Book Title: Jain Shikshan Pathmala
Author(s): Jain Pustak Prakashak Karyalaya Byavar
Publisher: Jain Pustak Prakashak Karyalaya Byavar

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Page 18
________________ (१२) १६ शास्त्र की आज्ञाका पालन करना सोधर्म. १७ सत्पुरुषों का संसर्ग करना सो धर्म. १८ गुरुकी भक्ति बहुमान करना सौ धर्म. १६ गरीवों के उपर अनुकंपा लाना सोधर्म. २० सर्वका हित चिंतन करना और दूसरे के सुख में सुखी होना सो. धर्म... ' २१ आप.दुःख सहन करके दूसरे को सुख देना सो धर्म. . २२ शास्त्रों का अध्यन करना और उन पर श्रद्धा रखना सो धर्म. २३-बड़ों की शुद्ध आज्ञा पालन करना सोधर्म. २४ दूसरों का शुभ कार्य अपना ही समझ कर करना, अहंभाव अथवा स्वार्थवृत्ति न रखना सो धर्म. २५ अपनी आमदनी में से कुछ हिस्सा ध मादे में निकाल कर उसका धार्मिक कार्यों में सद्व्यय कर डालनासो धर्म. २६ देश, समाज और धर्म की सेवा बजाना सो धर्म.

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