Book Title: Jain Darshan Ke Pariprekshya Me Aadipuran
Author(s): Supriya Sadhvi
Publisher: Bharatiya Vidya Prakashan

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Page 368
________________ आदिपुराण में ईश्वर सम्बन्धी विभिन्न धारणाये और रत्नत्रय विमर्श 327 सम्यग्चारित्र और उसके भेद सम्यग्चारित्र जिससे कर्मों का आस्रव न हो उसे सम्यक् चारित्र कहते हैं। 145 मन, वचन, काय से न पाप क्रियाओं को करना, न करवाना, न अनुमोदना करना, तीनों ही पाप क्रियाओं का त्याग करना ही सम्यक् चारित्र कहलाता है। 146 जो संसार के कारणों को नष्ट करने के लिए बाह्य और अन्तरंग क्रियाओं का निरोध होता है वही उत्कृष्ट सम्यक् चारित्र है । 147 इष्ट-अनिष्ट पदार्थों में समता भाव धारण करने को सम्यग्चारित्र कहते हैं। यह सम्यग् - चारित्र धारण करने वाले यथार्थ रूप से तृष्णा रहित, मोक्ष की इच्छा करने वाले निर्वस्त्र (केवल दिगम्बर परम्परा का अनुसार है श्वेताम्बर मान्यता यह नहीं मानती कि निर्वस्त्र वाला ही सम्यक्चारित्र धारण कर सकता है) और हिंसा का मूलरूप से त्याग करने वाले साधक होते हैं। 148 सम्यग् चारित्र है - मन, वचन, काय से शुभ कर्मों में प्रवृत्ति करना । सम्यग्चारित्र नैतिक अनुशासन के नियमों का प्रतिनिधित्व करता है जो उत्तम व्यवहार का नियमन करता है और मन-वचन-काय की गतिविधियों की संरचना करता है इससे सम्यग्ज्ञान की उपलब्धि अभिव्यंजित होती है और सम्यग्ज्ञान सम्यग्दर्शन की उपस्थिति आवश्यक मानता है। इस प्रकार सम्यग्ज्ञान और सम्यग्दर्शन जब एक साथ होते है, तब वे सम्यक् चारित्र का पथ निर्देशन करते हैं। आत्मा सम्यक् चारित्र का अनुगमन तब कर सकता है, जब वह सम्यग्दर्शनवान् और सम्यग्ज्ञानवान् होता है। इस तरह मुक्ति प्राप्त करने के लिए सम्यग्दर्शन, सम्यग्ज्ञान और सम्यग्चारित्र मूल मार्ग है। 149 सम्यग्चारित्र दो प्रकार का है व्यवहार चारित्र और निश्चय चारित्र । व्यवहार नय से पाप क्रिया के त्याग को चारित्र कहते हैं इसलिए इस चारित्र में व्यवहारनय के विषयभूत अनशन, ऊनोदरी आदि को तप कहा जाता है, तथा निश्चय नय से निज स्वरूप में अविचल स्थिति को चारित्र कहा है। इसलिए इस चारित्र में निश्चयनय के विषयभूत सहज निश्चयनयात्मक परमभाव स्वरूप परमात्मा में प्रतपन को तप कहा है। व्यवहारनय के अनुसार चारित्र दो प्रकार का है - एक श्रावकों के लिए और दूसरा साधुओं के लिए हिंसादि पापों के परित्याग रूप से यह चारित्र दो प्रकार का है। सकल चारित्र और विकल -

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