Book Title: Jeetkalp Sabhashya
Author(s): Kusumpragya Shramani
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 739
________________ * पदानुक्रम : परि-१ 545 907 201 195 76 759 1287 2045 1945 1770 425 2160 897 2253 2458 2067 1795 332 कोइ पुण साणभत्तो कोई तु वियडवसणी कोई परीसहेहिं को कल्लाणं नेच्छति को कारयो? जती तू को गीताण उवाओ कोडिज्जंते जम्हा कोद्दवरालगगामे कोधादी उ अरी ऊ कोधे माणे चतुलहु कोधे माणे य तहा को पुण पायच्छित्ते को वित्थरेण वोत्तूण कोवो वलवागब्भं कोसल्लगेगवीसति... कोहादि चउह कलुसा कोहादीणं कमसो कोहे बहुदेवसिए खंतो तु तत्थ पच्छा खद्धे णिद्धे य रुया खमणाऽऽयामेक्कासण खर-फरुस-णिटुरेहिं खलणा दुविहा भणिता खलितस्स य सव्वत्थ वि खाणुगमादी मूलं खार हडि हड्डमाला खिप्प बहु बहुविहं वा खीर-दहि-कट्टरादिण खीरे य मज्जणे मंडणे खुडं व खुड्डियं वा खुड्डग जणणी उ मुया खुड्डगसीहतवादीहिँ 1376 खु त्ति कतं तं सुइतं 614 खेत्त असति अगहित्ता 476 खेत्तं मालवमादी 1597 | खेत्ततों उज्जुमती तू 739 खेत्तपडिलेह थंडिल 494 खेत्तादिअणप्पज्झो खेत्ते जं कायव्वं 1148/ गंडी कच्छवि मुट्ठी 983 गंधव्व-नट्ट-जड्डऽस्स 1419 गच्छम्मि य णिम्माया 1686 गच्छसि ण ताव गच्छं 149 गच्छाहि णिग्गता जे 696 गच्छिल्लया गुरुस्स उ 1347 गच्छे पडिबद्धाणं 550 गणअहिवति आयरियो 2526 गणणिसिरणम्मि उ विही 1394,1418/ गणणिसिरणा परगणे 54 गणपडिबद्धा दुविधा 1336 | गणहर एव महिड्डी 1188 गणोवहिपमाणाई 1862 गति-ठिति-अवगाहेहिं 838 गतेहिं छहिँ मासेहिं गमणकिरिया हु समिती गमणागमणविहारे 894 गहणं आदाणं ती 689 गहणमघट्टित कण्णे 186 गहणम्मि विधी इणमो 1612 गहिताणंतपरंपर... 1322 गामाण दोण्ह वेरं 2359 गाहद्ध पढम कंठं 891 | गाहापच्छद्धस्स तु 2550 गाहापच्छद्धस्सा 329 913 2258 2473 2129 100 2152, 2153 804 2052, 18 809 1535 2491 1699 1335 989 1752 1062

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