Book Title: Charak Samhita Part 01
Author(s): Muni Charak, Narendranath Sengupte, Balaichandra Sengupte
Publisher: Ranglal Mitra

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Page 13
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चरकसंहिता सूत्रस्थानम्। ९ प्रथमोऽध्यायः। अथातो दीर्घञ्जीवितीयमध्यायं व्याख्यास्यामः, इति ह स्माह भगवानात्र यः॥१॥ गङ्गाधरः-यतः स्फुरन् दृष्ट फलः स्वचित्ते येनोक्त आयुर्निगमः प्रमाणम् । तमादिप्राप्त पुरुषप्रधान सेवामहेऽव्यक्तमहेतु तच्च ॥ वक्तादृष्टफलस्य यस्य परमेशेनोदितखादिह प्रामाण्यं निगमेषु सिध्यति किलादृष्टार्थसामादिषु । सत्यं शाश्वतमुन्चमोत्तमतमं शास्त्रेषु सर्वेषु वा आयुर्वेदमुपास्महे वयमिमं तं सव्व विद्याकरम् ।। चक्रपाणिः--गुणत्रयविभेदेन मूर्ति त्रयमुपेयुथे। त्रयीभुवे विनेवाय त्रिलोकीपतये नमः ॥ सरस्वत्यै नमो यस्याः प्रसादात् पुण्यकर्मभिः । बुद्धिदर्पणसंक्रान्तं जगदध्यक्षमीक्ष्यते ॥ ब्रह्मदक्षाश्विदेवेशभरद्वाजपुनर्वसुहुताशवेशचरकप्रभृतिभ्यो नमो नमः ॥ - For Private and Personal Use Only

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