Book Title: Jain Siddhant Prakaran Sangraha
Author(s): 
Publisher: Ajramar Jain Vidyashala

View full book text
Previous | Next

Page 224
________________ जैन सिद्धांत प्रकरण संग्रह. २१७ भृगु पुरोहीतनी शाख १३.स्त्रीना लालचुने ब्रह्मचर्यनो टोटो--उत्तराध्ययननी शाख १४. साधु -साध्वी, श्रावक-श्राविका मांहोमांही हेत मेळाप न राखे तो जैन धर्मनो टोटो--शंख पोखलोनीनो शाख १५. सुपात्र ने उलट भावे दान न आपे तो पुण्य प्रकृतिनो टटोकपोला दासीनी शाख १६. साधु गाम नगर विहार न करे तो धर्म कथानो टोटो-शेलक राजऋषिनी शाख १७. भणे गणे नहि तो जिनशाननो टोटो-समाचारीनी शाख १८. वृत पञ्चखाणनी आलोयणा करे नहि तो मोक्षना सुखनो टोटो-पार्श्वनाथनी बसें छप्पन साम्बीनी शाख १९. अरीहंत, धर्म, ने चार तीर्थना अपर्णवाद बोले तो सत् धर्मनो टोटो-ठाणांगनी शाख २०. साधुनु वचन माने नहि तो उंची गतिनो टोटो-ब्रह्मदत्तनी शाख २१. साधु-साध्वी, गुरु-गुरुणोनी आज्ञा उल्लंघे तो आराधकपणानो टोटो सुकुमालीकानी साख.तथाखंधकजीनो शाख२२.भगवानना वचन उपर श्रद्धान राखें तो शुद्ध मार्गनो टाटा-जमालीनी शाख २३. भणे ठेवारंवार संभारेनहिता मेळवेली विद्याना टोटो-जब रुपिनीशाख२४. पचीसमे बोले साडापचीश-आर्य देश तथा तेनो नगरीना नाम कहे छे-मगध देश-राजश्री नगरी १, अंग देश- चंपानगरी २, वंग देश--तामलीप्त नगरी ३, कलींग देश-- कंचनपुर नगर ४, काशी देश--वणारसी नगरी ५, कोशळ देश अयोध्या नगरी ६, कुरु देश--गजपुर नगरी ७, कुपवर्त देश--सोरीपुरनगरीट,पंचाळदेश--कंपीलपुर नगरी९,जंगलदेश-अइछत्तानगरी. १०, कच्छ देश--कोसंबी नगरी ११, सांडोल देश-नंदीपुर नगरी १२, माळव देश--भदिलपुर नगरी १३, वच्छ देश-वैराटनगरी १४ दशारण देश--मृगावती नगरी १५, वरण देश--इच्छापुर नगरी

Loading...

Page Navigation
1 ... 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238 239 240 241 242