Book Title: Arya Shatak
Author(s): Mudgalacharya
Publisher: 

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Page 29
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मु-आ. 14 इदानींकिंबहुप्रार्थनयास्वामिभिसर्वथापालनीयवाहमिनिप्रार्थयति अपराधिनमिति हेरघूत्तंससी. रघुकुलभूषण अपराधिनमितिसंचर्मणप्रवृत्तीयथेरंप्रयोगन्यायसिइइतिवचनासंधमे पस धमितिअनेकधाप्रयोगइतिबोध्ययथासर्प सस्तिदसर्वथाअपराधिनमभकंबालंपालयेत्यत्रापि अपराधिनमपराधिनमपराधिनमकरयूत्तंसाापा लयपालयपालयजननिश्रीरामनार्थयुकिंचित्॥३७॥ पूर्ववत्संभ्रमेणैवजननिश्रीरामान्यत्किंचिन्नार्थयेनप्रार्थयामिअवजनकस्थानजननीतिपदमत्य तवात्सल्ययोननार्थम्॥३७॥इदानीमहमनाथइनिसनाथ तिवायतुंनशकोमात्याशयेनाह उचितमिति हेरामाहत्वयिनाथेसतिस्वामिनिविद्यमानअनाथइतिवचनंवतुंवदितमुचितमितियों 11 For Private And Personal Use Only

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