Book Title: Chandanbala
Author(s): Mishrilal Jain
Publisher: Acharya Dharmshrut Granthmala

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Page 11
________________ नगरसेठ रथ से उतर कर भीड़ मे जाकर सुन, इस सुन्दरी की खड़े होगये और गणिका से पूछा ....... कीमत क्या लेगी? सेठ यहां मोलभाव नहीं होता। ऐसी सन्दरी दुनिया में नहीं मिलेगी। खरीदना हो तो बोली लगा। बाईजी| समयबरबादनकरें इस सुन्दरी की कीमत ७५० स्वर्ण मुद्राएं। पांच हजार स्वर्ण मुद्राएं। क्या कहा सेठ? ५००० स्वर्ण मुद्रा ? एक बार फिर कहना। इसरूप कीहाट | (हा! पांच में खड़े रहना हजार स्वर्ण Aप्रतिष्ठा के मुद्राएं। मेरेपासविपरीत है। समय नहीं। जल्दीपूर,है कोई और खरीददार रूपके जौहरी हैसेठा लेजारूप की रानीको रूप की हाट में तेरे सामने सब कंगले है। 9

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