Book Title: Chandanbala Author(s): Mishrilal Jain Publisher: Acharya Dharmshrut Granthmala View full book textPage 16
________________ दरहट दुष्टा ! मैं क्या अपनेपालको जानती नहीं है। दासीनेचिन्दनबाला सेठानीसे कहा सेठ जी की पुत्री के समान नहीं है। मैंने देखा वहचन्दना के बालों की प्रशंसा कर रहे थे... TELLLL ..... वह धर्मात्मा और पवित्र हैं। मैं तुम्हारे भले की कह रही हूँ। आंखों देखी बात झूठी नहीं हो सकती।Page Navigation
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