Book Title: Jain Shikshan Pathmala
Author(s): Jain Pustak Prakashak Karyalaya Byavar
Publisher: Jain Pustak Prakashak Karyalaya Byavar

View full book text
Previous | Next

Page 54
________________ (४८) १७ अव्रती को आदर देवे और आसनका आमंत्रण करे तो दोष. १८ भाषासमिति रखे विना वोले सो दोष. १६ दो घड़ी व्यतीत होने के पेश्तर स्त्री के आसन पर (जिस जगह स्त्री बैठी हो उस जगह पर) पुरुष और पुरुष के आसन पर स्त्री वैठे तो दोष. . २० पुरुष स्त्री की ओर व स्त्री पुरुष की ओर विषय दृष्टि से देख,तो दोप. २१ अपनी मलकियत के पोपाके उपकरण के सिवाय अन्य चीजें अव्रतीकी आज्ञा , लिये विना लेवे या अवती के पास कोई भी चीज मंगवावे तो दोष. पाठ २१वां श्रावक के २१ गुण, १ नवतत्त्वादिक के ज्ञान में निपुण होवे. २ धर्मक्रिया में देवादिक की सहायता इच्छे नहीं. . . . . . . ३ धर्मसे किसीके चलाये चलायमान न होवे.

Loading...

Page Navigation
1 ... 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67