Book Title: Daivat Bramhanam tatha Shadvinshat Bramhanam
Author(s): Samveda, Sayanacharya, Jivanand Vidyasagar
Publisher: Jivanand Vidyasagar

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Page 38
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir हितीय-प्रपाठकः । द्वय वेत्यु चै रापो मे होनाशएसिनस्ते मोपडयन्ता होत्रा असिन उपमाह्वयध्वमित्व छ रश्मयो मे चमसा वर्यवस्ते मोपमाहन्तां चमसाध्वर्यव उपमाह्वयध्वमित्य च स्तावा एता देवता ऋत्विजा मेव वागेभि रुपयन्ते म उपहतो भक्षयति प्राणो यजमानोऽयो यवैतासां देवतानां लोक स्तं दुपहतो भवति ॥ ५ ॥ इति षड़ विशवाह्मणे हितीय-प्रपाठके पञ्चमखण्डः । स माध्यन्दिने सबने सवनमुखोयेष्वाहृतेषूपहवमिच्छते वाङमे होता स मोपवयंताए होत रूपमाह्वय स्व. बच्चश्वभूर्मेऽध्वर्युः समोपह्वयतां ब्रह्मन्न प मायखे त्यच्चैः श्रोत्रम उडाता समोपह्वयतामुहातरुपमावयव त्य छयोंऽयमन्तश्चक्षु थाकाशः स मे सदस्यः समोपवयता५ सदस्योपमालयले त्यच्चै या इमा अन्तश्चक्षुष्यापस्ते मे होनाए सिन स्ते मोपल्यताए होत्राशसिन उपमाह्वयध्व मि. त्य रङ्गानि मे चमसाऽध्वयं व स्ते मोपह्वयन्तां चमसा ध्वर्यव उपमाह्वयध्व मित्युच्च स्ता वा एता देवता ऋ. विजा मेव वाग्भि रुपह्वयन्ते स उपहतो भक्षयत्यपानो यजमानोऽथो यत्रतासां देवतानां लोक स्तदुपहतो भवति ॥ ६ ॥ इति षड़ विंशब्राह्मण हितोयप्रपाठके षष्ठखण्डः । म तोयसवने सवनमुखौयेष्वा हृतेषूपहव मिच्छते प्राणो मे होता स मोपवयताए होत रुपमाह्वय स्खेत्यच्च रपानो मेऽध्वर्यु: स मोपहयता मध्वयं उपमाह्वयस्खेत्युच्चै ानो मे ब्रह्मा स मोपतयतां ब्रह्मबुपमाह्वयस्खेत्युच्च; For Private and Personal Use Only

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