Book Title: Yatindravihar Digdarshan Part 01
Author(s): Yatindravijay
Publisher: Saudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh
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________________ (10) का पानी स्वच्छ और मधुर है। इस पहाड़ी की दो चोटी ( शिखर-शृंग ) हैं। नीचेकी सपाट चोटी पर अति मनोहर जिनमंदिर है, जिसमें तीर्थनायक भगवान श्रीसुमतिनाथ की भव्य और चमत्कारिणी मूर्ति बिराजमान है / कहा जाता है कि यह मन्दिर सं० 1381 में बना है। दूसरी शंकु आकृतिवाली चोटी पर चोमुखजी का मन्दिर है और पास ही में जिन-पादुका तथा अजितनाथ भगवान् की ध्यान भूमि है। नीचे की चोटी परके कूछ दूर ढालू प्रदेश पर एक मनोहर नया मन्दिर बना हुआ है, इसी में एक भूमिगृह भी है / इसका चढ़ाव पाव कोश से कुछ अधिक है और ऊपर तक पक्का रास्ता बंधा हुआ है / ___गाँव में भी एक दिव्य जिनमन्दिर है जिसमें मूलनायक भगवान् श्रीशान्तिनाथस्वामी की भव्य मूर्ति स्थापित है। तीर्थस्थान होने पर भी यहाँ के जैन भावुक, श्रद्धालु और साधु साध्वियों की भक्ति करनेवाले हैं / यहाँ भी यात्री ठहर कर सिद्धगिरि के समान 99 यात्रा करते हैं / यहाँ का जल-वायु बहुत ही शुद्ध और निरोगी है। 4. देवलां. यहाँ श्वेताम्बरजैन के दो घर और एक जिन-मन्दिर है / यहाँ उतरने के लिये गृहस्थों के मकान सिवाय दूसरा कोई ठिकाना नहीं है / मंदिर मूर्ति छोटी, पर सुन्दर है। 41 ठासेज यह छोटा गाँव है, इसमें श्वेताम्वरजैनों के 4 घर हैं जो