Book Title: Kalpantarvcahya
Author(s): Pradyumnasuri
Publisher: Sharadaben Chimanbhai Educational Research Centre
View full book text
________________
३४ ]
परिवार - जुया इंदा अट्ठाइया- महं तहा
चंद्रदर्शनम्
नंदीसर - दीवयंमि गंतूणं । किच्चा सट्ठाण संपत्ता ॥ ३७० ॥ इति श्रीवीर जन्मोत्सवः ॥
कल्पान्तर्वाच्यः
तणं समणस्स भगवओ महावीरस्स अम्मापियरो पढमे दिवसे ठिइवडियं करेंति, तइ दिवसे चंद-सूर - दंसणियं करेंति, छट्ठे दिवसे धम्मजागरियं करेंति, इक्कारसमे दिवसे विइक्कंते निव्वत्तिए असुइ - जम्म- कम्म- करणे संपत्ते बारसाहे दिवसे विउलं असण- पाण- खाइम- साइमं उवक्खडाविंति उवक्खडावित्ता, मित्त-नाइ - नियग-सयण-संबंधि - परिजणं नायए खत्तिए य आमंतेइ, आमंतित्ता तओ पच्छा ण्हाया कयबलिकम्मा कयकोउय-मंगल- पायच्छित्ता सुद्धप्पावेसाई मंगल्लाई पवराइं वत्थाइं परिहिया अप्पमहग्घाभरणालंकिय- सरीरा भोयणवेलाए भोयणमंडवंसि सुहासणवरगया तेणं मित्त-नाइ - नियग-सयण-संबंधि-परिजणेणं नायएहिं खत्तिएहिं सद्धिं तं विउलं असण- पाण- खाइम - साइमं आसाएमाणा विसाएमाणा परिभुंजेमाणा परिभाएमाणा एवं वा विहरंति | सूत्र १०४ ॥
जम्म-दिणा विक्कंते दिवस- दुगे गेहि-गुरु- समीव- गिहे । जिण-पडिमग्गे सुफलिहा- मई पहाणं व रुप्पमई ।। ३७१ ॥ परिट्ठप्प - चंद-मुत्तिं विहिणा पूइत्तु ठावए तत्तो । ण्हायाभरण-सुवत्थं नियकरजुय - गहिय-निय-पुत्तं ।। ३७२ ।। चंदुदये पच्चक्खं आणित्ता मायरं च ससि समुहं । ॐ अरहं चंदोऽसि निसागरोऽसी निसाइ- पहू ।। ३७३ ।। नक्खत्तपइरस य ओसहीगब्भोसि सयलजणपुज्जो । अस्स कुलस्स य रिद्धिं विद्धिं पवरं पसिद्धिं च ॥ ३७४ कुरु कुरु इय ससि - मंतं, उच्चरंतो समाइ- पुत्तस्स । चंदं दरसेइ गुरु सपुत्त-माया य नमइ गुरुं ॥ ३७५ ॥ देइ गुरू आसीसं तुम्हाणं संपयं कुणउ चंदो । तत्तो य चंद-मुत्तिं विसज्जए तंमि दिवसंमि ।। ३७६ ॥ जइ हुज्ज चउदिसिं अमावस्सा य रुज्जं नहं च नो चंदो । दिस्सइ तह संझाए कायव्वं चंद- दंसणयं ॥ ३७७ ॥

Page Navigation
1 ... 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132