Book Title: Jain Stotra Ratnamala
Author(s): Kothari Kasalchand Nimji
Publisher: Kothari Kasalchand Nimji
View full book text
________________
॥ अथ संतिकरस्तोत्रम् तृतीयं स्मरणं ॥ ॥ संतिकरं संतिजिणं, जगस-: र जयसिरी दायारं ॥ समरामि . जत पालग, निवासी गरुम कय से'वं ॥ १ ॥ नँ तनमो विप्पोसहि, पत्ताणं संति सामि पायासं ॥ झो
स्वाहा मंते, सच्चासिवरिय दरपाणं ॥ २ ॥ नँ संति नमुक्कारो, खे
लोस हिमाइल पित्ताणं ॥ साँ
नमो सद्योस हि पत्ताणं च देश सिरिं
1
( ७ )
व दिऊ बोहिं, नवे नवे पास जिचंद ॥ ५ ॥ इति ॥ २ ॥
.

Page Navigation
1 ... 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 ... 171