Book Title: Bharat Bhaishajya Ratnakar Part 04
Author(s): Nagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
Publisher: Unza Aayurvedik Pharmacy
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अवलेहप्रकरणम्
चतुर्थो भागः
६२७
स्वरं मयूरस्य जवं हयस्य
कि जिसमें उंगलियां और नासिका तक गल गई शरच्छशाङ्कस्य तथैव कान्तिम । हो । ४ मासमें भगन्दर, श्लीपद, वातगुल्म और सौभाग्यमेधास्मृतिसत्वतेजः
अर्शका नाश हो जाता है। पांच मास तक सेवन शोभान्वितः पद्मसमानगन्धः ॥ करनेसे केश घने, कुञ्चित, काले और दीर्घ हो जीवेत्समानां च सहस्रमन्य
जाते हैं। प्रयोगकालादिति सिद्धवाक्यम् ।
ये १ हज़ार हरै सेवन करनेसे हाथीके समान न चानपानेऽध्वनि मैथुने वा
बल, मोरके समान स्वर, घोड़ेके समान गति और नरेण किंचित्परिहार्यमस्मिन् ॥
शरदेन्दुके समान कान्ति हो जाती है । समीक्ष्य कल्पं तु रसायनानां
इसको सेवन करनेसे सौभाग्य, मेधा, स्मृति, __ चकार योगं भगवान्वसिष्ठः ।।।
सत्व, तेज और शोभाकी वृद्धि होती और शरीरसे जौ ४ सेर, दशमूल ४ सेर, बड़ी बड़ी हरें
पद्मके समान सुगन्ध आने लगती है एवं आयु १०० नग, तथा दन्तीमूल, असगन्ध, करन की
अत्यन्त दीर्घ हो जाती है। जड़, भिलावा, पक्के बेलकी गिरी, हल्दी, दारुहल्दी, गजपीपल, चीतेकी जड़, चीतेके पत्ते, पीपल, अपा- इसके सेवनमें अन्नपान, माग गमन, और मार्ग और कौंचके बीज ५-५ तोले ले कर (जौके | मैथुनादिका कोई परहेज़ नहीं है। अतिरिक्त) सब चीजोंको अधकुटा करके ५६ सेर (६७१०) विजयायोगः पानीमें लोहेकी कढ़ाई में मन्दाग्नि पर पकावें । जय
(व. से. । रसायना.) जौ उसीज जाएं तो काथको छान कर उसमें ६। सेर पुराना गुड़, १ हजार बड़ी बड़ी हरें, २ सेर
पञ्चाङ्गमिन्द्राशनश्लक्ष्णचूर्ण पुराना धी, और २ सेर नवीन तिलका तेल मिला
पलाष्टकं सप्त सिता पलानि । कर पुनः पकावें। जब गाढ़ा हो जाय तो उसमें ४०
सितार्धमानं मधु तस्य चाई तोले पीपलका चूर्ण मिला दें और फिर ठण्डा होने
घृतं क्षिपेत्सर्वमिदं विमिश्रम् ।। पर ४ सेर शहद मिला कर सुरक्षित रक्खें।
कृत्वा नरो मासचतुष्टयं यत् इसमेंसे नित्य प्रति २ हर्र और (२ तोले)
पयोन्नभक्षी पयसा च भुंक्ते । अवलेह खाना चाहिये।
विहाय रोगान् समलान्मनीषी इसके सेवनसे १ मासमें शरीर रोग-रहित
जीवेच्चिरं यौवनसंस्थितश्रीः॥ हो जाता है। २ मासमें समस्त नेत्ररोग नष्ट हो । भांगके पंचांगका चूर्ण ४० तोले, मिश्री ३५ कर दृष्टि गृध्रके समान तीत्र हो जाती है। ३ मास | तोले, शहद १७॥ तोले और घी ८॥ तोले ले तक सेवन करनेसे वह कुष्ठभी नष्ट हो जाता है | कर सबको एकत्र मिला कर रक्खें ।
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