Book Title: Agam 42 Mool 03 Dashvaikalik Sutra Chayanika
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 50
________________ 74. सक्का सहेडं आसाए कंटया प्रमोमया उच्छहया नरेणं । प्रणासए जो उ सहेज्ज कंटए वईमए कण्णसरे, स पुज्जो ॥ 75. मुहत्तदुक्खा हु हवंति कंटया अप्रोमया, ते वि तमो सुउद्धरा । वायादुरुत्ताणि दुरुद्धराणि वेराणुबंधीणि महन्भयाणि ॥ 76. समावयंता वयणाभिघाया कणंगया दुम्मणियं जणंति । धम्मो ति किच्चा परमग्गसूरे जिईदिए जो सहई, स पुज्जो ॥ 77. प्रवण्णवायं च परम्मुहस्स पच्चक्खनो पडिणीयं च भासं । पोहारिणि अप्पियकारिणि च भासं न भासेज्ज सया, स पुज्जो ॥ 28 ] [ दशवकालिक

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