Book Title: Jeetkalp Sabhashya
Author(s): Kusumpragya Shramani
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 828
________________ 634 जीतकल्प सभाष्य 1976 दसठाणठितो कप्पो तु. पंक 1270, | 1473 दोण्णि वि समणसमुत्था पिनि 235 तु. बृ६३६३ | 2056 दोसं हंतूण गुणं / बृ 6429 276 दस ता अणुसज्जंती तु.नि 6680, | 1652 दोसग्गी वि जलंतो पिनि 314/3 तु. व्य 4181 | 234 दोसा कसायमादी व्य 4150 1383 दाणं ण होति अफलं नि 4430, 2099 दोसासति मज्झिमगा बृ६४३५ पिनि 213 | 1950 दोसु तु परिणमति मती बृ७९७ 1263 दाण-कय-विक्कयादी पिनि 163/5 / 279 दोसु तु वोच्छिण्णेसू व्य 4182 482 दिटुंतस्सोवणओ व्य 4366 | 280 दोसु तु वोच्छिण्णेसू व्य 4183 2023 दुक्खेहिं भच्छियाणं बृ६४०६ | | 549 दो सोत-णेत्तमादिग व्य 4412 237 दुट्ठो कसाय-विसया... व्य 4153 | 2573 धम्मकहा आउट्टाण बृ५०५२, 1491 दुविधं च मक्खितं खलु तु.पिनि 242 . व्य 1225 584 दुविधं तु दप्प-कप्पे व्य 4457 / 228 धम्मसहावो सम्मइंसण व्य 4145 1536 दुविध विराधण उसिणे तु.पिनि 254 | 1319 धाती दूती णिमित्तें पंचा 13/18, 2165 दुविधा अतिसेसा वि य पंक 1445 पंव 754, पिनि 195, प्रसा 567. 1977 दुविधा होति अचेला बृ६३६५ / 659 धारणववहारेसो व्य 4507 1996 दुविधे गेलण्णम्मी नि 2532, | 674 धारणववहारो खलु व्य 4520 पंक 1299, 1305, 66379,6396 | 1321 धारयति धीयते वा निभा 4376, 2080 दुविधे विहारकाले पंक 2572 पिनि 198 2481 दुविधो य होति दुट्ठो नि 3681, | 464 धीरपुरिसपण्णत्ते . नि 3911, पंक 451, बृ 4986 . प्रकी 1023, व्य 4348 2073 दुविहो उ मासकप्पो पंक 2565, 681 / / धीरपुरिसपण्णत्तो व्य 4536 तु. बृ६४३१ | 1659 नत्थि छुहाएँ सरिसिया ओभा 290, 2172 दुविहो तेसऽतिसेसो पंक 1450 पंव 366, पिनि 318/1 1421 दुविहो य संथवो खलु ___नि 1040, | 2060 नत्थि तु खेत्तं जिणकप्पि... पंक 2552 पिनि 221 | 1461 नदिकण्ह वेण्णदीवे नि 4470, 260 देता वि ण दीसंती व्य / 170 पिनि 231/2 524 देव-णर दुगतिगऽस्सा नि 3949, | 2161 नवपुव्वि जहण्णेणं पंक 1365 व्य 4402 | 548 नवयंगसोतबोहिय तु.नि 3959, 453 देहविओगो खिप्पं नि 3901, तु.व्य 4411 व्य 4337 | 141 नाणमादीणि अत्ताणि व्य 4063

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