Book Title: Bahuratna Vasundhara
Author(s): Mahodaysagarsuri
Publisher: Kastur Prakashan Trust

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Page 447
________________ ३७० करते हैं । राजकोट एवं उसके जाकर निःशुल्क रूपसे पूजन पढाते हैं 1 बहुरत्ना वसुंधरा : भाग आसपास के स्थानों में वे स्वयं सपरिवार प्रभु भक्ति की तरह साधु-साध्वीजी भगवतों की शारीरिक चिकित्सा आदि वैयावच्च भी वे पूज्यभाव से करते रहते हैं । पर्युषण महापर्व की आराधना श्री संघों को करवाने के लिए वे बाहरगाँव भी जाते हैं । पर्वतिथियों में पौषध की आराधना भी वे करते एवं करवाते हैं । किसी भी प्रकार की धार्मिक प्रतियोगिताओं में वे हमेशा शामिल होने की अभिरुचि रखते हैं एवं परिश्रम के द्वारा उसमें अच्छे गुणांक प्राप्त करते हैं । आत्महित के साथ साथ जैनशासनकी प्रभावना, साधु-साध्वीजी भगवंतों की वैयावच्च आदि आपके जीवन के मुख्य ध्येय हैं । डो. प्रविणभाई महेता सपरिवार अपने ध्येय में उत्तरोत्तर आगे बढने में सफलता हांसिल करें यही शुभेच्छा सह हार्दिक अनुमोदना । आपके जीवन पर वर्धमान तपोनिधि प.पू. आ. भ. श्री विजय वारिषेणसूरीश्वरजी म.सा. आदि अनेक पूज्यों के द्वारा महान उपकार हुआ है । पता : डॉ. प्रवीणभाई महेता १५९ "शीतल" ४, जयराय प्लोट, बंधगली, राजकोट (सौराष्ट्र) पिन : ३६०००१ फोन : २८३०४ ३०० से अधिक बार मुंबई से शंखेश्वर तीर्थ की पूर्णिमा तिथि में यात्रा करने वाले भाग्यशाली चौबीसों तीर्थंकर परमात्मा केवलज्ञान - केवलदर्शन - अनंत आनंदअनंतवीर्य इस अनंत चतुष्टयी में समान होते हुए भी वर्तमान चौबीसी के २३ वें तीर्थंकर पुरुषादानीय श्री पार्श्वनाथ भगवंत की महिमा एवं उनके तीर्थ और मंदिर सबसे ज्यादा विद्यमान हैं। क्योंकि पार्श्वनाथ भगवान के जीवने देव भव में विविध तीर्थंकर भगवंतों के ५०० कल्याणक प्रसंग अत्यंत भक्तिभाव से मनाये थे । इस उत्कृष्ट जिनभक्ति के कारण उनका

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