Book Title: Jain Shikshan Pathmala
Author(s): Jain Pustak Prakashak Karyalaya Byavar
Publisher: Jain Pustak Prakashak Karyalaya Byavar

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Page 27
________________ (२१): १० धर्मस्थान में सावध अप्रिय और अस त्य भाषण नहीं करना...। ११ धर्मस्थान में काने को काना, अन्धे को अंधा चोर को चोर तथा किसी प्रकार के दूषण वाले को दूषणयुक्त विशेषण से नहीं बुलाना.. १२ धर्मस्थान में शृंगारी गायन या शृंगारी बातें नहीं करना. १३ धर्मस्थान फारसी सांकेतिक या दूसरे को शंका उत्पन्न होवे ऐसे शब्द नहीं वोलना.' १४ धर्मस्थान में स्त्री को पुरुष के साथ व पुरुष को स्त्री के साथ एकांत में वार्ता लाप नहीं करना चाहिये. . १५ धर्मस्थान में राज्य विरुद्ध गिनी जावे ऐसी बातें या भाषण नहीं करना. १६ धर्मस्थान में किसी की भी निन्दा कुंथली • • नहीं करना. ..... १७ धर्मस्थान में सिवाय जयजिनेन्द्र के जु.': हार. रामराम; सलामआदि व्यवहारिक आदर सत्कार के शब्द नहीं बोलना.

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