Book Title: Chandanbala
Author(s): Mishrilal Jain
Publisher: Acharya Dharmshrut Granthmala

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Page 19
________________ ऋठी बातें चन्दनबाला केधुंघराले काले बाल कट चुके हैं...वह दरवी स्वर में कहती नबनाराज कुमारी होती तोरूपकी माँ! तुम मुझे समझती क्याहो? पित्ताश्रीकेधार्मिक विचारों के कारण रूकगई।में महाराजचेटक की पुत्री और महारानी चेलना की बहिन हाट में बिकती OD optiSh चन्दनबाला को तलघर में लेजाकर बंद कर दिया,मिट्टी के पात्र में खानावपानी रख दिया उसके पास.. मेरे दुर्भाग्य काअन्त महीं। बिना देब दर्शन अन्नजल भी नहीं सकती। W... ALLI TO IN LunnNTRA TRIAL LIALIA

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