Book Title: Kuvalaymala Katha
Author(s): Vinaysagar, Narayan Shastri
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 8
________________ उद्योतनसूरि द्वारा प्राकृत भाषा में 'कुवलयमालाकहा' की रचना विक्रम संवत् ८३५ के चैत्र वदी १४, ईस्वी संवत् ७७९ मार्च माह की २१ तारीख को १३००० श्लोक प्रमाण के रूप में पूर्ण की गई थी। लगभग १०० वर्ष पूर्व आचार्य जिनविजयमुनि की जानकारी में यह ग्रन्थ आया था। उन्होंने सिंघी जैनशास्त्र शिक्षापीठ, सिंघी जैन ग्रन्थमाला के ग्रन्थांक ४६ के रूप में प्राकृत भाषा में सम्पादन कर प्रकाशित कराया। यद्यपि स्व. डॉ० आदिनाथ नेमिनाथ उपाध्ये द्वारा कुवलयमाला का समालोचनात्मक संस्करण १९५९ ई. में तथा प्रस्तावना आदि १९७० में भारतीय विद्या भवन, मुम्बई से प्रकाशित हुए। इस ग्रन्थ के अनुवाद का कार्य मूर्धन्य विद्वान् सा. वा. महोपाध्याय विनयसागरजी द्वारा किया गया है। आपने अपनी उम्र के इस पड़ाव में इस ग्रन्थ को अनुवादित कर साहित्य जगत् में अभूतपूर्व योगदान दिया है। इस कृत्य के लिए हम आपके आभारी हैं। आशा है सुधी पाठकगण इससे लाभान्वित होंगे। प्रकाशन से जुड़े सभी सदस्यों को धन्यवाद! देवेन्द्रराज मेहता संस्थापक एवं मुख्य संरक्षक प्राकृत भारती अकादमी, जयपुर [VI] कुवलयमाला-कथा

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