Book Title: Kalidas Paryay Kosh Part 02
Author(s): Tribhuvannath Shukl
Publisher: Pratibha Prakashan

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Page 417
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 882 कालिदास पर्याय कोश मृदंग के समान गड़गड़ाते हुए बिजली की डोरी वाला इंद्र धनुष चढ़ाए हुए ये बादल। __सुरेन्द्रचाप इन्द्रचाप - [इन्द्र + चापम्] इन्द्रधनुष, इंद्र की कमान। अपहृतमिव चेतस्तोयदैः सेन्द्रचापैः पथिकजनकवधूनां तद्वियोगा कुलानाम्। 2/23 जिन बादलों में इंद्रधनुष निकल आया है, उन्होंने परदेसियों की उन स्त्रियों की सब सुध-बुध हर ली है, जो उनके बिछोह में व्याकुल बैठी हैं। 2. बलभिद्धनु - [ बल् + अच् + भिद् + धनुः] इंद्रधनुष। नष्टं धनुर्बलभिदो जलदोदरेषु सौदामिनी स्फुरति नाद्य वियत्पताका। 3/12 आजकल न तो बादलों में इन्द्रधनुष रह गए हैं, न बिजलियाँ ही विजय पताका के रूप में चमक रही हैं। 3. शक्रधनु - [शक् + रक् + धनुस्] इंद्रधनुष । तडिल्लताशक्रधनुर्विभूषिताः पयोधरास्तोयभरावलम्बितः। 2/20 इंद्रधनुष और बिजली के चमकते हुए पतले धागों से सजी हुई और पानी के भार से झुकी हुई काली-काली घटाएँ हैं। 4. सुरेन्द्रचाप - [ सुरेन्द्र + चापम्] इंद्रधनुष। बलाहकाश्चाशनिशब्दमर्दलाः सुरेन्द्रचापं दधतंस्तडिद्गुणम्। 214 मृदंग के समान गड़गड़ाते हुए, बिजली की डोरी वाला इंद्रधनुष चढ़ाए हुए ये बादल। सुवास् 1. मोद् - सुगंधित करना, सुवासित करना, गंध देना। गृहीतताम्बूलविलेपनत्रजः पुष्पासवामोदितवक्त्रपङ्कजाः। 5/5 फलों से आसव पीने से जिनका कमल जैसा मुँह सुगंधित हो गया है, वे पान खाकर, फुलेल लगाकर और मालाएँ पहनकर। For Private And Personal Use Only

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