Book Title: Anitya Bhavna Author(s): Jugalkishor Mukhtar Publisher: Jain Granth Ratnakar Karyalay View full book textPage 6
________________ FREE Dance SAGE श्रीवीतरागाय नमः। अनित्यभावना। | অখীন श्रीपद्मनन्द्याचार्यकृत अनित्यपंचाशत् हिन्दी पद्यानुवादसहित। दोहा। गहि धनु धीरज हस्त निज, ले वैराग सुतीर । बैंच मोहरिपु जिन हतो, जयो योगिवर वीर ॥१॥ आर्या' छंद। जिनके वचन करुण भी, शरगण हो मोह शत्रु नाशनको। धैर्य धनुषधर योगी, सुभटनपति, जयहु सुजिनदेव ॥१॥ अनित्यपंचाशत् । जयति जिनोधृतिधनुषामिषुमाला भवति योगियोधाना। यद्वाकरुणामय्यपि मोहरिपुप्रहतये तीक्ष्णा ॥ १ ॥ यद्येकत्र दिने न भुक्तिरथवा १ इस छदके चारों चरणों में क्रमश १२, १८, १२, १५ मात्रा होती है। २दयामय ।Page Navigation
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