Book Title: Jain Katha Ratna Kosh Part 01 Author(s): Bhimsinh Manek Shravak Mumbai Publisher: Shravak Bhimsinh Manek View full book textPage 8
________________ ४. क्षमापनाः ला ग्रंथ अवश्व बपाशे, म बात निःसंशय जाणवी, एवी कबुलात हुँ श्रा गलथी ग्राहकथनारा साहेबोने आपुवं, तेमांपणं महाराथी बनशे त्यांसुधी बे फारम वधारे बांपीश पण तेथी डां बापीश नही. माटे.सर्व सुज्ञ ज नोने विज्ञप्ति करुंडं के आवा वृत्तम कार्यमा जो प्रतिदिन मदद करशो तो हुँ निरंतर तेवा कार्यो करवामां नस्सुक रहीशः इत्यलम्. दमापना. वांचनारा साहेबाने धरज करुंबु के श्रीसिंदूरप्रकरनी कथावाली एकज प्रत महारी पासे हती, तेषण एटली अगुम अने यद्वातद्वा लखेली हती के तेनो खुलासो थाही जख्यो जाय नहीं पण हरहमेश जे साहेबो पासें हाथनां लखेला ग्रंथो वांचवामां आवे . ते साहेबो ते ग्रंथो विषे सारीपेठे जाणताज दशे. तेमज टीकावाली प्रत को कथा सहित न होवाथी क थानां लखाण पए यथातथ्य थयेलां न हतां. . तथा श्चीवीतरागस्तवनी अवचूररी उपरथी बालावबोध कत्रो थने ते ग्रंथ श्रीमत्हेमचंशचार्यविरचित कठणविश्यवालों दोवाथी संपूर्ण महोटी टीकाना अनावृथी खरेखरी नाषांतर थयेलो गणाय नही. वली श्रीगौतम टहा ग्रंथ महोटी कथाचालो मंहारीपामें मोजुद हतो परंतु तेनी कथा उ घणीखरी मागधी भाषामांज लखेली दोबाथी तेनुं नाषांतर संपूर्ण मा गधीनापाना जाणकार विना थq अशक्य जाणीने मात्र सारनूत न्हानी कथा वालो सुमारे बावीसो श्लोकनो ग्रंथज या पुस्तकमां दाखल कस्यो डे. ते ग्रंथनी प्रतो पण सर्व एकज पतिनी असलना लखासनी होवाथी शो धन करवामाटे निराधार थर्बु पड्युं तेथी मात्रं जाषामांज. सुथारो करीने सर्व ग्रंथो मप्या , तेमां जे कांइ महाराथी न्यूनाधिक वंचन सिद्धांत विरोध लखायुं होय ते संबंधि महारी नूलनुं सर्व वांचनार श्रीसंघनी सम द हूं मिबाउकड देवं. श्रावक. नीमसिंह माणक.Page Navigation
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