Book Title: Jain Katha Sagar Part 2
Author(s): Shubhranjanashreeji
Publisher: Arunoday Foundation

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Page 4
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org III Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रकाशकीय.... पिछले कई वर्षों से मनमें यह विचार वार-बार उपस्थित हो रहा था चारित्र चूडामणि पूज्य गच्छाधिपति आचार्य श्री कैलाससागरसूरीश्वरजी म. सा. द्वारा संगृहीत श्री कथासागर' ग्रंथ का गुर्जर भाषा में प्रकाशन हुआ है जिसका लाभ गुर्जर प्रजा अच्छी तरह से ले रही है. क्यों नहीं इस ग्रंथ का हिन्दी में अनुवाद प्रकाशित किया जाय ? शुभ संकल्प पूर्वक वांया हुआ यह विचार - वीज आज ग्रंथप्रकाशन के रूप में फलान्वित होते हुए देख हृदय आनंद से संताप प्राप्त कर रहा है. ग्रंथ का प्रकाशन करना कोई सरल काम नहीं है बल्कि उसके लिए चाहिए अनेको का सहयोग सहयोग ही सफलता का सोपान है' उक्ति अनुसार इस ग्रंथ के प्रकाशन में हमें पूज्यपाद शासन प्रभावक आचार्यश्री पद्मसागरसूरीश्वरजी म. सा. का आशीर्वाद रूप सहयोग मिला है. प्रेरणा एवं मार्गदर्शन सहयोग मिला है. पू. गणिवर्य श्री अरुणोदयसागरजी म. सा. का अनुवाद के कार्य में श्री नैनमलजी सुराणा का एवं प्रस्तुत अनुवाद का रोचक एवं सरल बनाने में सहयोग मिला है पूज्या साध्वीवर्या शुभ्रांजनाश्रीजी महाराज का! विद्रद्वय डॉ. श्री जितेन्द्रकुमार बी. शाह के सहयोग को भी कैसे भूल सकते है ? जिन्होंने अत्यंत व्यस्त होते हुए भी इस ग्रंथ के विषयानुरूप बहुत ही सुंदर मननीय प्रस्तावना लिख कर भेजी है. अंत में नामी अनामी सभी शुभेच्छुक सहयोगीयों का आभार मानते हुए निकट भविष्य में भी हम सभी का सहयोग निरंतर मिलता रहेगा इसी आशा के साथ... श्री अरुणोदय फाउन्डेशन कावा. परिवार. For Private And Personal Use Only

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