस्वाधीनं पुनः कथंभूतं एकानगुणंरहस्य नदेवमीसपिदाम ज्ञानिनांसपाजेसभायांभूषणविशेषनो भनान 7 यदेरि यदायाम्पिकाले किरिश्मोहमपिकि स्वायत्तमेकांतगुणविधानाधिनिर्मितंछादनमजतायाः विशेषतासपिदांसया जाविभूषणमौनमपंडितानाम् 7 यदाकिनिरज्ञोऽहंदिपइयमदांध समभन्नदा सर्वज्ञो स्मीत्यावरलिप्तमममनः विजानामानिहिपइबकरीचमदांधः समभवं जानोस्पियदानास्पन्काले अहंसर्वज्ञइनियममनोअपलिमंगानमभवन नदुपरियदाबुधजनस्यपंडिनस्पसकाशादन गर्न पाउनेश्यः किंचिििनरज्ञानंनदा अहंमूझेस्मीनिजानंपू For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir वयोमदः अभवत्सीपिचरइयममव्यपगनः 8 रुमीनि कद्रोजनः पार्श्वस्थमपिसरप निक्लिोम्यहि इनिनिश्चयेननशंफनेनगणयनिनियकर्म करोत्येचयथाश्चानरस्यवस्थितमि यदाकिंचितिपिदुधजनसकाशारगननामूर्योऽस्मानिचरचमदोमेव्यपग नः कपिकुलचिननालाकिन्नविगार्ह जुगुप्सिननिरुपमरसंपत्यारवादन्नरा स्थिनिरामिषम्फरपनिमपिपार्थस्थाबलोक्यनशंकनेनहिगणयनिक्षद्रोज तुःपारयहफल्गुनाम् 9 कलैर्युतंलालयालालितविगनिमपवित्रंजगुप्सिन यं निरुपमरसंनिरापिपं मांसरहिन एतादृशमपिपीत्यारवादनल ज्जने नदन् कद्रोनानी जंनुः परियहस्यफल्गुनानिःसारनांनगणयनिनल जने 9 5 7 For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir भना। विष्णुपारोदकमारौशाशोंमहादेवस्सस्येदंशाशिरः नन्मनिस्वर्गासनानि शिरसः महीषण भर वनयहीधादुत्तुंगान पर्वनमस्तकान् भवनि पृथ्वी अपनेनापिजलनिधि ससुदंएवं जलमधोपापा रस्थानंगामसाइयंगंगासोकंसद्रपदंशनपुरसैः सागरंपामा एवंविवेकशनांअरियेफिनो शिरशार्चस्वर्गायननिशिरसत्तिनिधरमहीपादुनुंगादयनिमयनेप्राषिनल धिम् अयोगंगासेयंपदमुपगताम्लोकमथवाविवेकानां भवनि चिनिषानः शन मुखः 10 शक्योचारयितुंजलेनहुतभुकछत्रेणसूर्यानपोनायेंद्रोमिशिनने शेनसमदाडेनगोगर्दभी शतपसंअधः पननंगंगाजलयभवत्तीत्यर्थः 10 शक्यइनिजलेनहुनभुभग्निः पारपितृशम्यः उत्रेण सूर्यानपः उष्णचारयितुं नागेंद्रोह For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsur Gyanmandir नांसवरूपः स्वर्गवासः फलश्रुतमेनकरनेणापिपास्वायजनकत्तमाह विपाक इनि पुण्यानामाथि कर्मणांविपाकः फलंमेममाविमृशनापिनार्यनोभयंजनयति ननकारणमा ह महाद्भिः पुण्योधैः पुण्यसम्हैः चिरकालेनपरिग्रहीनाः सम्यग्धनाविषयामहांनोपि महादिपुण्योपैघिरपरिग्रहीताञ्चाविषयामहांनोजायनेन्यसमियदान विषयिणाम् 2 उत्याननिधिशंकयाक्षिनिनलंध्यानागिरेनगोनिस्तीर्णः सारतापाननृपनायलनसनाापनाः स्वरुपनः फलदाननोविषयिणांरागिणां व्यसनंदुःखमेवजनयितुमत्यादयितुंजायंने उत्पयंतेहानिशाणेपुण्ये मर्त्यलोके रिशंनी निभा गवदचनाच 3 निरयनेदसधांधातगिरानसरोवधैः निलरेडुदयि दावृष्णाशां|| For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir भ ||निस्कलणनः / वरुधादिखननकियात्रांतस्नाकियालयस्विच्छानिवत्तयेतृष्णामेवा || र्थयानि उत्स्यानपिनि गृहनिधिस्लिपतिनयोनिशंकयासिनेमन पर्यन सुरवातंरपाननं। ||गिरिधानोहरितालादयोऽसाताः अनेकौषधि योगेनाग्नौनापिनाः सरिनांपनि: समुद्रोपिपार मंत्राराधननन्यरेणमनसानीनाःश्मशानोनिशापातःकाणवराटकोपि नमया तृणधुनामुंचमाम् 4 नोरत्नादिलाभेच्छयांतःपयेशनोचानिस्तार्ण मी मालधिनः नृपनयोराजानोप्यनेकयत्नरुपायैस्लोषिनाः नुष्पिापित्ताः मंत्रारायनेवशीकरणे नत्परेपासंलानेनमनसाश्मशानेशवसमीपेनिशाः नीनाः अनिकांनाःएनासुफियास वराट / 2 कोपिनसमाप्तोलयो : नोमांहेतृष्णे :खुनैवशाग्रं मुंचयजोनिमार्थना 4 For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir लोभादनेकदेशेषुमनोनमामिलोलुप कृष्णास्मरणसंदेशंसंधमधमहारिणम 1 परदेशा दिगमनानेकसेगादिकरणसनमः सन्तृष्णामेचनिरनिभानमितिभने कंबहु प्रकारंडुगंगनुमा शम्यांविषयंपनारच्यादिनाएवंभूतंदेशंपनियांनंचालनंफलंतुकिनिदल्ममापिएकमपियानमा नैवलब्यकि बहुबहुपकारंवाननुदेशगमनमा कलाफलंतुकस्यचित्सेवागिनानेव भवनात्याशं भानदेशमनेकदुर्गविपमंपानकिचित्फलंत्यकाजानिकुलाभिमानमुनिनं सवाकतानष्फला प्यार त्यत्कनि जानिससमादिः कुलंसत्कर्मादिनोसन्नं नयोचितमभिमाननीचकर्माकरणरूपत्यकासेवापिकतासापिनिष्फलाफलभून्यामानानमंत्रणा || दिपूर्वकमाहानंसत्कारमरहिनंयथास्यानयाभुक्तंपररहेआशंकयासहवर्तमानाया नया जुन्या || For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir भ भव। || भात्यावनिशेषः हेन्योर्मन्पापापरूपंकर्मतवानरने निमम्मेभयापिपापंकर्मकारयित्वापि || नसतुव्यसिअपरकिंकारायसीनिभायः 5 रचलवाग्वाणपिछोपिनसेगानिरनोभयेन कृष्णसे भुक्तंमानपिचार्जिनपरगृहेसाशंकयाकाफवतृष्णोदुर्मनियापकर्मनिरने नागापिसंतुष्यास 5 रखलोलापासोदात्कथमपिनदाराधनपरौनगृह्यांन ष्यिंहसितमपिभून्येनमनसा चारतो नस्यायत्रानंदोनिराधयः 1 तृष्णातिगुची नपथमनमानेकदुःखानिप्रदाशायामापिनानिदर्शयितुमाशोपार्ययने रखलइनि खलानांप || निक्षणपराचिदानिरीक्षकाणामालापा: नाचसंचुच्चारदानमंदमन इत्यादिक यांच्चैराहानरूपाः || For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsur Gyanmandir || सोराभंगीहताः कथमपिकेनापियकारेणनदाराधनपरैः नेपांरपलानामाज्ञायांसंलग्र || स्माभिरिनिशेषः नेषांकदुवचनैरुत्थिनमंनष्णश्वासननिरुथ्य इत्यर्थः मांदीनमन्यंगाहमा पहासनाधार्येषानेपामापचिनसंभलदारणमंजलिः प्रणामश्चकनः भून्येनसारराहिनेन सनश्चित्तसंभामहसिनधियामंजाल पिचमारोमोघाशेफिमपरमुनीनन यसिमाम् 9 आदित्यस्यगनागरैरहरहासंक्षीयतेजीवितंच्यापारेहुका य्यभारगुरुमिकालानाज्ञायत पनसा नयापि आशे योपानिः फलानाशा इच्छादिक इतियायस्याः सात्वकिमपरंएनसकारयितापिरखलानांपुर: मानर्नयासिनर्जनका रयसीनिभानः 6 गमनागमनकुर्वनविहरनिजीविनम् सोषितंयहरेः पादकंजतेषां For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir भ: || सजीपिनम् 1 जगदुन्मादंदुःखसहिष्णुतांकालाज्ञानंचदर्शयति आदित्येति गनागनैर्ग मनागमनैः उदयाचलादनाचलंपनिगमनमागमनंतुनः पुनरुदयाचलंपानिएवंपकारकैगतागतैरहरहः प्रतिदिनंजीधिनमायुः सायनेनश्यनियाधारैर्जगरनेकच्यवहारः कथंभून बहुकार्यभार गुरुभिः बहूनि कार्याणयेवभाराचोदुमशम्यानैर्गुरुभिर्महाद्भिः कालोमरणा दृष्ट्याजन्मजराषिपनिमरणंत्रासश्चनोपयने पीत्तामोहमयीपमादमदिरा मुन्मत्तभूतंजगत् 7 यदायुर्गनायवशिष्टपिनिनुभिरपिनरिजायनेनावशे घेणानुभूयतेजन्मादिमरणातकर्मसर्वेषामात्मनो पिरलार सनेत्रगोचरीकलापिनासाभयंनो त्पद्यनेअनिष्टकरणाकभिरपिनानिवर्जनशनिभावः नरहेतुमाह पालेनि मोहमचुरांपमाद For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandie रूपामादरांपीखाजगदमनशीलंउन्यजभूनकर्नयाच्यविचारभून्यंजानपितिशेषः / आनिदानमुखेः पुर्युकापत्नीकदंबरानभवेद्देहिनोगेहीदेहीतीहकथंचदेन् / पुत्रादिसंय होषियोकिनामपिटुःरपदइत्याहदानोनितीनेभ्योप्यनिरीनानिमुखापियेषांतैः शिझकैर्चालेरा रुएंजार्णमंबरंचरनंयस्याः माकथंचनैः कोशाहिरनार्थसदादिरन्यैश्रग्रहनरैः क्षापिनधि 'दीनादीनसुरतैः सदैपशिशकैरामजीर्णाचराक्रोशादिः क्षाधिनैर्नरैर्न विधुरादृश्यतचंगहना रानिपचनाएनाहशीगेहनीभार्यानेनुयदिनदृश्येनमन सिमाजनेनेनिशेषः यायाभंगभयेनयाचादेशानिमार्थनानस्याभंगीनाशः नारयामानि दरातुर्यास्येननद्येनगद्गदं सवायंगरून् पनपदनोचनीकात्रुधनहारस्थाभिमाया धन्य For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir भदै कथनेनभंगनांभाभवनाविलानान्यपरान्यक्षराणियस्मिन्नास्येतत्कियाविशेषणेगाकोप|| || श. नस्वीजन: धीर: वदेन देहीनिकः कथपेत् पजाठरानलेनदग्ध स्यजठरस्यार्थे स्वोदरपूरणायो त्यर्थ: अनआकारमश्लेषः कार्योन्यथार्थमंशः स्यान् 8 सीयानां मरणं दृष्ट्वायत्का यानाभगायेनगद्गद्गल युपाहिलीनासरंकीदेहानिदेवदग्ध जठरस्यार्थमनस्वीजनः निरत्ताभोगेच्छापुरुषबहुमानोविगालनः समानाः स्वयानाः सपादसहदाजावितसमाः मानियन पपान भरसागर पारायकृष्णचंद्रंसराजेन् / परणभयशनिंपुरुषदूषयनि निरत्तेनि भोगेच्छा यथासीनथेरानींनास्त्यनोदेहेंद्रियबैकस्माननिरत्तासीणा पुरूपेठमध्येयोबहुमानःसत्कार For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir || सोपिपिगलिनः नष्टः पुरुषेनिसंसारिणपनिसंबोधनंगा समानाः स्ववयसः पर्यानाः मृताः क्या नीयेवशिशः सहदनेपिजीविनसमाःजापितसमंपूर्णयेषांअथवास्नीवनतुल्याने दुर्हद | सिष्टनुपियनांवा नैकिमित्यर्थः आसनादुत्थानंशनैर्नवेगानदपियच्याश्रयेण लगुडाधारेणन शनैर्ययुत्थानंधननिमिरकडेचनयने अहोधृष्ट कायमरपिमरणापायचकिना 9 हिंसाधून्यमयत्नलभ्यमशनंधात्रामरुत्कल्पितंव्यालानांपशवस्तृणांकुरभु जः सशस्यलाशायना सतइत्यर्थः घनेनानिविडेनानियिरेणांधकारेण आरतेना यनेअहोआश्चर्यनपिसर्वेषांनिधनंदवापिसमरणरूपोयोऽ पायोनाशलाम्मचकिनः शो कितः अहमपिमरिष्यामिकिपिनिभाननियावन् 9 पात्रातुनिर्मिनासर्जािविका नयथोनि || For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir || ना कृनानः सजीवानांनीपिकादंहरिभजेन / संसारिणांविधिकतोत्पत्तितनैवरुनाविष|| || श. मारनिंपर्यातोयशोचन्नाह हिंसेनि हिंसाभून्यजीवगधारहितमयत्नलक्ष्यमश्रमसाध्यं दर धातीनिधानानधारणपोषकेनडुधाभधारणपोषणयोरिनिस्मरणान्यालानांसर्पाणांम रुहायुरशनं भोजनंकन्धिननिनि श्रीकृष्णाविनाब्रह्मणोपिधारणपोषणज्ञानंसम्यड्-नास्लीसंसारार्णवलंघनसमधियांनिःकनासानृणांयामन्वेषयत्नांप्रयानिसनतंस समाप्तिगुणाः निसाननं तणांकरमजः पशवोपार्थिनलभ्य भोजनाः स्थलीशायिनः // रुधियाभूमिः स्थलीसरशयनशीलाः संसाररूपाउणेचःसमुद्रमलंघनेसपासमाधार्ययाने || षांनणांसाहतिः कृताराचिनायामन्चेषयतांसंपादयनांसःगुणाः अन्वेषणादयःसमातिविरामयों तिहत्तयोनस्थिराभवंतीनिभावः 10 For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandie हरेनिंसदाकार्यजगनोनाशहेनये नार्यादिविषयासक्तोननयेकालयात्मनः / उभयलो करूखसाधनहीनंजनंदित्यात्मनिदर्शनामिषेणनेनि भरस्यसनियंनुः पदंचरणमजाना वेकवचनविधिवहिधौपूजाप्रकारेयोविधिनियमलेननध्यातंभन्यथा उदरभरणनिमित्तंमा रणपर्यतंकपटेनध्यानमेवेत्यर्थः किमर्यमित्याशस्यनदर्शयनिसंसारस्यजननमरणपयाहरू नध्यातंपदमीश्वरस्यविधिवत्संसारबिचित्तयेस्वर्गहारकपारपाटनपदुर्घ म्मापिनापाज्जितः पस्यविच्छिन्नये उन्मूलनायनाशायेत्यर्थः मुक्ति साधनहीनं पदा र्य स्वर्गादिसरवसाधनहीनत्वंदर्शयानि स्वर्गद्वारकपाटवरिनंचर्तमानजन्मन्यन्यजन्मान कृतंचानस्यपाटनमुन्मूलनंपुण्यकर्मपायश्चित्तादिजीचाभयपरानादिरूपोयोधर्मः सोपिनो For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir | पार्जितः उद्यम्यनगृहीतः जगनः स्थूलसरवादापिहानत्वंदर्शयनिनार्याः पीनयोरानपुष्टयोः पयोधरयो: सनयोर्युगुलं नाशयोस्!श्चयुगुलंडयंसपेपिनालिंगिनस्यांमैन श्लेषि नं मानुर्योपनमेव वर्मनच्छेदने दूरीकरणकुठारा: छेदनशस्त्राणिकेवलं चान्यतिनिहन नगीपीनपयोधरोरुयुगुलं स्वप्रेपिनालिगिनंमातुः केवलमेवयौवनवन छेदेकुठारावयम् 11 भोगानभुक्तापयमेवभुक्तास्तंपोनतप्तवयमेवतप्ताः कालोनयानोपयमवयानासृष्णानजीणोंचयमेवजीयाः१२ मिनिभाव भोगा दयस्नुनैवाप्ताःपासानिधनंलयु नृष्णाजीर्णान मेहंन्जार्णः लष्णं कथं भजे ? भोगाःमगारयोने विभुक्ताः किंतु सदाभिलायमेवभुक्ताः कालोनयानोवयमेवयानाः यस्मिन्कालेयन्कर्मकर्नुमानित For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandie नकर्मविहीनीयातःगनःकालस्नुभगवदिभूनित्वात्पन्नएचएसबोहनीयंतपः कुच्छारि || | ||स्वधमोचरणमा 12 क्षमारिसाधनयुक्तस्त्यक्तानएहसंपदः मुन्युक्तेकर्मणांपाके लुब्य रुष्यो|| नसेचिनः 1 गृहेयदुनिनंभोजनारिफरपनत्समयानसांतंकिंनुरोगादिपरचशेनसनोषादलंबु| सांननक्षमयागृहोनिनसरपंत्यक्तनसंतोषनःसोदादुःसहशीनयात तपनाः केशान्तप्तनपा ध्यानवित्तमहर्निशंनियमित्तःपाणैर्नशंभोःपदंननकर्मक तदेवमुनिभिसैस्तैः फलेबाचन 12 या सक्तमपिनशीनादयः सोदाः तपनो ऽग्नि दारियभावेनक्केशानशास्त्रायंनुनपः यजाग्यादिरूपंतुननसंतसकर्मना दर्शनारशंकहनं तत्तत्फलैः तेषो नेषां कर्मणांफलैर्मुनिभिः कर्मोपदेष्ट्रभिः नर्जन्यनिभिनेपनि लप्पीसनामा त्यर्थः११ For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भधै|| || दुर्वर्णवदनवाल्पकेशैः शक्त शिरोकिनम् गानुशिथिलंसनृष्णा नारुण्यमेत्यही जरया|| || श यमदेहस्यशिथिलाधिकरक्रिया शिथिलंधींद्रियंत्रांतनपानविषयाधनः 2 पार्थस्यं पितृणा धिक्यं भवनी निदर्शयनि बलीनिवलिनिर्मामलनाभिः आक्रांनच्यामं परिनैः सिनकेशैः शिरः चलिभिर्मखमाझानपलिनैरफिनंशिरः गामाणिशिथिलायंते तृष्णौकानरुणा यने१४ येनैवांबररचंडेनसंचीतीनिशिचंद्रमाः नेनैवचादिवाभानुरहोंदौर्गत्यमेतयोः 15 अंकिन निन्हिनं गात्राणिकरचरणायवयवाः स्वकियाफकुंदाभवनि परंतु तृष्णायाएकामुज्यासातुनरुणायनेनारुण्यभिचाचरनि१४ महत्सुदुर्गनिरष्वास्वस्मिन्याप्तांन दूषयेन इनिशिसा हनासद्भिः पयेःस्मिविमलाशयैः१ अंबरखेडेनाल्पाशेणसंचानाचेष्टिननेनैव नवस्वनरेगरिया भानुरपिएनयोरपियदारीगन्यन्यनराफिसस्मिनिनिभावः 15 // For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir ||गच्छनोवास्तुनः मांगेमहत्सौरव्यंपदर्शिनम् // स्वेच्छयागमनंतस्यहत्तापंपिदध हजेत 1 चिरा तरंबहुकालमुपित्वायासंकृत्वाएतेपमिहाविषया हिनि भिनंयानारोऽवश्यंभूषयास्यनितदापि योगेविश्लेषकोभेदोययंनभेदेनजनोभोक्तास्वयमभूताविषयान्नत्यजनिननुगमशालत्वात्स्वयमे अवश्यंयानारश्विरनरपित्यापिपिपयापियोगेकोभेदस्यजतिनजनोयत्स्वय मभूत् जनः स्वानन्यारंतुलपरितापायमनसःस्वयं त्यक्ता तेशमसरपमर्नन विदधात 16 वयास्यनिकोलभस्मत्यागेंइत्याशंन्यस्वयं त्यागे सरपंसेच्छागमनेना दुरवंचदर्शयति स्वेच्छाबजंनो विषयामनसःपरिन: सर्चनापायभविस्वयं त्यक्ताःसनः शमंशांनफर अनएबानं नमपरिच्छिन्नं विदधनि कुर्वनि 16 5 5 For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir भवै विकेनि तृषा तृष्णाशमे उपशमेसनि शाम्यान उपशमं गच्छानि कमानिविषकन्याकोशोरिका / / 10 शेसनिसापरिणनिः तृष्णापरिणामः तुंगे परिषंगे आश्लेषेसतिषसरनियुक्तोऽयमर्थः अ परापियाविलासिनी भपनि सातुंगेपरिष्वंगेसनितरां पसरनिननुयामि भनेन लव्यावकाश तृष्णाधिकारमाह विवेकच्याकोशेषिधनिशमेशाम्यतिन्पापरिमंगेतुंगे प्रसनितरांसापरिणतिः राजीर्णचर्ययसनगहनाक्षेपरुपणस्तृषापात्रं यस्यांभवनिमरुनामप्यधिपतिः 10 वात् नया सातृष्णापि मरुनांदेवानामप्यपि निःइंद्रः यस्यां तृष्णायांतृपापात्रं भवनि तुगेपरिषगेछेत्तुमशक्तोभवति इत्यर्थ:मनुनानांनुकाकवा किंविशिष्ठोमानामधिपतिःजराजानुपर्ययसनगहनाक्षेपकपणःजराजीर्णोपर्यतस्पग्रसनेना यदइन तस्यआक्षेपेकपणः विक्षसेअसमर्थ:अतःकारणात तणा गरीयसी 17 For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyarmandie रुशेति श्वाकुक्कर: शानिमन्बेनिफिविशिष्टः श्वारुशोदुर्बल काण: एकरकरसंजोभग्नपाद: श्रवणरहितः छिन्नकर्ण:पुच्छविकलो लांगूल रहितः वणीपिटकव्याप्तः पूनिकिन्नःपूयर धिनः पुनः किंभूनः श्वारुमिकुल शनैराशनननःपुनः किंभूतःश्वासपा क्षामःपुनःकिंभूनः मदनविडंचनमाह कुशाकाणरज श्रवणराहनःपुच्छविकलोवणीपू निकिन्नाकृमिकुशलतैरारततनुःक्षधाक्षामोजीर्णापिठरजकपालार्षि नगलःशुनीमन्वेनिश्चाहतमपिचहत्येवमदनः 19 श्वाजीर्णः जरसारांना पुनः किंभूनः पिठरज रूपाला र्पितगलः करंडमुंउसपार्षनपुखः एवंविधोमर्नु कामोपिया शनी मन्येनि तदपि मदनः एपनियेन हनमपि हनि 18 5 5 For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir भिसेनि हाहा इनिखेदे विषयालयापिनपरित्यजंतिकारक्समीपंन संचनि नयापानिक भिसाशनंतदपिनीरसंरसरहिनंनदप्येकवारंचान्यच्छय्याचभः अन्यच्चपरिजनोनिजदेहमानं चान्यत् वजीर्णशनखंडमपिमलीनकंथातयापि विषयादुराशयाचिपोप मायांतिमाणि विषयानांमधिकारमाह. भिक्षाशनंतदपिनारसमेकवारंशय्याचभूपरि जनोनिजदेहमात्रम् वरुनचजीर्णशतखंडमलीनकथाहाहातथापिविषया नपरित्यजति 19 रुपनिरस्कारमाह सनौमांसयंथीकनककलशावित्युप मिती मुरपश्लेषागारतदपिचशंशाकेनतुलिनम नाम 19 सपनामिनि हो || 11 || ||इनि दुःखे नियंरूपं कपिजन विशेषैर्गुरु रुतं कथंनिय ननौ मांसपेयीपर पित्युपमितौउप || For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandie मानिनौ इनि किंकनककलशौ नान्यन्मुखंश्लेप्पामारंनरपिनशशांकेनतालिनचंद्रमसास मानरुतं जपनंपन्मूत्रक्लिन्ननयापिकरियरस्पईिगजेंद्र शंडारंडेनस्पर्दाकारकं रूप यस्येनि स्वरूपंपरंसुरुरिनायासेनवर्णिनम् 20 अजाननिति अहह इनिरपेदेमोह महिमा स्मपन्मूत्रकिनकरिवरकरस्पनियनमहोनियरूपंकरिजनविशेषैरुक्क तम् 20 अजानन्माहात्म्यपनतुशलमोदीपदहनेसमीनोप्यज्ञानाहिश युतमन्नानापाशनम् गहनो वर्तने यत्तुशलभः पतंगः दीपशिरवायां पनतुश समः किंकुर्वन्माहात्म्यं भजानन्समीनोमत्स्यः अज्ञानान्मौट्यान् बडिश युनं पिशिनेमा ||सं भन्मातु भक्षतु इह अस्मिन्संसारे एनेस्य विजानतोपिकामान सुचामः कथं भूतान For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir भने कामान विपज्जालंजटिलानविपदांजालोरिपज्जालः तेनजहिलाम्नान अतएच मोह म-श हिमागीयान 22 पिशामिनिवयं दुर्जनानां पिशनानाम विनय मनुमंतुं अंगीकर्नुनो त्महेनोत्साहंकूर्म हे कयंभूनानां दुर्जनानां नवधनयधुपानश्यांनसर्वेद्रियाणां नवंनवी विजानंतोप्येनेवयमिहविपज्जालजारलान्नमुंगामाकामानहहंग हनोमोहमहिमा 22 अथर्जनमुहिश्याह विशमलमशनायस्या दुपानायनोयंशयनमयनिष्ठेवल्कलेगाससीच - 6 नोपार्जितंधनंनवधनंनदेवमुधु पानं मदिरापाननेनमधु पानेन यांनानि सर्वाणींद्रियाणि || 12 // येषांतेनवधनमधपानवांतसद्रियारलेषा अलमत्यर्थे अंशनाय भोजनाय रिशंक- म|| || For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsur Gyanmandir मालिनीकंदंबान्यत्सादुपानायत्तोयंचान्यदपनि परेशयनंचान्यासमाचल्कलंचारम् | 22 वियुलेनिपुंसांपुरूंपाणांकएषमदनरः कसनि कतिपयपुरुषसाम्येसनिधन्यैः कैनिसुरापूर्वजगज्जनितंजगत्सरंकयंभूध यैर्विपुलहदयैः बहन्ददयैः अपरेकै नवधनमधुपानभानमद्रियाणामपिनयमनुमंतुंनोसहेर्जनानाम् 22 मानिनामुद्दिश्याह विपुलहृदयैर्धन्यैर्भिज्जगजाननपुराविधूने मपरैर्दनंचान्यैनि जिन्यतृणंयथा भिपिनि निजभुजाभ्यांधारितं अन्यैः कैश्रिरपिपुरुषैः चान्यदत्तरुित्वारिनित्ययथाशदइवाचननेजगत्कापिचतणमिच | यथातृणमनायासेनदीयतेतयाजगदिनित्यदत्तहिनिश्चितंर हास्मिन जानलोके अत्येधी For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsur Gyanmandir भ राश्चतुर्दशभुवनानि जने तथास्पल्पस्वाम्ये कोयंगर्षः 22 त्वपिनि हेनरेंद्रवंराजाय | श. नमेवयमापि उपासितगुरुपज्ञाभिमानोन्ननाच महेराजेंदत्व विभः ख्यातः न भ || 2 स्माकंयशांसिमहत्त्वानिकवयः कवीश्वरादिक्षमतन्कनिदशसपिदिशासविस्तारयनि इहाहिभुवनान्यन्येधाराश्चतुर्दशभुजतेकतिपय पुरुस्वाम्येसांकएष मंदज्वरः 22 निस्पृहाणामधिकॉराह राजावयमप्युपासितगुरु पज्ञाभिमानोन्ननाः रव्यातस्त्वविभवैर्यशांसिकवयोदिकपतन्यतिनः हे मानद मानंददानानिमानदः दोभरग्डनेइतिधातुः हेमानद हे मानखंडनावयास 11 भयोरपिअनरंनानिदूरे हेराजेंदयादिचत्वं भस्मास पराउ-मुखोसि अनादरी : मिन For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir रावयमपि एकांननो निस्पृहाच महेलय्यनादरात्तपिरिषये अनादरा: 24 अभुक्तनिजामूराः विषादेकज्येपत्युनसन्सुसंमुदविदधातिकक्षिनिजांराज्ञांनस्यांक इत्थंमान्दनानिदरमुभयोरप्यावयोरंनरंययस्मारूपराङ्मुखोसियम प्येकांनतोनिःस्पृहाः२४ अभुक्तायांयस्यांक्षणमपिनयातंन्पशतैर्भुवस स्यालाक्षेकइवबहमानासनिभुजाम् नदंशस्याप्यंशेतदवयरलेशेपिपत याविषादेकर्तव्यविदधानजडाः प्रत्युतमुदम२५ र पशियाला करनमानः यस्यां पथिव्यांभभुक्तायां सत्यां नृपशतैः नरेंद्रसहस्त्रैः क्षणमपिनयानं नगर्ननर्देश स्याप्यंशेनस्याः पृथिव्याविभागस्यापिरिभागेनदयपरलेशनस्यांगस्यापिलेशेपिपनयः स्वामिनः 15 // For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir भौ / मृदिति नानपुरूषाधमा धिक्रयेधुनानेभ्योपिधनकणंबांछनिकथमयंमृसिंउ:पृथ्वीचयः ||सोपिजल रेखयावलपितः सन् ननुभणुः सल्पप्रमाणः नुपुनः सरवमसिंङराज्ञांगण || 2 (न्यनेकिं कृत्वासंयुगशनैः संग्रामविभागीरुत्यरणशतैः अंगीकन्यनेसद्वाररिद्राः राजानः मृसिंरोजलरेषयावलयितःसर्वोप्ययनत्वणुरंगीकन्यसएसंयुगशनै राज्ञांगणैर्भुज्यते तद्दयुर्ददतेऽथ्वान किमपिसदारिदाभशंधिकाधिक तासुरुषाधमान्धनकाउंतिनेष्योपिये 26 दुर्भगसेवकस्यवाक्यमाह ननदानापिटानगायनानपरद्रोहानबरबुदयः शमकिपपिसरया अशा यानददनेनानेवपुरूषाधिक पिकायेनेभ्योषियांछांकुनि 26 मेनिनायेनिमंचोध गपसपनि / For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir वयकेचयनराःनृत्यहत्यनिविणः उत्तीर्णाः नगायनानपरदोहानिरबुद्धयः परद्रोहनिवहा|| बुयोयेषांतेपरद्रोहानिबरबुदयः वयंयोपिनोपिनर्षियोपिन कुचभारानमिनाः कुरभारणा संपंनादाननपित्ताः एवंविधा अपिन 27 पुरोतिपुरापूर्व उपशमनांपिदनाचैव्यंक्लेशहन नृपसयनिनामकेवलंकुचभारानमित्तानयोपिनः२. पुरारिहत्तासीदपशम पतांक्लेशहतयेगनाकालेनासौरिषयसरपसिौविषयिणांइदानीतुपेश्य सिनिनलभुजःशापविमुरसानहोकरसापिपनिरिनमधोध-परिशानि२८ संसारविदारयायासीन असौण्डित्ताकालेनगनारिपायिणांविषयसुखासिौगना महोइनिरपेदे वरिलोमगारानीसापिपिनामानिदिनंदिनपनिअयोधः पविशतिकिकताशापरिपुरनानक्षिना निनलभुजा प्रेक्ष्यनिरभ्य 28 For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir सजेनिकोपिपुरुषआसीत् यस्यपुरुषस्थकपालमुबधाभवनिमदन रिपोर्मदेशस्य मूर्षिी श. मसकेअलंकारविषयेनिनिहितं कथंभूतंकपालंउज्जलं अधुनाइरानीकैश्चिन्नमद्भिःन 3 साहंकारंपुरुषमुहिश्याह सजानाकोप्यासीन्मदन रिपुणामूर्ति धवलेकपालंयुस्योर्तिनिहितमलंकाराविषये नृभिन्माणबाण पवणमतिभिकचिदधुनानमादिःकः पुंसामथमतुलदग्यज्वरभार:२९ भिः पुंसां पुरुषाणांकोऽयंअतुलदर्पज्जर भरः कथंभूतैर्नभिः पाणत्राणप्रवणमनिभिः 15 पाणस्यत्राणंत्रपणामनिर्येषांतेमाणत्राणपणमतयः 29 7 5 For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsur Gyanmandir यनिःराजानंपनियरनि अर्थानापिनि हेराजन लमानामाशिषेलंसमोभवमिवयमपिभिरा वाणीनामी पहेसमभकाम: चान्यत्वंयावदित्थंभमुनापकारेणचभूरोसिअस्माकमपिपाहिदपेच अर्थानामीशिषेलंचयमपिचगिरामीमहेयावदित्थंभूररुत्ववादिदर्याचशमन विधावक्षयंपादवनः सेवंतेवांधनाट्यामनिमलहतयेमामपियोतुकामा मय्य प्यास्थानचेनत्त्वायममसुतरा मेषराजनानोस्मि 30 रशमनविधीपादिनांदण:अहंकारस्तस्यन्नरस्सस्यशमननिधौ अक्षयनिश्चलंपारचंवर्नने हेराजन त्यांचधाः सेवंतेमामपियो नुकामाः श्रोनार:सेनेकिमर्थमतिमल हतयहिकालुष्यनाशाय अधुनामयितेनवास्थानेर | चेतहिममापित्वयिसनरांआस्थानास्तिहेराजन् एषः अहंगनोस्पि 2. - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir भा यदेनि अहंयदायास्पन समावेमगंधारिपश्यहनीय समाचानिस्तारिविजानामिकिश. पिस्तः यत्नरोनित्या संबंधानदामममनः इनिभवलिमयभनत इनीतिभिहंसर्वशोस्मि / यदायस्मिन्मस्तायुधजनसकाशात्परितवर्गानमिचिन भवगतंज्ञानंनाइतिअनेनमारे यदाकिंनिज्ञोहहि पदयमदांध समभनदासर्वजोस्मीत्यभवदवाल ममममनः यदाकिंचिकिचित्तबुधजनसकाशादवगतनदामूखेस्मी तिज्वरइयमदीमेव्यपगनः 11 णमेपममदोग्यपगनोरीभूनः इत्ता निकम अहंमूर्योस्मि इनिमदः कइयचर इचयथाकस्यापिज्वरीयानिनथामेमम अहंकारोयानः श्रीरामचंद्रायनमः श्रीगोपालकृष्णायनमः For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandie अनीनि हेचालेलटा ललनाभोगभगः कालो निकांनः भनिचकामः संपूर्णरुनः लटभा: आप्पलावण्यायाललनास्तासांभोगेनसभगोमनोज्ञः लरभललनाभोगसभगइ हास्मिनमर्त्यलोके संसारसरणौसनिरंचमंतः श्रांतास्पइदानी स्वः सिंधोः स्वगंगायास्तद निर्ममनास्वरूपमाह आतिमान कालोलटभललनाभोगसागोनम नानांनाःस्मासचिरमिहसंसारसरणी इदानास्वसिंधोलरक्षरिसमा कंदनगिरसतारैः फूत्कारैः शिवाशिवाशिवातिमतनुमः 22 जारी शिवाशिवाशियतिमननुमः विस्तारयामः कयंभूनापयंसनारैः फूत्कारैः समादनागिरः रे बालेरकासितपसन्मुचनाविलोकयामः 125 5 For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir || मानेनि सधियांपुरुषाणांकेचठमेतदेवयुक्तंयन जन्हुकन्यापथःपूतयागिरीद्रकंदरदरी कुंजेनिनासः कचिनजन्हुकन्यायाः गंगायाः पयसापूताः पवित्रायेयाचाणः तेषामसौगिरीदः पर्वतः नस्यकंदरस्यपिचरस्ययादरीगुहानस्यानिकुंजानास्पन्नवानिकासोबरंकसनिमानेम्ला मानेम्लायिनिरपंडिनेचवमानव्यर्थपयानेर्थिनिसाणेबंधुजनेगनेपरिजने नष्टेशनोचने युक्तंकेवलमेत्तदेवसाधियांयज्जन्हुकन्यायः पूतयावाग रींद्रकंदरदरीकुंजेनिवास काचिन 33 पिमिचान्यदसनिसंडिनेसनिनान्यदर्थिनियारके व्यर्थपयानेसनिनान्यत्कसनिसीणेचंधुजनेसनिपुनः कसनियौचनेनरेमसिनराच | 17 नगसएवरुचिरः 33 335 For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandie परेषामिनि हाइनिरपेदेवंहृदयंबहुयसादंफिनतुंगृहीतपिशासिकि हलापरेषांचेतांसिमनिदिय || संआराध्याकिंमसादंशकसितंकटमालिनंहेहृदयत्वयिभनर्मध्येमसन्नेसनिभभिलषितंपाउिन नेनरनषष्यतिलिपिसयमुरिननितामणिगुणेकिंपिमुक्तःसंकल्पः 34 सकचंदनपनिनादिभोगेरी परेषाचेनासिप्रतिदिवसमाराध्यबहुापसाईकिनेतुविशासिहृदयेक्लेशकारनं एसन्नेवण्यन स्वयमुदितचिंतामाणगुणेषिमुक्तःसंकल्पाकिमाभिलषितंपुष्यनि नने 34 अथभोगपतिः भोगेरोगार्यकुलेच्युनिभयवित्तेनुपालाद्भयमौनेदैन्यभयं उलारपुभयरूपजराराभयम् गानभयंभीतिकचंदनादिशातलेनचासोसत्तिर्भवनिरूलामो |गेनालहानिर्भयानि कुलेन्सतिभयंदोषः कस्यकुलेनास्तीतिन्यायेनबहुकुलंयत्रतरादोषोभवस्येव रोपेण पिनति संभवति अथरापरणनकुलक्षयोभवति नित्तेनुपालानाज्ञः सकाशाद्यं भवति पौनेमौनर | For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir भन्दै त्याअथवानकिंचिददनिनयाचनिनम्यकोचाददानिधनः दैन्यं भवनि चलअनिवलिष्टेरिपुभयेभवनिश रूपेसौंदर्येजरायाचाईम्येनापिरुपनाजायने शारूशास्त्रपाठनेवादिनांभयंपुण्येस?णे पलभयं विपरीनंरोषारोपणंकरोनि कायेशरीरेमृत्यु भयएसचमुजानभुरिभयानितंरर्त्तते अनोवैराग्यमे वाभयंसपार्थेषुपैराग्यवान पुरुषःमयाचयनिविरोधेनैवकनिसर्गरवीनराग: 15 अपीषामि शास्येवादभयंगुणेरखलायंकायेरुतांनादयंसवस्नुभयाविनंवधिनुणांपैराग्यम वाभयं 35 अमीपांशणानांतुलिनानिसिनीपत्रपयसाँहतो कन्नास्माभिागलिनाव चकल्ययासतम् नि अस्माभिरमीषांपाणानांकनेनियासिनंउद्यमितं कथंभूनैः अस्माभिः || 18 ||गास्तिनिवेकै र्षिगाललोचोभियेकोषानस्चेिकराहनैः यदास्यानामयेधनयनांपुरः चीत चार्ड For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kallassagarsur Gyanmandie र्गतलज्जैरस्माभिः निजगुणकथापानकमपिकृतग्निगुणानांक,यापातकनिजगुणकथापा लकं किंभूतानां आख्यानांद्रविणपदनिः शंकमनसांदविणमदेनधनमर्दननिःशंकं मनो|| यघांतेषां 26 भानइनि तस्मैकालायनमः अहोरन्याश्चर्येभोधानमहान्कविलोक्य यदायानामगेरिणमदनिशंकमनसांकनचीनबाडनिजगुणकशापानक मपि 36 धातारमहोमहान्सनृपतिःसामंतचक्रवतस्पार्चेतस्यचसापिरा जपरिपत्ताश्चंद्रबिंबाननाः नां किंकरसराचमहाभूपनिम्नान्यत्सामनचकंचान्यत्तस्या पार्चेसापिराजपरिषत्सापिराजसभाचान्यत्तानंद्रागिननानाN:चान्यत्सराजपुवानिवहाना पकुमार समूहः कथंभूनोरानपुननिवउदिक्तः सवर्ण:चायत्तेजदिनः भद्राश्यान्यताः / - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir श. - कथायस्यय शादेनन्सचंपूर्वोक्तंस्पतिपदमगात्कथाशेषजगामकालाय नमैनमः यतः सर्व ||सीयने परंतुकालोनसीयते 27 चयमिनि येभ्यः समानयोभ्यः समंजानाः खलुनिमि नम्ननिरपरिगनारच मृत्ता एवयैः समंहहालेपिस्मृतिविषयनांगपिनाः स्मृतपियना दिक्तःसचराजपुत्र निवहस्नेवदिनमा कथासंर्ययस्यवशाट्गात स्मृतिपदंकालायनस्मैन मः 17 पुनःकालमुद्दिश्याह वयंरोभ्योजाना चिरपरिगताएवखलुतेसमयः संनदा स्मृनिविषयनांनेपिगमिनाः स्मृनिविषयतानां स्मारिनाः संनभेनोगीचरमायांनीत्यर्थः इदानी एनवयंस्पः सावरोध किंचयःसिकनिलनदीतीरनरूभिः तुल्यावस्थांगनाः सिकतिलावालुकाधिकानदीसिकनि / For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir कनवी तस्याः नीरतर वः शीग्रपतन शीलाभवंतीत्यर्थः यारशालेतरवस्मारक अवस्था वयंपासाः स्मकस्मान पनिविसंदिवसंपतिआसन्नपननात्मरणात् एतावतासंसार | स्यावस्थाईदशीवर्चने 28 योनि कालोमृत्युः काल्यासहकालराच्यासहपाणसारैःक इदानीमेतेस्मपनि दिवसमासन्नपतनाद्गनास्लुल्यावस्थासिकतिलनदी तीरतरुभिः 38 युनानेकः काचिदपिगृहेनत्रानपत्यथैकोयबाप्येक स्न दनुबहवतनचातनचका तकाचश कीडनिकाडिनमारभने कथंधतामा ल: बहकलः बव्हीकलायस्यासौगहुकला किंकुर्वन् इमो दौरजनिरिवौइस्थमनेन- || प्रकारेणअसयौविषयपाशकावेवरीलयन पक्षिपन युक्तो : यमर्थः अन्योपियो यूत For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandie भः | कनकाांकुरुतेतस्यासौपाशकौपिलोकातेअबकालः कीडकः अबरजनिदिवसावरपा || || श. शकौ इत्थंकथयनकनिरपिरहेअनेकः एकसत्रातिष्ठानि अपिपुनः यत्रएकलवरहवः यत्र बहरनबएकोपिनकालकीआयाइत्यस्वभावः 19 तपेनिजनेलीकेनारियायकिं कुर्पः कि इत्थंचेमौरजान दिवसौदोलयन्वापिचासौकालः काल्यासहबहुकला कीड निमाणसारैः 39 तपस्यनःसंतः किमधिनियसामसरनदीगुणोदान् दारानुतपरिचरामः सपिनयम् मिनिसंशयेसरनदींगंगोनिचसामः आश्रमंड HH किंचयनपस्यंतः संतः तपः कुर्वतः संनउन अथवादारान कलबाणिपरिचर्या कुर्मः कयंभूतान् दारानगुणीदान गुणोत्करान उनभयाशास्त्री पापियामः शृणुमः किं शा|| For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir स्लीघान्द्रुतविविध कायमृतरसानद्वतः सुतः विविधामनरसोयेपुतान्वयन नियः अस्माकंसंशयोचनने एतेषुपरार्थेबुकिं कुर्मः योगुणाधिकसंसेचयायः 4. गंगेतिकिमि पियामःशास्त्रीयानदनाविधिकाच्यामृतरसान्नपियाफिकुर्मःकतिपयनि मेषायुपिजने 40 गैगातारेहिमगिरिशिलाबद्धपयासनस्पंचमध्यानाध्य सनावधिनायोगानद्रागतस्य निसंभावनायाम ममतैः सरियसै व्यं यच रिचसे पुजरत हरिणाः पोटमृगानिर्षिशंकाः संतश्रृंगकंपिनोदंभंगपर्षणलाला संपाप्यंते कथंभूतस्यममाहिमगिरिशिलायांबदंपग्रासनंयेननस्पकगंगातीरे पुनः किं भून स्यममयोगनिद्रांगतस्ययोगस्यानिद्रायोगनिदानांगनःमाप्तः तस्यकेनब्रह्मध्यानाभ्यसे For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandie नविधिनाब्रह्मध्यानस्याभ्यसनंब्रह्मभ्यानाश्यसनंतस्ययोविधि ब्रह्मध्यानाभ्यसननिधि रा. / तेन एवंविधननिर्मलभानसखसाध्यामिहासिदिः४१ स्फुरदिनियंशिवशिवाशियेत्या नवरसांकरास्यामः फिनिशिशरयं भयभीगोदिग्नाभवस्यसंसारस्याभोगमबोहिग्ना: किंनर्माध्यममसदिनसैर्यत्रो निर्विशंकाः संपाप्यतेजरहरिणाःभंग कंड़ विनोदम स्फुरस्कारज्योत्स्नाधवलिततलेकापिपुलिनेसुखासीनाः शांतेवानिपुरेजनीषयुसरितः किंभतेनयनसाआनंदोद्गतबहुलवाष्पप्लनरशाभानन देनोहूतानिबहलानियानिवाष्पाणि नैपुतेशीयस्मिन्ननलेनाभूितावयंयुसरितीगंगा 21 याकापिनिर्षिजनेपलिने फखासीना: कासुरजनीषु किंभूनासरजनीशांनध्यान पुउप For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandie शांतशराफएचविधापासराभाग्यहीनानांनभवेयुः 42 महादेचेनिदेवोमहादेवोनान्यःसरि दपिनयपिसरसार करनदीभगारंगृहंगुहाएपक्सनमपिवस्त्रमापिनाएबहारिनोदिशः भवाभोगोरिग्मा शिवशिशिचेत्यानरचसाकरास्यामानंदोगनबहू लवाव्यानरशा 42 महादेवोदेवासरिदापिन्सेवासरमरित्गुहाएवाँ गारंवसनमपिताएपहरितः संहहाकालोयंबतमिदमदैन्यजेतामदकि यहावस्यामोबसविटपण्वारूदयिना 42 5 5 अथवासहन्मित्रमयंकालः इदमदैन्यजनंइदंबनंकियास्यामः दपिनाकलबंदरपिट प एमास्क 43 श्रीगोपालकृष्णायनमः श्रीरामचंद्रायनमः For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir भः शिरइति शार्वमहेशशिरः स्वर्गादयोवर्ननेपतनिशिरस्तःमहेश्वरमस्तकान् अधः सितिधरं | जानाहिउत्तुंगार्शिदात अपानमधोजानीहि अपनेमापिजलधिसमुद्रं अधोजानीहि लोकं गंगेयंपदं अधोधः उपगंना अथपारिनेकाशनांपाणिनांधिनिपानः शनसुखोभगति र 4 शिरशार्वस्वर्गास्यशपतिशिरस्ताक्षिनिधरंमहींपादत्तुंगादयनिमयनेश्वापि जलधिम अधोगंगासेयंपदमुपगतास्तोकमथवाविवेकानांभवानिधि निपातःशनमुखः 44 आशानामनदीमनोरथजलातृष्णातरंगाकुलाराग ग्राहवतीवितर्कविहगाधैर्यदुमवासना आशेति नामेति संबोधने आशानरी|| || 22 | आम्मिकि आशानरीमनोरथाएनजलानियस्यांसापुनः किंभूता तृष्णा नरंगाकुला पुनारिं| For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir आशानदीरागवाहरनीस्नेहयाहयुक्ता अन्यापियानदीयाहजलचरजीववतीभवनि पुनः कि आशानदीवितर्कविहगापिनोमिनारम एवाविहगाःपासणोयस्यां सानयामाप विह गाभयनि अस्यामपितथैव पुनः किं आशानदीपोझचनसुदुसरामोहस्यारत्तों योहार ननसहुसराअन्यापिनी आवर्नेः दुस्तराभवनि पुनः किं आशानरीभानगहना अ मोहापर्नसटुस्नरानिगहनापोत्तुंगचिंतात्तदीनस्या पारगत्तापिशुहमनसो नंदनियोगीश्वराः 45 नीचगहनं यस्यां अन्यापि नदी भनिगहनापुनःकि भूना आ शानरीधैर्यद्रुमधंसिनीथैर्यटुमस्यध्वंसोऽस्यास्नीनिधैर्यपधसिपीअन्यापिनरामपंसिनी / भवानिपुनःकि मोत्तुंगचिनाएवनरोयस्याः सा अन्यापिनीनरिनामोच्यने तस्यानयाः पारंगा / For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir सायोगीश्वरानंदनिसर्वोत्कर्षणवर्नने किंभूनाः योगीश्वराः विशहमनसोनिर्मउमानसाः 45 आसंसारपिनि हेनान नारकोपिपुमानअस्माकंनयनपदवीनेत्रगोचरंचाययात्रोत्रवर्त्य | श्रोत्रमागनागनः यायसीवस्यांतःकरणकरिणः संयमालामलीलाधनकि भूनीयविषयकार आसंसारधिभुवनाविचिन्वत्तांतातताहफ्नैचास्माकंनयनपदवीधोत्रा ग़तोगा योयंधत्तविषयकरिणीगादगूाभिमानः सोचस्यांनःकरणकरिणः सयमालानलीलाम् 16 गीगाटगूराभिमानः रिपयएचकरिणीहस्मिनीनस्यांगा रगूट भयंतं आरुदो अधिमानोयम्पकिंभूनानामस्माकं आसंसारंयापन इदंविझवनवि-|| वनां संचयनां पईयनांयोजितेंद्रियः सोऽखिलः 46 For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsur Gyanmandir येपर्दैन नि अहंनेषांगसराणां अंतः स्फुरित हसिनध्यान दे स्मरेनियापियेगास ||धनपनिपुरोपनास्यानांपुरस्मात्यार्थनारनदीपर्नेनेने पार्थनादुरप दोर्पाः नान्ययेगा मराः विषयाक्षेपपर्यस्नानुहिर्यस्यसविषयाक्षेपपर्यसरिस्सम्याम्भूिनोहशिरवरिया सापनपिनाया सरूपमाह येक्नेधनपनि पुरस्मार्थनादबभा जोयेचाल्पत्वंदधातिविषयाक्षेपपर्यस्त्रबुद्देः तेषामंतःस्फुरितहसिनवास राणांस्मरेयंध्यानच्छेदेशिरवरिकुहरयावशय्यानिषण्णा:४७ रेया गावाच्या नस्यां निषण्णः वाशिसरि कुहरस्यपर्वत रिवरस्ययागारशय्यानवनिषण्ण निरिए: 47 For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Sh Kailassagarsun Gyanmandie भ रियानेनि अहोभयंकालोऽस्माभिःपरपिंडेलोलुपतयाका रिय पेरिनः परपिंडस्यपरण ||सस्पतीलुपतानयाकथमस्माभिर्षियानाधिगतानपरिनाकिंभूतारिया कलंकरहिताये|| || 2 परहितात्पर्यःचान्यरित्नोपार्जिनंअपिपुनः समाहिनेनमनसानिचलमित्तेनापियोर्मानाजा पियानाधिगताकलंकरहितारिनंचनोपार्जितंशुश्रूषापिसमाहितेनमन मापिबोर्नसंपादिना आलोलायनलोचनायुनियः स्वप्रेपिनालिगिता का लोयपरिपिंडलोलुपतयाकाकरिव परिनः ४०नकयोः प्रश्नपापिनसंपादितान|| रुनाचान्यस्मोपियुचनयोनालिंगनाः किंभूनायुक्नयः आलोलायतलोचना भासमंनाइाचेना लोलानिचपलानिआयतानिरीणिोचनानियासांना तस्याकारणान् सुधैवजन्मगपिनम् || || For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir पिस्तीर्णशनिवयंपुण्यपारिये रण्येकदाचियामांनेष्यामः कैः समंपरिणनिशरचंद्रकिरण म मंपरिणतय परिणाममामायेशरन्कालीनाः चंद्रकिरणाः परिणनिशरचंद्राकरणासै कसति सर्वस्वेसर्वधनेविस्तीर्णेसनिम्भूिनारयंतरुणकरुणापूर्णहृदयाः तरुण करुणयापूर्णरदयं विस्तीर्णेसर्वस्वेनरूणकरुणापूर्णहदया स्मरंतःसंसारेत्रिगुणपरिणामार विगती वयंपुण्यारण्येपरिणतिशरचंद्रकिरणस्त्रियामांनेष्यामोहरचरण चित्तकशरणाः 19 येषांने नरुणकरुणापूर्णहयावयकिं कुर्चनः संसाधिगुणपरि णापावधिगनीः स्मरंतः विगुणपरिणामायधयोगनयः रिगुणपरिणामारधिगनयस्ताः पुनः ||किंभूनापयंहरचरणारिक शरणा: हरचरणाचेदवित्तस्यएकशरणंयेषांतेवयम् 49 5 // For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir रयमिनि हे राजेंद्र इहास्मिन्संसारेनल्कलैः सलापरितुष्टाः चान्यत्वंच लक्ष्म्यापरितुष्टः भाश सपनावतासंगोषस्यतत्वमेकएचइहास्मिन्नर्थपरितोषः समएपकिंभूनः परिनोषः निर्विशेषा वशेष निर्विशेषएव अवशेषोऽवसानंयस्यसनिर्विशेषावशेषःारशेषश्चायंतु पुनःसदर वयमितपरितशयल्कलैस्त्वंचलण्यासमइहपरित्तोपोनिर्विशेषावशे पः सत्तुभमतिदरिद्रीयस्यतृष्णाविशालामनसिचपरितुरेकोर्थवानको दार द्रोभवनि यस्य परूपस्यविशालाकिस्तानच्या अनंनतृष्णस्यसंसःदा रिझंकापिनयातीसागमः तुपुनः मनसिपरितुरेसातकोर्थवान कोदरिद्रः पितुनकोपि। 25 ||||5. श्रीरामायनमः श्रीकृष्णायनमः श्रीशांतांनायनमः || || For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandie यदेनि तदहंनजानेएषाकस्यतपसा परिणनिः परिणामोचननेएषाकापरिणतिःयदेतत स्वाच्छंयविहरयांअन्यच्चाकार्पण्यंभशनंप्रचलंभोजनंअन्यचसहायैः संवासः परिकरैः / / सहनिवासः उपशपैकवनफलंउपशमरसोझासितंश्रुतंशावहिरपिचारपदेशपिम यदेनस्याच्छंद्यपिहरणमकार्यण्यमशनंसहायैःसंगमचनमुपशगैर बतफलम् मनोमंदपदंबाहिरापिचिरस्यापिनिमशननजानेकस्यैषापरि णतिरुदारस्पतपसः 51 गोमंदस्यस्पदंकल्पनारहितं अहमि कुन चिरस्य पिरराबायविमृशन पिमृशनां कुर्वन् निरकालंपिनियानसर्थः 516 For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir पाणिरिनिधन्यातुनेएनयेकर्मनिर्मूलयानकि भूताःपन्याः संन्यस्तदैन्यन्यनिकरमिकराः संन्य || स्तोनिराहनादैन्यन्यनिकरस्यानकरोयनेपुनःकिंभूतास्नेखात्मसंनोपिण स्वात्मन्येवसंतोपो येषांनेअन्यच्चयेषां पुरुषाणांनिःसंगनांगीकरणपरिणतिःमिसंयवायाःअंगीकरणमि संगनां गीकरणंतस्यपरिणनिर्निसंगनांगीकरणपरिणानि येषांपुरुषाणांपाचंभोजनभाउंपाणिःहस्तःप पाणिपात्रंपवित्रंधमणपारगन क्षमक्षय्यमन् विस्तीर्णचस्पमाशासुश कममलंतल्पमस्वल्पमुर्वी येषांनिःसंगनांगीकरणपरिणतिस्वात्मसंतोषि णधन्याः संन्यस्त दैन्यव्यतिकरनिकराःकर्मनिमूलनि 52 पनि स्यभक्षय्यमव्ययंभन्नभयंवरूपं विस्तार्ण आशादशकंअमलनिर्मलं असल्पचिस्ताणशय्या उप्रिथ्वीरचरिधरूपेणयेसंसारपारंगशतिनाग्या 52 7 || || For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir || हेसररोजगनिरसायांविदुषःपडितस्यनपसः अन्यत्रान्यतधेयः कल्याणनाथस्वामीभाधप / निदुराराध्यासिनिभुजोराजाना तुरगचलचिताःतुरंगवचलनेतसः तनापयंस्थूलेशा चान्य|| महानिपदे मुक्तिलक्षणेबदमनसः जरादेहंहरनिमहरिदंसकलंजापिनंहरानिननस्तपसा दुराराध्य स्वामीनुरगचलचित्ताक्षिनिभुजोपयंतुस्थूलेछामहतिपदेच्छमनसः जरादेहंमृत्यहरनिसकलंजीवितमिदंसवेनान्यंछेयोजगतिविदयोन्य प्रतपसः५१ भोगापवितानमध्यविलसत्सीदामिनीचंचैलाआयुगीयरियहि नानपरलोलानाजुबद्भगुरम नाथेयोन 53 भोगाइरतिहेवधा योगेपनोवचनकाय संरोधलसणेबुहिरिदचंदनरदासिनणांतुषमायंकयंभोगाः पंचांगाः मेपविनानमथ्य For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kallassagarsun Gyanmandir विलसन्सौरामिनानंचलाः मेघषितानमध्ये रिलसंतीयासौदामिनीवियुत्तरचंचलाभप लाः चान्यरायुर्जीवितंचायुविधहिनामपटलीलानांबुबद्भगरंवायुविधहितायाधपरली तबलानंयदेउपानीयंतररंगरपिनाशशीलतनुभनामाणिनांयौवनलालनातारुण्यातिपा लोलायौवनलालनातनुभृतामित्याकलथ्यद्वतंयोगेधैर्यसमाधिसिहिस लोहिं विदध्वंयुधाः 54 पुण्येयामेवनेयामहेंतिसितपरच्छन्नपालीकपाँ लीमादायन्यायगभाहिजमुबहुनभुभयधूपोपकठम गोलाबारी डॉनभाकलय्यानिमित्यदुनंशाग्रंयोगेमनोपिरधम्भूिनेयोगेधैर्य्यसमाधिमिहिसुल || भे५४ पुण्येनिमानीपाणीभभिमानीपुमानझपार्नःसधन्यःमुटुचरंउदरदरीपूरणायहरारंहारे For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir हत्तैःकिकत्वामहनियामेथापनेकपालीक' आदायराहावाकथंभूतांकपाली सिनपटउन्नपाली सिनपटेनश्वेनवरूनेणउन्नाआच्छादिनापानीयस्याः सातां किं भूतेयामेयाचनेपुण्येपानोकिंभू संहारंन्यायगर्भहिजमुरबहुत भुक भूमधूम्मोपकं न्यायगर्भणन्यायशारूपविनेनदिज सुरखेन। हारंहारं मनो वरमुदरदरीपूरणायसवात्तोमानीपाणीसधन्योनपुनरनुदि नंतुल्यकुल्येषुदीनः 55 चांडाला किमयादिजानिरथवाभूद्रोथर्किनापसा चानत्त्वानिशपेशलमनियोगीश्वरस्कोपिकिम् नमन भातरमसमास धुमस्तेनच्या उपकंटयसनन्५५ चांगले नि भन्नएनयोगिनः पधियागेजनेः एवंभाव्य याणा: नकुडायास्यति नैवतुएमनसोयास्यनिकिंभूनैः जनैः इत्यनेनप्रकारेण उत्पन्न विकल्प / For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir भ- जल्पमुखरैः इतिक्रि भयकि नांडालः यायचाहिजोबाह्मणाः अथवाभूद्रः अथाकिनापसः या यवायोगीश्वरः किंवनोयोगीश्वरः तत्वनिवेशपेशलपानः नवनिवेशे पेशलामनी सामनिर्पस्पा सौएवंविधानिर्विकल्पासएपधन्याः 56 सपेनि हेस हे मित्रतएवधन्याः ये एवंप्रकारेण इत्युत्पन्न विकल्पजल्पमुखरैःसंभाव्यमाणाजनैकुदा पथिनैवतुष्टमनसो यांतिस्पर्ययोगिनः५६ संरधन्याकेचिन्त्रुटितभरबंधव्यनिकरावनांने चिलांनर्विषमविषयाशीविषगनाः सनियंने किंभूनास्ने सुरुननयानक शरणा: सकतानांचयः सरूनचयाश्चत्तेएफशरणंयेषांनेसुरूनचयनिकशरणाः पुनः किंभूनाः || 28 रितभवबंधन्यनिकराः रिनोभनबंधस्यव्यतिकरोयेषांनेचनांनेचनमध्ये नित्तांतपिपरिष For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir - याशीरिपगनाः नित्नांनानसमध्येषिषमायोरिषयएयआशीरिषः रशिवपोरगोगनोयेषांने याविषमारिषयाशागिलिना: पाठः किंभूनांराधिशरचंद्रज्योत्स्माधवलगगनाभोगस भगां शरचंद्रम्यज्योत्स्मयाशरत्कालीनचंद्रमसः कात्याधरलेनगगनाभोगेण विस्तारेण स शरचंद्रज्योत्स्माधवलगगनाभोगसुभगांनयंनेयेरात्रिफलतनयाचिनैकशर णाः 57 एनस्मादिरदियार्थगहनादायासकादम्पयान्भेयोमार्गमशेषदुः खशमनन्यापारदर्शक्षणात् भगा मनोज्ञासा शरचंद्रज्योत्स्माधवलिनाम ५७एन स्मादिनि हेचेनः हे आत्मन् अधुनापसीदपसारकरूएतस्मारिट्रियार्थगहनाघिरपकिस्ता रिट्रियार्थगहनात् आयासकादाश्रयात् कस्सिनआश्रयः कदाश्रयः कदाश्रयस्य भावःकादाश्रयन - - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir 29 | आयासेनकादाश्रय: आयासकादाश्रयस्मात्क्षणात शांतंभावसपैहिकिंभूनंशानभाचंधे || | श. योमार्ग पुनः किंभूतं शानं भानं अशेषदुःखशमनच्यापार रसंभशेपानियानि दुःखानितेला शमनन्यापारेदसः हेनेनः निजांकल्लोललोलांगनिमत्यजपरिहर भूयः भंगुरोविनश्वरांभ शांनभावमुपैहिसंत्यजनिजांकल्लोललोलांगनिमाभूयोभनभंगुराभवरनि चेनःपसीराधना 58 पुण्यैलफलैपियेपणयिनिहाकुरुषाधुनाभूशन य्यानपवल्कलैरकरणैसतिष्ठयामोचनम् परनियाभजसेचयएभिलक्षणैः संसा / / रस्पबुद्धिरेनस्यात्तस्मात्कारणात्तांमाभजेत्यर्थः 58 पुण्यैरिनि हेषणयिनिहेपियेउनिचपनंयायः 29 पत्राविकमूदमनसाईश्चराणांधनवनानामापिनभ्यनेकिंभूनानागाश्वराणांद्राणांनुच्छानांपुनः For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir -- भूनानाईश्वराणांचिनच्याधिनिरकविलागिरांचिनयाधानांजवियन निहलागीर्वाणी नेपाहे पियेपुण्यैः परिर्भः मूलफलैः मानिकरुषअन्यञ्च भूशय्यानवयल्कलै मीनिकुरुष्वकिया नैर्नरवल्कलैः अकरणैः क्रियतेभनेनेनिकरणंनकरणंभकरणंतःकरणक्रियारहिनैः५९ मोहमि शुद्राणामविवेकहमनसांयत्रेश्वराणांसदाचित्तव्याच्यापिकाविहलगिरा मामापिनभूयते५९ मोहंमाजयतामुपायरनिंचंद्रार्धचूडामणौचेन स्वर्गनरं गिणीतरचनामासगमगीकुरुनिहेचेनःमोहंमार्जयनांदूरीक्रियतारमाणिनचंद्राईन डामणौरनिंतोषमुपार्जयरेचेनः स्वर्गतरंगिणीतरभुवाआसंगसंगनिमंगीकुरु नोस्माकंवा थवानीचिषुकहोलेपुप्रत्ययो विश्वासः चान्यज्जल बुडदेपुवर्षाचारिपुटेषुकः प्रत्ययः चायन For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir भन्न || डिल्ले खासौरामिनीघुकः प्रत्ययः पथाएने स्थानानीम्माकं प्रत्ययोनामितथाजावितेषु ६०/श. अयेशनरेनेनोपदिएवमानितराभवरसास्वारनेलंपटत्वं कुरु एवं कियदिनवायंस्फीनंपचर || गातंभपनिअन्यच्चापानोराक्षिणात्यारक्षिगरेशापाः सरसकपयोभयं निभन्यचपटेनाम नोबाचीनियुबद्ददेषुचनाडिल्लेरयासुचस्त्राघुज्वालायेषुचपन्नगेषुसार देगेषुचपत्ययः 6. अग्रेगोतंसरसकॅवयापार्थतोदाक्षिणात्याः पृष्ठलालाय शपरिणतिश्यामरग्राहिणीनाम्यास्येवंकुरुभवरसास्वादनेलपरत्वंनोचे चेनामविशसहसानिर्विकल्पसमाधी 61 रयारिणीयांसंशणालालाशपरिणनिचमचनियदैनिधसौरयं भवनिनरासंसारंकुरुहेचेतःचेदेवननरासहसानिर्विकल्पसमाधौ || परिशमशंकुरु 61 For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir विरमेति हेवुधाःयोपित्संगासरचाटिरमनापिरभिजनकिंभूनात्सुरनाक्षणभंगुराकरुणा मैवीयज्ञावधूजनसंगमंकुरुनविदधतकरुणाच मैचाचपज्ञाचकरुणा मैत्रीपज्ञासैववधूजननस्यसंगम: करुणामबापज्ञायधूजनसंगमसंरचलुनिधिनस्सनमंडलंअथवाोणीविनि बिरमतबुधायोपिन्संगात्फरसानसणभंगुरातकुरुनकरुणामैत्रीपज्ञावधू जनसंगमम् नरपलुनरके हाराक्रांतंयनलनमंडलंशरणमयमाश्रोणार्षि चरणन्माणमवलम् 62 संचविंशरणं कथंभतं मन मंडलं हाराकांतं हाराकिभूषितं पुनः कयंभू श्रोणीविंचरणनमाण मेखलंरणंतीशदायमानामणि मेखलायास्त रणन् भणि मेवलम् 62 For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir || पाणेनि हे आत्मन् अनुपहतविधिः श्रेयसांपुरुषाणांएव पंथानउपहनानामराकृतअनुप ह || न: अनुपहनेन विधिनामार्गेणधेयोयेषांनेअनुयहतविधिश्रेयसनेषांमुक्तानामित्यर्थः तेषामे पोमार्गः कएपमार्ग:पाणायानानिहात्तिः जीवहिंसाविरमः परधनहरणेपरद्रव्यापहारे संयमः पाणापानाभिरतिस्परधनहरणेसंयमःसत्ययामयंकालेशस्यापदानंयुगनिज नकथाकभावःपरेषाम् तृणास्मोनोधिभगोगुरुचापिनयासर्वभूनानुकंपासामा न्यासर्वशास्त्रेपनुपहतविधिःश्रेयसामेपपंथा६२ परिहारःपुनःकिंसत्यवास्यपुनामि कालेशन्यापरानंपुनयिरेषांयुगनिजनकथामकभावः पुनःकिंतृष्णाश्रोनोनिभंगः लोभपना | || हपिच्छेदः चान्यगुरुपुनियःसर्पभूतानुकंपासर्वपाणिरयासर्वशारुषसामान्यः समानभाव:मोसा पार्गिणा मेषमार्गः६३ / / 31 For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirtm.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir मानारनि हेमानलीस्मिकनिहापरंभजस्वमकांक्षिणीमास्मभूः माभूयाः वयंभोगेभ्योनस्पृहया लवः नेच्छचः निस्पृहाणांनिराहाणांत्वंकासिनयंत्रिशासनुभिरेवसंपनीरानीरनिदिनगनजी पिकांसमीहामहेबांछामहे कसतिसयसकालंपूत पलाशएषपुरिकापापवित्रीकनेयोग्यमानपिनजस्तकंचिदपरंमत्काक्षिणीमात्भोगेश्यास्पृहयालचोनहिवयं कानिस्पृहाणामसि सद्यायूतपलाशपत्रपरिकापात्रंपवित्रीकतेभिक्षासतभि रेच संपतिवयंनिसमाहामेहे 64 यूयंचर्यचयंयूयामिन्यासीन्मतिराययोः स्माकं स्थिनिरसदावयंत्वयाकिंकुर्मः 64 यूयमिनि हामित्र पूर्व आरयोः नरममेनिभेदन दिरासीत् कथंयूयं भवनः वयमेव चयमिनि भेदबुद्धिरासीन अधुनाकिंजातं निमित्यै For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandie भन्दै / / नयूयमेव रायंचयमेवयूयमितिअभेदयुहिर्जाना 65 गालात हेपालेहेमंदारतावकीनं || श. 32 || लीलामुकुलितंअमीमंथरा राष्टिपाताअस्मासफिक्षिण्यंतेचिरपनरपतेतवश्रमोव्ययोनिरर्थ- 3 किंजानमधुनाभित्रयेनयूयंवयंचयम्६५ चालेलीलामुकुलितममी मंथराइटिपाता किंक्षिण्यंतेविरमतयतोव्यर्थएषश्रमसें संपत्यन्येव यमुपरतंबाल्यमास्थावनांनेशीणोमोहस्तृणमिवजगज्जालमालोकयामः का संपनिवयं अन्येनेनभवामः अस्माकंचाल्यसुपरने भस्माकमास्थावनांनेकयंसाणः मोहो|| || 22 गतः इदंजगज्जालंतृणामियनुच्छपिलोकयामः 66 5 5 5 5 // For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir इयमिति इयंपालामांपनियझर्नेबंअनचरनं निरंतरफिक्षिपनि कथंभूननेइंदीवरदलप भानोरं इंदीवरस्यकमलस्पटलं इंदीवरदलंनस्यपक्षांचोरयतीति इंदीवर दलपभाचोरंजन इयंचालामांपत्यनरतमिदीपरदलपभाचोरंचसाक्षपतिकिमभिमेलम नया गतोमोहोस्माकंस्मरकुसुमबाणव्यनिकरचरवालाशांनानदपिनवरा कीपिरमति६७ रम्यंहऱ्यानलनचिसतयेभाग्यनगेयादिककिंवापायासमा समागमसरपनेयाधिकंपीतये याकियाभिषेकिंचांछनेअस्माकंमोहोगनःस्मरकुसु। मचाणन्यनिकरवरजालाशांनावराकीतरपिनाविरमति 67 रम्येनिसंतः सत्पुरुषायनांनंगनाः किमिनिसंभावनायांनेषांवसनयनिवासायहर्देनलंरम्यंनाभूतिनथापिसंतोवनांतंगतावनं For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir | सेचयामासः किंतूद्धांनपतत्यनंगपचनच्यालोलदीपांकुरच्छायाचंनलंसकलंजीवलोकंआफन 7 व्यनिनित्यहृदयेशाला इत्यर्थः 68 किंकंदाइति यत्तुरखलानांदुर्जनानांमुखानिचात्यनेपिलो-|| यंतेयत्तदोर्निन्यसंबंधः नकंदरेभ्यः कंदा: मलयमुपगताः अयंजग्मुः वाथयागिरिभ्यः पर्चने कितनांतपतपतंगपवनच्यालोलदीपांकरच्छायाचंचलमाकलय्यसकलंसं तोपनों गताः६८ किंकंदाकंदेश्यापलयमुपगतानिझरावागिरिभ्यः पथ्य स्नावानरुभ्यःसरसफलभृनावल्कलेभ्यश्रशारयाः स्य: मिर्गराः पयसपनाचा थवावल्कलेभ्यस्तरुभ्यः सरसशारखाः पध्वस्ताविनाशमुपजग्मुः कयंभूनाःशारवाःसरसफल भृनः सरसानिफलानिषिधनानिखिलानांमसभयथाभपनिउपगतपश्रयाणां पोल सर्वा For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir किंभूनानि मुखानि दुःखोपाताल्पविनस्पययशपवनानर्तितचूलनानिदुःखेनोपानं उपार्जितंय दल्पमित्तंनस्यस्पयवशपवनेनासमंताद्भावेननर्निनाश्मूलनायैः स्लानि- 6. गंगेति मनुष्याय सापमान परपिंडरतापनेनाकिहिमपनः स्थानानिपलयंगतानि किंभूनानि हिमवतः स्थानाबीस्यनेयन्सुरवानिपसूममुपगनपश्रयाणांरपलानांदुःखोपानात्मवित्तस्मयन शपरनानतितधूलतानि६ गंगातरंगकणशीकरशीतलानिविद्याधरापिन चारुशिलानलान नि गंगानरंगकणशीकरशीनलानिगंगाया स्तरंगाः गंगातरंगा घां कणशीकरैः शीतलानिगंगातरंगकणशीकरशीनलानि पुनः किं भूनानि स्थानानिषि याधरा झुषितचारुशिलानलानिरियाधरैराषितानि अधिषितानि चारुणि शिलात लानि For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir भनै / येषांनानिएवंविधस्थानानिचेनम्पुरमदापरनिरस्कारपिंडरताः नराः भिवेयुः एनायना परावमाना न्येवस्थानानिसंचितानि . यदेनि पानीमान्मेरुः युगांनामिनिहनोनिपतनिसमुद्राःशुष्यनि किंभूनाः समुद्राः प्रचुरनिकरग्राहनिलयाः पचुराश्चनेनिकराः समूहाः माहारूषांपाहानांनसचरजा स्थानानिकिहिमनःपूलरंगनानियत्सारमानपरपिंडरनामनुष्याः जयरामेरुः श्रीमानिपतनियुगांनाग्निानिहताःसमुद्राःशुष्यनिमचुरनिकरयाहानिलयाः धरा गच्छत्यंनंधरणिधरयादैरापर्धनाशरीरकाना करिकलाकारायचपले / नानानिलयाः ये पुर्नपचरनिकरयाहारलयाः अपिपुनः धरासंपराअंनंगच्छानविलयंगच्छनिक || 24 भूनाधराधरणिधरपादै नापिअवलंपिनानदाशरीरेकाचा किंभूनेशरीरेकरिकलाकाकायचपलेक रिकलभानांकारायचपलंनस्पिन // 5 // For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir एकाकीति हे शंभो अहंनाइशकदापिण्यामि कयंभूनोहं एकाकीभदिनायः पुनःकिंभूनः निस्पृहः / / पुनःकिंभूनः शानःपुनःकि भूनः पाणिः पात्रं भांडंयस्यसः पुनः कथंभूतः दिगंबर: रिशः एवअंबरं वस्त्र यस्यासौपुनःकिंभूतः कर्मनिर्मूलनसमः कर्मणांनिर्मूलनकर्मनिर्मूलनंनत्रसमः कर्मनिर्मूलनसम:७२/ एकाकीनिस्पृहःशांनापाणिपामोदिगंबर काशंभोभविष्यापिकनिर्मलनक्षमः 72 मामा धियःसालकामदुपारूतनादितं पदंशिरसिविहिपताननःकिम् सन्मा नितामणयिनोविभसतार्किकल्पस्थिनेननुभनांननुभिमानाकिम ७२मान योलप्प्यः पामास्वनः किंभूनाः श्रियः सकल कामधुघाः सर्वमनोरथदरोग्ध्यापिहिषांशिरसियमके परंदनं मनः किंमणगिन हिनाः निभवैधनै सन्मानिनाम्मनःनिनुभनामाणिनांननुभिः शरीरैकल्यंकल्लांनंया बनास्थिनंपाणिनांननःहिएतस्यानममनैवचरम 73 5 // || For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir भन्यैः || |74 भकिरिनिभनःपरकिंचैराग्यमस्मिनभिक्तिर्भयेमहेशेअन्यबहादिस्थमाणिनामंतस्थमरणाममा यंभन्यवधुपुस्मे होनभन्यचमन्मथजाः कामोद्भवारिकारानभन्यच नाताः पिजनाः जनरहिनाः किं जीर्णाकंथाननःकिसिनममलपदंपहसूत्रननाकिएकाभार्याननाहियकारसगगैरा रत्तोपात्तताकिम भक्तंभुनना किंकदशनमथवागासरांनेतनाव्यिक्तज्योतिर्मयांन मथिनभवभयंवैभवाननाकिम७४ भनिर्भयेमरणजन्यायंहादिस्थस्नेहोनबंध नमन्मथजाधिकाराः संसर्गदोपहिताविजनावनांनाचैराग्यमान किमतःपरमार्थनायम्भू नाचनांनाः संसर्गरोपरहिनाः संसर्गानोषः संसर्गरोपोनहिनाः संसर्गरोष | 25 रहिनाः अनः परंपैराग्याकिमपिनास्तिम्भूितंचैराग्यं परमार्थनीयम् परमनन्त युनम् 75 7 For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir नस्मारिन हेजनाः परियं चेननास्थनत्तस्मा ब्रह्मांछन कयंभूनंत्रमभंतरहिनं भजरंजरान पुनः किंब्रह्मपरमंरिकासियस्य पर बह्मणा: इमेभवनाधिपत्यभोगादयः भानुषंगिणोभनंवि अनुयायिनोपननेनिंभूनाः भवनाधिपत्यभोगादया कपणलोकमनारसोजनाविधमा 76 नस्पादनेनमजरंपरमंपिकंनरह्मचिंतयाकमेभिरसादिकल्पैः यस्यानुषंगिण इमेभवनाधिपत्यभोगादयारूपगलोकमताभरात 76 पातालमारिशसियासि नभोपिलध्यदिग्मंडलंधमसिपानसचापलेन पानालमिति रेमट पानालमारिशसि अन्यच्चनमः आकाशक्लिंघ्ययासि अन्यचदिग्मंडलेश्चमासिकेन मानस चापलेन मानसस्यचा लनजानु कदाचिन यांन्यानामकथनस्परासियेन ब्रह्मणानिति मेषिमुदिमामीपि किं For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir ब्रह्म आत्मनीनं आत्मनिहिनं पुनः किं पिमलंनिर्मलम् 27 रानरिनि अहोइनि दुःखे असुना || एवंविधनसंसारेणकरर्थिताः मोहान्मौट्याकथनलज्जामहेकैः व्यापारैः किंभूतः व्यापारैः पुन रुक्त क्षक्त विषयैः पुनर्विहितानि पुनरुक्तानियानि तानिभोजनानिअन्यत्र विषयाः पुनःपुन नात्यापिजातविमलंकथमात्मनीनड्रह्मनस्मरासिनितिमोपियेन ७रा घिसैरपुनःसंरचदिवसोमत्याचुधाजनरोधात्युचामिनस्तथैव निभृतामारण्य नतालिया रुकाः धाः पंडिताःनवः पाणिनः उद्यमिनः उयमवंतीपाति किं ||भूनाः जंतवः तथैवपुनः पुनर्निभनपारब्ध तत्तक्रियाः वारंवारं शनापारधातत्तक्रियायैस्ते || || 26 फिरुत्वानांराधिमत्वाचान्यसुनस्तथैवादिवसंमत्वाज्ञातायनः पुनारजनी पुनरपिदिवसःपुन For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir नरपिदिवसः पुनरपिसायंपुनरपिवर्ष पुनरापदः पुनरपिचालः पुनरपियानिसमेतिन कालः गचंविधंकालस्यसरूपंज्ञाचातस्मात्संसाराहिरक्तिरेव नभवनीतिबाग 78 महीनिशांनी व्यापारैःपुनरुक्तानविषयैरेसंविधनामुनासंसारेणकदार्थना कथमहोमोहा नलज्जामहे 78 महीरम्याशय्याविपुलमुपधानभुजलताविनानंचाकाशव्यजनमनुकूलोयमनिलः . मुनिःसरपंयथाभपति तथाशेने यस्यमुनेः महीशय्या पृथ्वीशय नंयस्यमुनेपिपुलंउपधानं गडुकंचान्यदितानंचंद्रोदयः आकाशंभयन मनुकूलः शीतलः पवनः व्यजनः तालनः चान्यचंद्रः स्फरडीपः नान्यहिरानि यामिना समं प्रति उदितः मन। For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir निः कश्चनपइव यथानृपः पहाशय्यापृथ्वीशयनशय्योभपनि अन्यचारिपुल उपधानोभ पनि विस्तीर्णगंडुकोभवनिचान्याकाशंपनिमतकोपरि रिनानं भवानिचान्यजनानिलेन चीजितोभवनि अन्यच्चस्फुरदीपोभवानि अन्यच्चानना संगपनि उदिता भवानि किंभूनोमानः स्फुरदीपश्चंदोनिर्तिनितासंगसुरिनः सुरवंशांनूःशेनेसुनिरननु निर्नपईच 79 त्रैलोक्याधिपतित्वमेवाविरंसंयास्मन्महाशासनले ध्या सनबस्लमानघटनागरातमाकथाः बायनप अनि अननी प्रतिधिनियस्य पसलक्ष्मीः 70 त्रैलोक्यनि हे आत्मन नत्पर बनलब्या भोगे || 27 रसिंमारुयायास्मिन्परपलागि एप निश्चयेन त्रैलोक्याधिपनि वंविरसंचनने कि भूनेभोगे आ For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir || सनवरूनमानपटनेआसनसिंहासनंसरखासनादिवरूपाणिचीरांशक पहदकलादीनिमा || महत्त्वामित्वमानादितेषां घटनं आसन यस्लमान घटनं नास्मिन एवं विविध भोगेकार ||निः कोपि संभोगः एकएपपरब्रह्मानित्योदितः सन् उज्जृभनेयत्वारान्यस्यब्रह्मणोरस मोगः कोपिएकएपपरमोनित्योदितोभनेयवादाहिरसाभ निविषयास्पैलोम्यराज्यादयः 0 किंदैस्मृतिभिःपुराणपठनैः शास्पैर्महाविहारेः स्वर्गयामकुरीनिवासफलदैकर्मक्रियाविश्वमैः || बारात् त्रैलोक्यराज्यादयोविषया पिरसा भनिमोक्षरायकसान किपिनिवेदैःस्मिन निभिः किं पराणपठनैः किंशास्त्रैःविकिपूनःशास्वैर्महारिसरैः महानाविस्तारोयेषांने तैः क For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir || मक्रियाविश्वमैः किंभूनः स्वर्गयामकुरीनिवासफलदैः स्वर्गमस्यकुरीवर्गयामकुरीतस्या निवासफलं ददतीनिसर्गयामकुगनिवासफलदरा तैः एकंसात्मानंदपदपशकलनसका यो यो सौ आत्मास्यामा नस्ययदानंसदस्वात्मानंदपदंस्थानंतास्मन् यः परेशः नस्य कलनं मकैकंभावबंधदरवरचनाविध्वंसकालानलंस्थात्मानंदपदपदेशकलनं शैषावणिकरत्तयः१ मा पुनः कथंभूतं भवबंधदुःख रचनाविध्वंसकालानलं भवस्यसंसारस्ययोबंधः तस्ययानि दुखानिनेषापि,सोनाश: नहिषये कालानलं पल यानि एनारशंएकंज्ञानं मुक्त्वात्यत्का शेषेरारिभिः किं न किमीत्यर्थः शेषाः क्रिया पणि || वृत्तयो वणिगाचाराः 1 ||28 For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir || आयुरिन हे उत्तमाः ब्रह्माणिपर ब्रह्माण आसक्तचित्ता भवनयूयां कभवभयांभो धि पारंनरी तुंभवभयांभोधेः पारः भवभयांभोधिपारसंशेषसमसमास्थिरंकिंकिंभायः आयुःकल्लोललोलेकतिपयदिवसस्थायिनीयौवनश्रीरासंकल्पकल्पा घनसमयताडिदिनमाभोगपूराः कनाश्लेषोपाइंतरपिचनावरंयस्थि याभिःमणीतंब्रह्मण्यासकरित्ताभरतभवभयाशीधिपारंतरीतु 82 कल्लोललोलं समुद्रकझोलचपतंयौवनश्रीः कतिपयदिवस स्थायिनी कतिपयदिवसान स्थादृशाल मस्याः कतिपयादिवसस्थायिनी अर्थाः संकल्प कल्पाःसंकल्पतुल्या भोगपूराः For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir स। | धनसम पनरितिक्षामा परममयतारहतारिनमो येषांने घनममना दियाः पिया। श. 2. भिः प्रणीनंयत्कंठालेपोयगूदनदपिचनचिरंतस्मात्कारणात्परं ब्रह्मएरशाश्वतम 2 व 3 मारमिनि मनामनोनितेंद्रियस्य ब्रह्मांउमंडलीमानाकंलो भायजायने भपितुनब्रह्मांडस्य ब्रह्मांडमंडलीमाकिलोभायमनस्विनः शफरीस्फुरिनेनाव्येसुब्ध ताजानुजायते 3 मंडलीबलांउमंडलीसैयमात्रायस्यनन अन्येः समुद्रस्य शफ / / ||री स्फुरिनेनमस्यिकावास्यतेनजातुकराचिनायनासोभनाजायने भपित्तन तथामनसि || 29 न पुरुषस्य ब्रह्मांड मंडलीयाचंलोभायनजायने 5 5 5 5 // For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir यदेति यदायास्मिनपराअनानंभासीत्तदाइदमशेपंजगदपिमयागारीमयंरपंकिंमत मज्ञानंस्मरतिपिरसंस्कारजनितंस्मरस्यकंदर्पम्पयत्तिमिरअंधकारंतस्यसंस्कारेणपूर्वभवोद्धा वपरिणामेनजनितंइदानींसांप अस्माकंसमीभूतारषि: समतापरिणामेनालंकनचेनःषिभु यदामीदज्ञानंस्मर निमिरसंस्कारजनितनदाहनारीमयमिदमशेपंजगद पिइदानीमस्माकंपदुनरपिचेकांजनजुषांसमीभूताइटिस्त्रिभुवनयापनमननुने८४ बनमपियननुनेपरब्रह्मस्वरूपपिस्तारयतिकिंभूनानामस्माकंपटुतररिचेकांजनजुषांपक एःपदुतरोयोसौविवेकःपदुसररिवेकः पदुतरानवेकोजनेनजुषः पटुनरपिकांजरजुषस्यों अथयथास्थिनसंसारस्यस्यरूपंपश्यापः 84 For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir रम्याइनि चंद्रमरीचयो रम्या वनांतस्थलीरम्याकिं भूनास्थलातृणवनीशाइलासाधुसमागमो रम्यःशयसरपंरम्यं काव्येषुकथा रम्याअन्यचपियायामुरररम्यं किंभूतमुरकोपोपाहिनगष्याबिंदु रम्याश्चंद्रमरीचयस्तृणवत्तीरम्यायनांतस्थलीरम्यःसाधुसमागमःशमसरसंका ज्येषरम्याः कथाः कोपोपाहिनबाष्पादितरलंरम्यंमियायासुरसंसःरम्यमनित्य तामुपगतेचित्तेनकिंचित्युनः८५ भिक्षाशाजनमध्य संगरहिन सायनचेष्ासदा दानारामविरक्तमागानिरतःकाश्चत्तपस्वीस्थिनः तरकोपोपारितंकोपेनाशि नयापसिंदखेननरलंचंचलंमुखम पुनः अभियनामुपमतेसंशमरिसर्चरम्यनकिरी // न निक्षेनि एरिधनपस्वीजनः कधिहिरल: स्थितोपर्त्तनेकीरशोजनःमीक्षाशीभिक्षा | For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir भोजनः पुनः कीदृशःजनमध्यमंगरहिनः पुनः कीदृशः सर्वदास्यायनचेष्टः स्वाधीनमानसपरि णापः पुनःकीरशःजमदानादानाविरक्तमार्गनिरतःदानंचादानंचदानादानेनयोरिरक्तमार्गेनिरा नापनकीरशारथ्यासीणपिशीर्णजीर्णवसनःसंपाप्मकथासरबोरथ्यायांसीणानिनिजीनि रथ्याशीणविशीर्णजीर्णनसनैःसंपासकंथासरसोनिर्मानोनिरहंक्रनिःशमसु खाभर्गिकबदस्पृहः 86 5 वसनानि रथ्यासीगा निशाण बसनामितः कलासंपामाथासनीसहायिनीयेनसःपुनःकी रशःजनःनिर्मानः पुनःकारश:निरहंकानिरहंकारः पुनः कीरशः जनः शमसरवा भोगैक वह स्पृहःशमस्यसरशमसर नस्या भोगे विस्मारेएकानडास्पृहायेनसः 86 5 For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir भ मानरिति हेमानः हेमेदिनि हेनान हेमारून हेनेजः हेमबंधी हेजलहेश्यानोपभवनापंचन लानामेषःप्रणामांजलिः बहोमिनथाविधेयं यथापरेबमाणलीयेलीनोभवामि कथंभूनोहं यु पत्संगवशोपजान सहनोद्रेक स्फुरनिर्मलज्ञानापानसमस्लमोहमहिमायुष्याकंसंगवशलेन मातर्मेदिनितानमारुतसरखेनेजःसबंधोजलश्चानोमानवदरावभवता मेषमणा माजालियुष्यत्संगवशोपजातसुहतोद्रेकस्फुरन्नर्मलज्ञानापास्त समस्लमोहमाहिमालीयेपरेबह्माणि.. सुष्प संगवशेनउपजातो योसौस-|| || हतोद्रेकस्मात्स्फुरनिर्मल सानेन भयास्तापिरास्नासमस्तोमोहमहिमायेनमः 87 For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir यादिनि विदुषापंडिनैनात्मभैयसिमोसेतावदेवमहान्ययत्नः कार्यः याचदिंकलेवरगृहे शरीरमंदिरंगमस्थंवर्ततेसमाधापपरायणंवर्नतेचान्ययावन्जरारेवर्नते अन्यदिद्रियश | तिः अपनिहनावर्नतेनान्ययाचदायुषःक्षयोनास्तितावदेवस्यहितेयत्नः कार्य भवनेगृहे यावत्स्वस्थमिदंकलेवरगृहंयाचचदूरेजरायाचंद्रियशक्तितिहनायाच तक्षयोनायुषः आत्मश्रेयसिनावदेवविदुषाकार्य:भयनोमहान्योहीनेभवनेच कूपरचूननेपन्युयमः कीरानाध्यमाचनिगरिददमनीषियाविनीनोनिता रखेड़ायैःकरिऊभपाउदलनैर्नाकंननोनयशः उहीमेसानिनिाभनपरपननेवारशः पस्सयमा नतुराहे प्रदीमेसनिमः वनितुं शम्यने नेनिरिथिन्यांचियोनमभ्यस्मारि For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir भन्नैः // भूतारियापारिरंददमनीयुनः किंभूनारियाविनीतोचिनारिनयवतः पुरुषस्ययोग्यारवनायक पिणाराभिःयशोनांकमर्गलोकंपनिननीनंकीदृशैःखदायैः करिकुंभपीउ दलनैकारणांऊंभीर उदलनेशीलंयेषांनेनयानैश्चान्यचंद्रोदयेकांनाकोमलपल्लनाधररसोनपीनः अहोइनिरपेदेनारु कांनाकोमलपल्ललाधररसापानोननंदोत्यनारुण्यंगत्तमेवानिष्फलमहोशू न्यालयदीपवत् 89 शानसतामानमदादिनाशनकषांनिदेनन्मरमानकारणम् ग्यं यौचनं निष्फलमेवगतचित्भून्यालये रीपचन् 89 सानमिनि सनासपुरुषाणांजानमा नमदादिनाशनं भवनि केपनिदधमानांएनन्जानंमदमानकारणंभवनि अनुक्तमवार्थकार रेशनेनदयनि यगिनांमुनीनांविविक्तं स्थानं एकानपदेशः विमुक्तये भवनि संसारच्छेद For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir नायस्याकामातुराणांपुरुषाणांगिविक्कंजनरहितं अनिकामकारणंभवनि कामविकारायस्या त 90 जीर्णाइनिमनोरथाः स्वरदयेजीर्णा एक्यौवनंजराच्याहनोतिरसेदेचान्य हणावंध्य फलनांगुणनिायाना अक्षमीबलवान्कालोयमः सहसाभ्युनिहिनिश्चिनं आमनानभा स्थानविविक्रयमिनोविमुक्तयेकामातुरामामनिकामकारणम् जाएवम नोरथाःसहदयेयानंजराचीरनेहनांगेषुगुणाचवंध्यफलतायातागुणहर्जिना किंयुक्तंसहसाभ्युपैतिचलनान्कालाहनानो समीयाज्ञानंस्मरशासनांधियु गलंमुन्कालिनान्यागनिः२० बेनज्ञानं पिपुरांनकापियगउंमुत्ला अन्यागनिास्ति किंभूनः कानः कृतांतः सनः अंनो येनस रुनांतः 917 For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir भ नृपनि पाणीसलिलंपानीयंपिपनि कसनि आम्येचदनेन्पाशथतिमनिम्भूिनंसलिलं स्वादु / श| सराभिमाणीक्षधानःसनशालीकवलयनिकीहशानशालानशाकारिगलिनानम्भूिन मायारा गाग्नौपदी सनिसहरतरंयथाप्नपति व भार्या प्रालिप्यानिआलिंगनिजनःपाणीच्याधेपनी तृषाभुष्यत्यास्यपिबतिसलिलंसासरमिसपार्नःसनशालीनकालयनिशाका दिवालिनान प्रदीरागाग्रीसदतरमाश्लिष्यनिवडूंपनी कारोच्योधःसरपिति विपर्यस्यतिजनः 92 स्नालागांगैपयोभिःशचिकुसुमफलैरचयिताविभोन्नांध्ये येध्याननियोज्यतिनिधरकुहरयाचपर्यकमूले कारः उपचारःसखमिनिरिपर्यस्यनिरि पर्यासंकरीति 92 रूमालेति हे स्मरारेकदादुःखान्मोकिलागांगै:पयोभिःस्मानाहेनिनोचा For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandie न्यनलाशनिकसमफलैरनायित्वासिनिधरहरावपकमलेध्येयेकर्मणिध्यानं निवेश्यति निधरस्यकुहरांतिनिधरकुहरंतस्ययापनदेवपर्यनस्ययन्मूलंनम्पिन्मिभूनोहंभात्यारामः पुनः किंभूनो ऽफलाशीपुनःकिस्तः सत्यसारा द्गुरुवचनरनः पुनः किंभूना ध्यानमार्गेकमश्नःपु आत्मारामोऽफलाशीगुरुवचनरनरुवन्यसादास्परारेस्रयान्मोस्यकदाहंनव चरणरतोध्यानमार्गप्रश्नः९३ शैय्याशैलशिलागृहंगिरिकुहावस्त्रतरूणांवचः सारगाःसहाननाक्षातरूहाशताफलःकामलाना भिना नाचरणतः 1 शय्ये नि येषांपुरुषाणांएवंविधा स्थितिः तान अहंएवंमन्येनएच परमेश्वराः साकास्थिनिः शैल || ||शिला शय्यागिरिगुहाएहनरूणांत्वचः ननसहदः सारंगाः ननुमानितंतिनिकहाणां For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir भन्दै साणाकोमलैः फलति मिनरमंबुपानं एवंनिश्चयेनग्न्येवमहोचिताभगनाइवविद्यायपा मिनिने ईश्वराः यैःशिरमिसेवांजमिनबहः९४ सत्यामिनिहिनिश्चितंयदिचन्दुःस्थेसकीये कुटुं| बे अनुकंपांरूपांनाविभयान यत्तदोर्नियःसंबंधइनिन्यायान ना कोयविहान अनीवदुःखायेषानि झरमंचुपानमुचितरत्येषियांगनामान्येने परमेश्वराः शिरसिौर्नुहो नसेवांजलि:५६सन्यामेवात्रिलोकीसागनिहरशिरविनीपच्छरायांसहर्तिक ल्पयंन्यांवरचिटपावैर्वल्कलैःसफलेन सिकानांनाराणांचनं चास्यन अपितु कोपि नकयाविषनिज्जरसनननितारुकूनयाक म्यांसन्यांविनोकीसरिनिगंगायांसन्यामंगभूना यांसरिनिहराशरबिनीपच्छरायोहरशिरलंबिनीईश्वरमाकस्परमणीयच्छ रायपदेशोय For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir www.kobatirth.org ||स्याःसापुनारिंभूनायांत्रिलोकीसरिनिसरनिसदावरंकल्पयन्यांपरयन्यांक सकले भिनः || सन्फलैःचविटपभपैटहसोद्भः 15 उयानेषिनितांकाशीपरिहत्यपरित्यज्यहनरनिग्ने देखि कोयविहानपिपत्तिज्वरजनितरुजानीवर स्पासिकानांवचीत्येनदास्थ्य रिहिनरिभृयात्स्कुटुंबेनुकंग:५उयाने विचित्रभोजनाविधिस्लीवातिनावं नपःकौपानाचरणंसवस्त्रममिनंभिसारनंमंडनम आसन्नमरणंचमंगलस मंयस्यांसमुत्पद्यनेनांकाशीपरिहत्यहनविबुधैरन्यत्र किस्थायने 16 स य प्रस्थीयने अपितुनयस्यांकाभ्यां उद्यानेषुपिचित्रभोजनानिधिःचान्यत्तीबानिनीचंतपःचान्यस विस्कोपिगवरणमंग्नंगाम्ययस्यांअमितंभिसासंयस्यांकाश्यांमंगलसमंआसनमरणं समुपद्यते नांकाशीमन्मा अन्यत्रकर्षस्थायने 98 For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir नायमिति यदिमनः स्वामीयांवचोदारेषुश्रुत्वाद्रस्यतिकुप्यनि इनि किनापनेममयःमनियस्ता योनाम्निमधुनारहस्यंमंगालोचनाय:सामानिनिनिमीलनंकुरुतेरचेनस्तानपभून पहायरि वेशिनुः परमेश्वरस्यमहेशस्यभवनंयाहि किंभूतंभवनागरौंपारिकनिर्दयांत्यपरूपंनिर्गनोरौ नायनेसमयोरहस्यमधुनानिद्रानिनायोयदिस्थित्वारस्यानिकप्यानिपचारिति दारेषुयेषांवचःचेनस्तानपहाययाहिभवनंदेवस्यविश्चशिनर्निरौंगारिकर्मियो स्यपरुषंनिःसीमशर्यपदं नारिकोयम्माननानौँवारिकंमतीहाररहिनापर्दयोक्याक गोक्या:परुषाः यस्मिन् नानियोक्त्यपरूपंनिरौर्चारिकंचनन्मियोक्त्यपरूपंचानीपारिकांस्यप रुपनसुनाकिनरिसीमशर्मपदं सीमारहितंशर्ममौरयंपददातानि भनिनिर्मलसौरख्यायकं९७ For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirtm.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir पियसरवीति हे पियसारिपरपलोविधिः पराङ्मुखोदेवः नोजानामः अबइदानी किंपिधास्यनिअयो विधिनितानक्रेनिघायचलासिंडी कृत्यमनोधमयनिकिंभूनेचिंताचके विपदंडवानप्रतापपरंपरापरिचपलं विपदंडवातः तस्ययापनापपरंपरानयापरिचपलंचपलं नास्मन्मनः कामिव मृदामिनापि पियसविवि पहुंडवानपनापपरंपरापरिचपलेचिंताचक्रेनिधायविधिःखलः मृदामिवचवलासिंडीकृत्यपगाकुलालवतन्त्रमयतिमनोनीजानीमाकिमत्र विधास्यति 18 महेश्चरेबाजगतामधीश्वरेजनाईनवाजगदनरात्मान प्रगल्भकुलालवत यथापगल्भकुलालः मृदंमृत्तिकांबलासिंडीहत्या के निधाय घमयनिएनाचना विपरीनंविधः पिलसितंकोपिनपेनि 9- महेश्वरेवेनिमेमममहेश्वरेयाययाजनार्दने पासदेवेवस्तुनः Mam For Private and Personal Use Only
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________________ Shni Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandie प-पै| | भेदस्यमतिपनि सिकिंभूतेमहेश्चरेजगनामधीश्वरेधिवचनस्याधिपनौकीदशेजनाईने जगाश 46 दंतरात्मनिजगतारिश्चत्रयाणांअंतरात्माजगदंतरात्मा नास्मिन उभयोर्दैवयोर्मेममचेतस्पनरंना 3 |लि एवंभवामि तथापिनरुणेंदु शेखरेश्रीमहेशेमेभक्तिः 99 रेइनि रेसंदर्षकोदंडटंकारकैःकरं || नयोर्नभेदापतिपत्तिरासमेतथापिभाक्तिहरुणेंदुशेवरे ९९रेकंदर्यकरंकर र्थयासिफिकोदंडटंकार रेरेकोकिलकोमलैः कलरैवैकिलंस्थाजल्यास किंकदर्थयास रेरेकोकिल कोपलैः कलरवैः पंचमसर: किस्थाजन्ममि हे पुग्धे नरका || सैरलंपूर्यनां किं भूतैः कयौः स्निग्ध विदग्धश्च मधुरभ संपो येषांनः भवना पूर्वी- 46 क्तानांतनिखिलं भपियर्थ नस्माचेनविननंद्रचूडचरणथ्यानामनं बनने चंपिनं For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir चंद्रचूडस्यमहेशस्यचरणध्यानामृतंयेननन पिनचंद्रचूडचरणध्यागमनम् 100 कौपीन | मिनि योगीसर्वसंगपरित्यागीसतिष्ठति किंभूनोयोगीवनाशेषपदभमाद मुरितः धसानिराहता अशेषाःमदममारास्नै मुदिनः कीरशी कंथापुनः नारशी!काशनखंडजर्ज मुग्धस्निग्यविदग्धक्षेपमधुरैर्लोलैःकदारसंचेतश्चपिनचंद्रचूउचरणध्या नामृनवर्तते 100 कौपीनशनरखंडजर्जरतराकंथा नसाहशीनिधितं सरवसाध्य भक्ष्यमशनशय्याश्मशानेबने रतरानिमितं अशनसिंचन अशनं सरवसाध्य भैश्यं सरयेनसाध्या एवंविधायाभिक्षानन समुन् पन्नं अन्यञ्च शय्याश्मशाने |वनांनेययापिपिचामित्र समानतामित्रनमामित्रवामित्रापित्रौ नयोः सारश्यंसामान्यंय For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir भ|| || स्याः अथपश्चान्शून्यालये अनिनिमलानिर्मलाशहाध्यानलक्षणार्षिना अनःसारणात यो| || श 17 गानित्यमुक्तः संसारेफरनिराति 11 भोगेनिरेलोकाः चेरिनैर्नवनाविकल्यापारैः / / संपूर्यनायरिदस्मदचः श्रदयं बहायोग्यं नदास्पधामनिसकाये शरीर मंदिरे कामोचिनि मिवामित्रसमाननातिषिमलाचिंतानिशून्यालयेध्वस्ताशेपमुदपमादमु दिनोयोगीसतिष्ठानि 101 भोगाभंगुरलयोबहुविधासरेवचायंभर कस्यैवरुनेपरिषमनरे लोकाः कृतनाष्टनः नशे रजया केवल चेनः समाधीयनां किंभूतंचेनः भाशापाश शनोपशांनि विशदं आशापा शस्य शनंआ शापाशशनंतस्योपशात्याविशदं निर्मलंयनी भोमाभंगुरहत्तपः भंगुरादिनभत्तियां 3 For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir नविभूनाः भोगाः वहविधा भनेकपकाराएवनिश्चयेनबहविभौगैरयंभवः संसारण्य रे लोकाः तस्याकारणाकस्यकनेपरिश्चमतनमणंकुरुत 102 धन्यानापिति धन्यागां मनुष्याणांएपस्थित भायुः सायने किंभूनानांपन्यानांगिरिकंदरे ययाम्कुिर्वनांप आशापाशशनोपशानिरिशदचेन समाधीवनां कामोचिनिशेमधाम नियदिश्रद्देयमस्महतः 102 धन्यानांगिरिकंदरेनिनसतांज्योतिपरं ध्यायतामानंदाश्रुजलंपिबतिशकुनानिःशंकमंकेशयाः ज्योति यायतां ये पां धन्यानामानंदाश्रुजलंनिःशक शंकाराहतं शकुनाः पक्षिणः पिबंनि किंभूनाः शकु नाः अंकेशया उत्संगसमारुतः तपुनरस्माकमधन्यानांआयुरेवं मनोरथ परिसीयनेम्भि For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir भनै| | तानामस्माकपासादवापीतरीडाकाननलिकौतुक जबांउपरचिनायाः पासादनापीनटकाश काननके लयम्मामांकौतुकंजुपनाति पासादनापीनर कीराकाननकलि कौनुकजुषःनेपामा 103 आमानमिनि एभिः पकारैः किनयसं भन्यच केजनानग्रस्ताभरणेनजन्मभाषानं म्हं अस्माकंनुमनोर्थोपरनिनणासाद्वापीन क्रीडाकाननलिकौतुकजुषा मायुत्परिसीयते 103 आधानमरणेनजन्मजरयावियुच्चलंयोग्नंसं नोर्षोधनालिप्सयाशमसरोदरागनाविनमः धन लिप्मया मनोष आघान: पौरांगना विश्वमैः शमस आघातं निरसं मत्सरिभिलोंकैर्गुणा भाषाना निनाशिनाः न्यालैः दुएसर्जनभुव आपाताः दुर्जनैनपाः भूपाला आघाना यम्माः विभूनिरपि अस्थै For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir ॥र्येण भाषाना अपहता नाहकालेननकिनिििकनपिनश्यनि अपित सनसत्येव | 104 आधानि नामानि संबोधनेनातियानिरंकुशेन विधिनादैचेनसास्थितांनर्मित किन इद शरीरे भाधिव्याधिशनैरमिनमनिशयेन आरोग्यमन्मूल्यने नत्रआधिौनसीपाडाव्याधिः लोकैर्मरारिभिर्गुणाचनभनोच्यालेण्टु नैरस्थैर्यविभुतिरप्यपहनाय स्तन किंकेनवा 104 ऑधियाधिशतैर्जनस्यविविधैरारोग्यसुन्मूल्यनेल स्पीयरपताननवनिरत्तहाराइवच्यापदः रोग समययस्मिनवान माणे लस्माः तत्रस्थानेवर्ननेच्यापरः पिचन हाराइयो झारितरूपाराइनपत्ते अश्या निश्चिनं आश शीघ्रं मृत्युर्जानजानंउसनं उत्पनं आत्मसात्करोति आत्मा यत्न रिपत्ते For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir भन्ने नः अस्यदैवस्यनिर्माणे किमपिस्थिरं नास्तीत्यागमः 1.5 कृलेणेतिरेमनुष्यावदनक-श थयन यदिचसंसारेवल्पमपि फराकिंचिदस्निगर्भमध्ये कच्छेण कष्टेन नियामिन ननुभिः 2 जातंजातमवश्यमाशचिशमृत्य-करोत्यात्मसात्तातिनामनिरंकुशेन विधिनायनिर्मितसस्थिर 105 कृच्छ्रेगामेध्यमध्यनियमित तनुभिःस्थीयतेगर्भमध्येकांना विश्लेषदुःखच्योतिकरविषमेयौवनवि प्रयागः संकोनित शरीरैः स्थीयते भिनेगर्भमध्ये अमेध्यं मध्यं यस्यनरमेध्य मध्यं नम्मिन् संसारे यौवनविषयोगःकिंभूनेयोचनेकांना विश्लेष दुःख व्यनिकर विपमे कां| ||49 लायाविश्लेष: कांनारिश्शेषतस्य योसौ दुःखन्यनिकरसेनारिपमः कांना विश्लेषदुःखव्य For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandie निकरानिपमः तास्मन्नपिपुनर्गरीणाम ज्ञापगणनंतेनविलसति भपिपुननियतनिधि नंबहभागः यस्मादसाधुः अस्माकारणासंसारेकिमपिसौरव्यं नास्ति 106 आयुरिति नारीणामष्यवज्ञापिलसतिनियूनंदभावोग्यसाधुः संसारेरेमनु, ष्याचदत्यादिसरवस्यल्पमप्यस्ति किंचित 106 आयुर्वर्षशतंनृणां प्रिपितराचौन्दर्धगनंनस्याईस्यपरस्यचाईमपरंबालवडत्याः शेषच्याधिषियोगदुःखसहितंसेवादिभिनयिंतेजावेगरितरंगचंचल नरेसौरव्यंकुतःमाणिनाम् 107 पाणिनां सौख्यं कुनः कथंनृणां मनुष्याणा मायुर्वर्षशनं पारामिनंतस्यायुषोर्वपशवपमाणस्य भईरानीगनंशयानम्यननोनं नरेन For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir स्थपंचाशतभईस्यकदाचिदापि अधिक महमपियालबहहत्वयोर्गनशेषमायाधिरियो। गशोकसहिनसेचादिभिः कर्मभिनीयने किंभूनेजीवेजानिये चारितरंगचंचलतरंगवारिणः समुद्रस्य नरंगासदचंचलतरंगारिसरंगचंचलनरंतस्मिन् 107 ब्रह्मनिबह्मज्ञानारि ब्रह्मज्ञानविवेकिनोऽमलधियःकुत्यहोदुष्करंयन्मुंचंकपभोगकांचनध मान्येकानतोनिस्पृहा नपासानिपुरानसंपतिनचपासाहदपत्ययावस्था मात्रपरिग्रहाण्यापिपर त्यक्तुंनशक्तावयम् 100 दिन अपलानिर्मला धार्बुधिर्येषांने अहो इत्याश्चर्ये दुष्करंनत्कुर्वनितात उपभोगान्नभनि भनि एवं भू तानिधनान्यपि मुनि त्यजति अनः एकांनतो निस्पृहाविरक्ताः वसंतुपुरानपाप्तानि सं|| For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir पनि अधुनानसंनि अग्रेपि मामौद्धमत्ययो निश्चयोनाने एवंभूनानिधनानित्यक्तुं नश काः कयंभूनानि धनानि वांछा पात्रपरिग्रहो येषांनानि वांछा मात्राणि ननुपयसाणि 108 व्याघ्रीवतिषनिजरापरिनज्जयंतीरोगाश्वशस्त्रवइयमहरनिदेवं आ युपरिस्पतिभित्रयादियांभोलोकाथाप्यहितमाचरतीतिचित्रम१०९ याप्रीपजरापरिनर्जयंती अयोतिषति रोगाश्वशत्रव इव देहं पहरनि आयुश्चभिन्नघरा दिवयथा अंभः उदकं परिमानि नयापतिदिनं आयुष्यं क्षीयते एवं सातिलोकः अहित आचरनि इनि पित्रं आश्चर्यम् 9 - - For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir सजनीति अशेषाःममयायेगुणाः शौर्योदार्य दयारासिण्यादयनेपांआकर: रपनिःसकल गुणोसादकपिनियावन भुवः पृयिन्याः अलंकरणं अलंकारः सौभाग्यमिनियापनएनारशेपुरा ||रुपरलंबमासजनि उत्पादयनि नराबमणोऽ तीवनानुकिंचनसुरुषरवनक्षणभगिननस सजनिनावदशेषगुणाकरंपुरुषरलमलंकरणंभुवः नदपिन क्षणभंगिकरोनिचेदहहकष्टमपंडिननाविधः 11. 5 णनाश शीलंकरोनिवेत्ताह भहहानि खेदेकरननुबसणो नीचा परितनामौरय॑पित्य यः कुतः पारामे सयमारोपिनान्जलसेचनेनवाईनान रक्षान् मयंरेत्तुपसमर्थ इनिती || 52 कमसिई: 1 श्रीगोपालरुणायनमः थामज्जगदीश्वर समर्थ श्रीराम 7 For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir गामिनि गात्रंशरीरसंकुपिन्सकोचंपाप्तंगनिर्गमनविगलितानपादनाबालिनपतिः चसापनिनेत्यर्थः दृष्टिः अवलोकन नश्यनि अंधत्वंपासंबधिरना कर्णेद्रियवैकल्यंवर्धते निकले गावंसंकुनि गतिर्षिगलितानाशचनावालहर्निश्वनिवर्धतेबाध रनावकंचलालायते वाक्यंनाट्रियतेचबांधवजनोधार्यानभुश्रूषने हाकष्टंपुरुषस्यजीर्णययसः पुत्रोप्यमित्रायने 111 5 7 उच्चैपुर मपिनश्रूयते वकंलालायने लालामाचंकुरुते बांधवजनानाम्यनाट्रियनेनसाहब यनेभास्त्रिीनशुश्रूषते सेवांनकुरुते हाइनि खेदे जार्णवयसः पुरुषस्यकएं दुःखंयनः || साक्षात्स्यपुरोपिअमित्रायने शत्रुवराचरनीत्यर्थ: 111 1 6 For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir भयेमणमित क्षणवालोमत्वाबालः सनक्षणमयियगातरुणः सनकामरमिकः कामेष विवश विश्वरामकः नियुगाः क्षणपिरैर्द्रयहीनः ररिद्रः क्षणमपिचपरिपूर्णविभवः पश्चान जरयाजीः अंगैः चली मंडिततनुः पलिभिमंडिता आकांनाननुर्यस्यनरः संसारांने मरणसमये क्षगंगालोभूत्वाक्षणमपियुवाकामरासिकः क्षणचित्तहीनाक्षण मापिनसंपूर्णविभवः जराजारंगै टइवरलीमीडिततनुर्नरः संसारांनपिशनियमधानीजवानिकाम् 112 7 7 यमचानीजवनिका यमस्पधानीपुरीमविशानि यथानटः नानाधान दधानि नयायं पा 52 गीनानावस्यांदधाति 112 श्रीरामचंद्रायनमः . For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir अहौसर्पहारेमुक्ताफलहारेया वलवनिरिौशनीसहरिहिनकरे पामणौचालोष्ठेशापिंडे पापाणे पाकुसुमशयनेपुषशय्यागाहयादिपाषाणेचातणेस्नैणअपत्येवा इत्यादिषयमसमा रपिर्यस्य समहशः दिवसाः करायांनि गच्छंतिक भूनस्यममकाचिन कुत्राचिन पुण्यारण्योस्थित्त्वाशिवेति / अहौचाहारेगावलनिरिपौवासर्दियामणौचालोष्ठेवाकुसमश्यनेवार परिवा तृणेपास्वैगेवाममसमहशोयाति दिवसा कचित्सुण्यारण्येशिवाशि चशिनिपलपनः१३ इनिधीभहरिहत्तरैराग्यशनकसंपूर्णम् // नामावलि पलपतः उचैः आकोशेनवदनः 111 इनिधीभर्तहरितनपैराग्यशतकंसंपूर्णम || हे पुस्तक संबईन नारायणनि-वसरपारामभिकशेरखानुपाणी आपले छा छा शके १७९८माय मास For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir AAMANANIANAVINAINAWAT MANAVANAVVNANAVANAVANAVAVVNEVA AUNANAVANAN AASANNARENTY इतिष्मर्तृहरिकतवैराग्यशतकंसटीकंसमाप्तं. उपपलपकार For Private and Personal Use Only
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir RE AGRA For Private and Personal Use Only