Book Title: Chandraraja Charitram
Author(s): Ajitsagarsuri
Publisher: Ajitsagarsuri Shastra Sangraha

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Page 11
________________ ShriMahavir JanArchanaKendra Acharya:shaKailassagarsunGyanmandir नक्षत्रेशप्रमितबदनं वन्दनीयक्रमाज, विघ्नव्रातप्रमथनपटुं स्वच्छमुद्रास्वरूपम् । शान्ताशान्तं मनुजपदवीं पूर्णतायै प्रयातं, वन्देभूयस्तमतुलगुणं हेमचन्द्रं यतीन्द्रम् ॥ ६॥ सिद्धक्षोणीपतिमतिदयादक्षिणं यश्चकार, योगाङ्गानि क्षतमलचया-न्याततानाऽतिशुद्धः। पीठारूढोऽम्बरतलगतोऽयोधयत्सम्यलोकान् , तं सूरीशं सकलहितदं हेमचन्द्रं भजेऽहम् ॥ ७॥ वन्द्यैर्वन्यः प्रचुरदयया, वासितान्तःस्वभावो, योऽनन्तानामतिशयजुषां, संपदां मुख्यभूमिः । आविश्चके जनसुखकृते, सिद्धिमूलश्च सौख्यं, तं सूरीन्द्रं मननविषय, हेमचन्द्र प्रकुर्वे ॥ ८ ॥ हेमचन्द्राष्टकं नित्य-मिदं यो मनुजः स्मरत् । सप्रभातप्रभाराशि-रिवोदयमवाप्नुयात् ॥ ६ ॥ For Private And Personlige Only

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