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मेघदूतम्
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सारङ्गास्ते जललवमुचः सूचयिष्यन्ति मार्गम्। पू० मे० 22
हे मेघ! वे हरिण तुम्हें मार्ग बताते चलेंगे। 8. जलौघ - बादल।
जलौघः सोपान त्वं कुरु मणितटारोहणायाग्रयायी। पू० मे० 64 हे मेघ! आगे बढ़कर सीढ़ी के समान बन जाना जिससे उन्हें ऊपर चढ़ने में सुविधा हो। जीमूत - बादल जीमूतेन स्वकुशलमयीं हारयिष्यन्प्रवृत्तिम्। पू० मे० 4 इन बादलों के हाथ ही अपना कुशल समाचार भेज दूं। यह ध्यान आते ही वह
मग्न हो उठा। 10. पयोद - [ पय् + असुन् + दः] बादल।
संतप्तानां त्वमसि शरणं तत्पयोद प्रियायाः। पू० मे07 तुम्हीं तो तपे हुए प्राणियों को ठंडक देने वाले हो इसलिए हे मेघ! अपनी प्यारी से दूर पटके हुए। तद्गेहिन्याः सकलमवदत्कामरूपी पयोदः। उ० मे० 59
मनचाहा रूप धारण करने वाले उस बादल ने सब संदेश सुनाया। 11. मेघ - [ मेहति वर्षति जलम्, मिह + घञ्, कुत्वम] बादल।
आषाढस्य प्रथमदिवसे मेघमाश्लिष्टसार्नु वप्रकीडापरिणतगज प्रेक्षणीयं ददर्श। पू० मे० 2 आषाढ़ के पहले ही दिन उसने सामने पहाड़ी की चोटी से लिपटे हुए बादल को देखा, जो ऐसा लग रहा था, मानो कोई हाथी अपने माथे की टक्कर से मिट्टी के टीले ढहाने का खेल कर रहा हो। मेघालोके भवति सुखिनोऽप्यन्थावृत्तिचेतः। पू० मे० 3 बादलों को देखकर जब सुखी लोगों का मन भी डोल जाता है। धम ज्योतिः सलिलमरुतां संनिपातः क्व मेघः। पू० मे० 5
कहाँ तो धुएँ, अग्नि, जल और वायु के मेल से बना हुआ बादल। 12. सिन्धु - [ स्यन्द् + उद् संप्रसारणं दस्य ध:] बादल, समुद्र, सागर।
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