Book Title: Hastlikhit Granthsuchi Part 1
Author(s): Jambuvijay
Publisher: Stambhan Parshwanath Jain Trith Anand
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(पाकाहेम) पाटण कागळ प्रतोनो भंडार
प्रतिलेखन वर्ष पत्र
स्थिति
पूर्णता
प्रत प्रकार
ग्रंथांकपत नाम
(पेटा नंबर). पेटा नाम कृति नाम
प्रतविशेष, माप, पंक्ति, अक्षर, प्रतिलेखन स्थल पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष कृति विशेष, पेटांक पृष्ठ, पेटा विशेष
कर्ता
परिमाण
आदिवाक्य
: क्लिन/ओरिजिनल डीवीडी (डीवीडी- झे.पत्र/झे.पत्र) कति प्रकार (७९)
रचना वर्ष वि. १६मी
१०४४५ स्थानाड्गसूत्र
मध्यम
संपूर्ण
कागज
११८
पत्र ६७-६८ भेगां अने ८७मुंडबल छे.. (११४४.५.
सुधर्मास्वामी
प्रा.
सुर्य में आउसं तेणं
ग्रं.३३०० कागज
१०४४६ भगवतीसत्रगत चमराधिकार
मध्यम
प्रतिपूर्ण
वि.१७मी
८)............... .१०.७४४.५).
................
भगवतीसत्र-हिस्सा
सुधर्मास्वामी
:१०४४७ उपासकदशागसूत्र
मध्यम
संपूर्ण प्रा.
कागजवि . १७मी ग्रं.८१२
१८ तेणं कालेणं तेणं
............
सुधर्मास्वामी
प्रति पाणीमां भीजाईने खराब थई छे.. (११४४.७). पूर्णभद्र कृत 'दशश्रावकचरित्रचूर्णि मां सप्तमाङ्ग चूर्णि' एम नाम लखेल छे. प्रति एक बाजुथी पाणीमां भीजाई छे.. (१०.७४४.५)
१०४४८प्रश्नव्याकरणाड्गसुत्र
श्रेष्ट
कागज
वि.१७मी
:३०
(३१)
प्रश्नव्याकरणसत्र
सुधर्मास्वामी
ग्रं. १३५०
नमो अरहन्ताणं। जम्बू
गद्य
प्रा. संपूर्ण
१०४४९, विपाकसूत्र
कागज
वि.१७मी
३५
। (३६).
ग्रन्थान-१२५०., (१०.५४४.५).
सुधर्मास्वामी
गं. १३१६
: तेणं कालेणं तेणं
१०४५० राजप्रश्नीयोपाड़गसूत्र
संपूर्ण
कागज
१६०९४१
ग्रं. २०७९
नमो अरिहन्ताणं नमो.
ग्रन्थाग-२१७९...(११४४.५).... अष्टभाषामय.पंचपाठ ग्रन्थान-४४५४. पत्र ४१ ना बे पानां वधारे छे. पत्र ६५९ डबल छ.. (११४४.५)
१०४५१ जम्बूद्वीप्रज्ञप्तिउपाङ्गसूत्र
श्रेष्ठ
संपूर्ण
कागज
वि.१७मी
१३६
(१३७)
ग्रं.४१४६
गद्य
: मध्यम
संपूर्ण
:कागज
(89)
ग्रन्थाग-३०४१., (१०.19४४.७)..
जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिसूत्र १०४५२ सन्देहविषौषधि-कल्पसूत्रवृत्ति ........
कल्पसूत्र-सन्देहविषौषधिवृत्ति १०४५३ साधुश्रावकषडावश्यकसूत्रादि ...
जिनप्रभसूरि
नमो अरहन्तार्ण.. ..वि. १५९३.२० ग्रं.२१६८ वि. १३६४ कागज...........: वि. १७मी...
:मध्यम
संपूर्ण
३६).................प्रति.एक बाजुथी उंदरे करडेली छे..(११४४.५)...
प्रा.सं.मारुगू
र्जर
। १०४५४
उत्तराध्ययनसूत्र
मध्यम
संपूर्ण
कागज
। वि. १७मी
(१०.७४४.७)
(५७) संयुक्त प+ग
सुधर्मास्वामी
:
प्रा.
अध्याय ३६.
सञ्जोगाविप्पमुक्कस्य
२०२५
जीर्ण
कागज
वि. १६०१
(१०.७४४.७)
१०४५५ चतुःशरणप्रकीर्णकवृत्ति तथा
आतुरप्रत्याख्यानप्रकीर्णकवृत्ति (4.9) चतुःशरणप्रकीर्णकवृत्ति .....
(पे. पृ. १२)
470

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