Book Title: Bahuratna Vasundhara
Author(s): Mahodaysagarsuri
Publisher: Kastur Prakashan Trust

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Page 449
________________ ३७२ बहुरत्ना वसुंधरा : भाग - २ ऐसे पूनमिया यात्रिकों में से सबसे अधिक यात्राएँ किन भाग्यशाली आत्माओं ने की होंगी और कितनी यात्राएँ की होंगी ? यह जिज्ञासा होनी स्वाभाविक है । इसके प्रत्युत्तर में जिन्होंने आज करीब ३११ से अधिक यात्राएँ की हैं ऐसे तीन भाग्यशालीओं के नाम-ठाम जानने मिले हैं। (१) विनोदभाई देवजीभाई गंगर (कच्छ-गोधरा) ब्लु स्काय बिल्डींग, कार्टर रोड़ नं. ५ बोरीवली (पूर्व) मुंबई - ४०००६६ (२) प्रेमचंदभाई देवराज देढिआ (नवागाम-हालार-निवासी) विक्टरी हाउस, घर नं. ९/१०, पीतांबर लेन, माहीम स्टेशन-मुंबई ४०००१६. फोन : ४४५७१३३ निवास (३) हीरजीभाई रणमल (दांता-हालार निवासी) धामणकर नाका, भूमैया चाल, रुम नं. १-२ भीवंडी जि. थाणा (महाराष्ट्र) पिछले २६ से अधिक वर्षों से ये तीनों भाग्यशाली प्रत्येक पूर्णिमा के दिन मुंबई से शंखेश्वर पधारकर प्रभुभक्ति करते हैं । इन में से प्रेमचंदभाई की विशेषता यह है कि पूनम के दिन अपने बेटे की शादी का प्रसंग भी उन्हें पूनम की यात्रा से रोक न सका। वे बेटे की शादी में अनुपस्थित रहकर भी शंखेश्वर तीर्थ की यात्रा में उपस्थित रहे !!! इसी तरह आफ्रिका स्थित नायरोबी में प्रतिष्ठा के प्रसंग में उपस्थित रहने के लिए उनके नायरोबीस्थित रिश्तेदारोंने बहुत आग्रह किया था फिर भी वहाँ जाने से पूनम की शंखेश्वर यात्रा का क्रम खंडित होत: था, इसलिए उन्होंने अपने बदले में परिवार के अन्य सदस्यों को नायरोब भेज दिया मगर स्वयं तो श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ प्रभुजी के चरणारविंट की सेवा के लिए ही उपस्थित रहे !!! वे चतुदर्शी-पूर्णिमा और एका यह तीन दिन तक शखेश्वर में रहकर श्री पार्श्वनाथ प्रभुजी के नाम मं. की १२५ माला का जप करते हैं। साल में ३ बार श्री सिद्धाचलजी महातीर्थ की यात्रा भी करते हैं और पिछले १३ साल से प्रत्येक साल फाल्गुन शुक्ला

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