Book Title: Arya Shatak
Author(s): Mudgalacharya
Publisher: 

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Page 17
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir www.kobatirth.org मुआ |स्थितंशिशंपाहिरक्षय हेलं शरिपोशत्रुमकथंभू शिमंत्वन्युस्यसौरभचर्चिततांबूलाशंभवन्मुस खसौगंध्यसरभियस्तांबूलन्तस्याशाविद्यतेयस्यनंतांबूलाशं॥इदानीजननासत्वेनस्ताति उजुकामति हेसिंदूराचलवासिनिरामाभिधेमात-पाहिस्या कमां सिंदूराचउवासिनीनामारणार अंकेतवगतपंकेलंकेशरिपोनिपोष्यमासीनीत्वन्युररसोरभचर्चिततांबूला शशिशंपभोपाहि॥१॥चुचुकंसनपुरवतायैकरणकर्षतमकमातः॥सिं दूराचलवासिनिमामिहरामाभिधेपाहि॥१९॥६॥ लगासिनीत्यर्थः यहा। सिंदूराचल पासिनीरामक्षेत्रवासिनीतत्रत्याभूधरः सिंदूराचलनाम्मानिप्रसिद्धः कथंभूनंअर्भ स्तसन्मुरवतायैमातुश्बुकमुखस्याधोभागकरेणकर्षतंबालानांस्वभावएवैषम्यन्मानास्वसन्मु- // 8 खनपश्यनिचेत्स्वकरणस्वाभिमुरवीकरणंस्वाभिमुखीकर्तुंमुखस्यक्रियते॥१९॥ For Private And Personal Use Only

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