Book Title: Jain Stotra Ratnamala Author(s): Kothari Kasalchand Nimji Publisher: Kothari Kasalchand Nimji View full book textPage 9
________________ जैनस्तोत्र संग्रह. ॥अथ श्री नव स्मरणानि प्रारज्यते।। ॥ तत्र प्रथम नवकार ॥ ॥ नमो अरिहंताणं, नमो सि. शगं, नमो आयरियाणं, नमो नवप्रायाणं, नमो लोए सबसाइणं, ए. सो पंच नमुक्कारो, सवपावप्पणासलो ॥ मंगलाणं च सवेसिं, पढर्म हवश्मंगलं॥इति प्रथम स्मरण।।१ ॥ अथ नवसग्गहरं वितीय स्मरणं ॥ . ॥ नवसग्गहरं पासं, पासं वंदा.Page Navigation
1 ... 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 ... 171