Book Title: Jain Stotra Ratnamala
Author(s): Kothari Kasalchand Nimji
Publisher: Kothari Kasalchand Nimji
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(१०) स्स संति जियचंदो ॥मऊवि करेन ररकं, मुगिसुंदरसूरि थुअमहिमा । १२ ॥ अ संति नाह सम्म, दिति ररकं सर तिकालं जो ॥ सबोवद्दव रहिन, स लहसुह संपयं परमं ॥ १३ ॥ तवगड गयण दियर, जुग वर सिरि सोमसुंदर गुरूणं ॥ सुपसाय लाइ गणहर, विद्या सिनिपर सीसो ॥१४॥ इति श्री तृतीय स्मरणं ॥३॥
॥ यथ तिजयपहत्त चतुर्थ स्मरणं ।।
॥तिजय पहुच पयासय, अ

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