Book Title: Mantri Karmachand Vanshavali Prabandh
Author(s): Jinvijay
Publisher: Bharatiya Vidya Bhavan
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वाचक गुण विनय रचित
राज काज सगला करी, बछराज मंत्रीसि । जोधउजी निज वसि कीयउ, पूछइ तसु निसदीसि ॥ एहवा० ॥ वयर लेवानइ कारणइ, लेइ योध अनेक । जोधइ राणउ निरदल्यउ, भोगी जिम भेक ॥ एहवा० ॥ मेदपाट दहaट करी, जोधउ जोधपुरि आइ । अंतेउर जंगल थकी, आणी हरषित थाइ ॥ एहवा० ॥ जोधान सीता समी, नवरंगदे नारि । वीकम वीदा नामि ए, दुइ सुत सुखकार || एहवा० ॥ हाडी जसमादेवि नइ, जाया त्रिन्ह पूत्र । नीवा सूजा तिम वली, सातल सुभ सूत्र ॥ एहवा० ॥ वो तेज अधिक गिणि, जसमादे देवि । सउकि तणइ षेधइ लगी, इम चितवइ हेव ॥ एहवा० ॥ उक्तं च-वरं रङ्ककलत्राणि, वरं वैधव्यवेदनाः । वरमरण्यवासो वा मा सपत्नीपराभवः ॥ १
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विक्रम कुमर छतां हिां, मुझ पुत्रनइ राज | आवेस्यइ तिणि राजनई, जणावर काज ॥ एहवा० ॥ जायामाया मोहीयउ, नृप योध बुलाइ । विक्रमनइ इणिपरि कहइ, तसु जेम सुहाइ || एहवा ० || जे निज भुजि खाटइ धरा, सुत तेह प्रमाण । भोगवतां पितृ राजनइ, किम लहइ वखांण ॥ एहवा० ॥ बापनी भोगवी माय ज्यु, भगिनी पितृजात । राज्यसिरि सुतनइ कही, तिणि संभलि वात ॥ एहवा० ॥ जंगलदेस लेइ करी, साथइ [ छइ ] बछराज | बुद्धिमंत मोटउ अछइ, करउ तिहां वछ ! राज ॥ एहवा० ॥ एहनी सीखइ चालिज्यो, जाइ जंगलदेसि । मंत्रीनइ पुणि सीखबइ, तूं पूठि म देसि ॥ एहवा० ॥ छलि बलि सवि अरि वसि करी, सजडउ करी राज मंत्र तिसउ करिज्यो तुझे, नावइ जिम लाज ॥ एहवा० ।। ८३ तुम खोलइ सुत मइ दीयउ, तुझ छइ मति प्राण । मत काइ एइनी कदे, लोपइ कोइ आण || एहवा० ॥ सीख इख जिम वडी, बछराजसुं तेह । शुभ शकुने वलि मेरीयउ, नवि मावइ देहि ॥ एहवा० ॥ काहुंनी गामइ रही, भूमीया नरेस । काढीनइ सुख भोगवइ, वासी निज देस ॥ एहवा० ॥
॥ ढाल ५, राग-केदारो, गोडी - चंदलीयानी ॥
भाविक जन वंदउ सुह गुरु पाय, श्रीखरतर गछराय - ए देशी ।
मुलतारइ नरपति तिहां बोलाइ सुणि जसवाद, वर तुरग करी बहु मानीय पंचांग देइ प्रसाद । तिणि छत्र एक ज आपीयउ बहु वर्ण करीय विचित्र, विक्रम नृपति नइ सिरि धर्यउ जाणे चंद्र साथि निखित्र ॥ विक्रम० ॥
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छराजनुं मंत्रित्व ।
पटराणी रंगदेवीन सुत थया हरष्यउ राय, लूणकरण तरणि जिसउ प्रतापरं धरइ दाय उपाय । बलि नरउ राजउ तेम घडसी वली वीसल नामि, मेघराज केल्हण सुत सवे, राखइ जग मइ निज नाम ॥ विक्रम नृप दीप अधिक पडूर, जगि वाज्यउ जस तणउ तूर । - आंकणी । नृपवास काजइ गढ़ कर्यउ पावती नगर निवेस, बवहारिया बसिया तिहां आवीया सुणि सुनरेस । तिणि नगरनउ सुमुहूरतइ शुभलगनि सुंदर ठामि, जिहां भला मंदिर मालिया, कोडिमदेसर दीयउ नाम ॥ विक्रम० ॥ ८८ सवि मंत्र तंत्रइ पूछिवा बछराज एक धुरीण, ' परभूमि पंचानन ' बिरुद जिणि धर्यउ अति सुप्रवीण । शत्रुंजयादिक यात्र करि जिणि कर्यउ अंग पवित्र, देराउरइ जिनकुशलनी यात्रा करइ विमल चरित्र ॥ विक्रम ० ॥ ८९
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