Book Title: Bahuratna Vasundhara
Author(s): Mahodaysagarsuri
Publisher: Kastur Prakashan Trust

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Page 466
________________ बहुरत्ना वसुंधरा : भाग ३८९ स्वीकार किया है जो सागर समुदाय में सा. श्री निरंजनाश्रीजी के नाम से सुंदर चारित्र का पालन करते हैं । सरस्वतीबहन आज विद्यमान नहीं हैं। वि.स. २०३५ में मृगशीर्ष वदि २ के दिन अट्ठाई के पारणे अट्ठाई के चालु वर्षीतप में ही उनका स्वर्गवास हो गया है | उनका अत्यंत अनुमोदनीय तपोमय जीवन का दृष्टांत अनुमोदना के लिए यहाँ प्रस्तुत किया गया है । सचमुच बलिहारी है श्री जिनशासन की कि जिस में ऐसे ऐसे अनेक आराधकरन होते रहते हैं । १६७ पक्रिन अठ्ठाई एवं सोलहभक्त (१६ उपवास) से वर्षीतप करनेवाली महातपस्विनी सुश्राविका सरस्वतीबहन जसवंतलाल कापडिया सुरत में रहते हुए महातपस्विनी सुश्राविका श्री सरस्वतीबहन जसवंतलाल कापडिया (उ.व. ७२ ) ने अपने जीवन में की हुई अनुमोदनीय तपश्चर्या का विवरण पढकर किसी भी सहृदयी वाचक का मस्तक अहोभाव से झुके बिना नहीं रहेगा। यह रहा उनकी तपश्चर्या का विवरण (१) सोलहभक्त (१६ उपवास के पारणे १६ उपवास) से वर्षीतप (२) अठ्ठाई के पारणे अठ्ठाई से वर्षीतप (३) छठ्ठ के पारणे छठ्ठ से वर्षीतप २ बार (४) १ उपवास के पारणे १ उपवास से वर्षीतप (५) १०८ उपवास (६) ७० उपवास (७) ६८ उपवास (८) ६० उपवास (९) ५८ उपवास (१०) ४५ उपवास (छ'री पालक संघ के दौरान !) (११) मासक्षमण ५ बार (१२) १६ उपवास (१३) १५ उपवास (१४) १० उपवास (१५) ८ उपवास ३० बार (१६) २२९ छठ्ठ (भगवान महावीर स्वामी के छठ्ठ) (१७) सिद्धि तप (१८) भद्रतप (१९) चतारि - अठ्ठ - दश - दोय तप (२०) क्षीर समुद्र तप... इत्यादि । शंखेश्वर तीर्थ में आयोजित अनुमोदना - बहुमान समारोह में सरस्वतीबहन भी पधारी थीं । तस्वीर के लिए देखिए पेज नं. 21 के सामने । पता : सरस्वतीबहन जसवंतलाल कापडिया २०२, अंजलि, एपार्टमेन्ट, पटेल फलिया, कतारगाम, सुरत (गुजरात) ३९५००४. -

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