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________________ [ ४३० ] ३४६ ५७. १६४ २६२ २३५ ३४६ ર૬૨ ४१४ जत्लत्यि मन्चुणा वक्त जति कुले समुप्पन्ने जल्लेवमप्पा उ हवेज जह कडुयतुवगरसो जह करगयस फाचो जह गोमत्त गयो जह जीवा वज्झति जह तत्णअगरतो जह तिगड्डयन्स य रसो जह परिणयवगरतो जह दूरस्त व फासो जह मिउलेवालित जह रागेण कडाण जह सुरहिकुनुमगयो जहा अग्गिरिहा दित्ता जहाऽऽएन समुदिन जहा इह अगणी उन्हो जहा इह इम सीप जहा कागिणीए हेड ज्हा विपागलाण जहा पुक्कुडपोग्न जहा कुन्ने तमगाइ ३८७ जहा जुन्नाइ कछाड १७० जहा दड्डाण बीयाण ८४ जहा दवनी परिधणे ३७६ जहा दुक्त भरेउ जे ३८१ नहा दुमत्त पुप्फेनु ३८० जहा पोम जले जाय ५७ जहा भुयाहि तरित ३७६ जहा महातलागत ३७६ जहा य अडप्पभवा ३७६ जहा य किपागफला म० ३८१ जहा य विन्ति वणिया ५८ जहा लाहा तहा लोहो ५८ जहा विरालावसहस्त ३८० जहा सगानकालम्नि जहा सागडिओ जाण ३६५ जहा गुणी पुइकन्नी ४०६ जहा तूई मनुत्ता जहा से तलु औरन्ने ३६८ जहालिनी जल्न ३०० जहिना पुञ्चनजोग १६० जहेह नीही मिग ३४४ ज किंवकम जागे ३६६ ३३७ १६० १८४ २६० २६६ ४०७ २६६ m ३४६ 35.
SR No.010459
Book TitleMahavira Vachanamruta
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhirajlal Shah, Rudradev Tripathi
PublisherJain Sahitya Prakashan Mandir
Publication Year1963
Total Pages463
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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