Book Title: Yatindravihar Digdarshan Part 01
Author(s): Yatindravijay
Publisher: Saudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh
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________________ (18) मैदान में ) एक दूसरा शिखरवाला छोटा मन्दिर है जो प्राचीन और महावीरप्रभु का माना जाता है / पेश्तर इसमें महावीर भगवान् की प्रतिमा स्थापित थी, परन्तु उसके अलोप ( गुम ) हो जाने से मूलनायक श्रीपार्श्वनाथ, और दोनों बाजू नेमनाथ तथा नमिनाथजी की प्रतिमा श्रीधनचन्द्रसूरिजी के उपदेश से विराजमान की गई हैं। इसके भीतरी प्रवेशद्वार के बांये तरफ जने समय का शिला-लेख लगा है कि-- संवत् 1669 वर्षे वैशाखबदि 13 दिने शमदानगरे समस्तसंघेन श्रीमहावीरचैत्यं कारापित, तेलहरागोत्रे शाह खेता शा० धाडसी समेन बृहच्छीखरतरगच्छे युगप्रधानश्रीजिनचन्द्रसूर्यादेशेन पंडितराज-प्रमोदगणिवराणां शिष्यनन्दिजयेन ... यहाँ से पूर्वोत्तर 'पालासण' नामक छोटा गाँव है, जिसमें ओसवाल त्रिस्तुतिकजैनों के 31 घर हैं, जो भावुक और श्रद्धालु हैं। यहाँ एक शिखरबद्ध मन्दिर है जो अप्रतिष्ठित है और इसकी प्रतिमाएँ सायला के गाँववाले मन्दिर में रक्खी हुई हैं / 167 चोराऊ__गाँव छोटा, पर भावुक है, यहाँ मोसवालजैनों के 34 पर और एक छोटी धर्मशाला है / यहाँ पर जिन मन्दिर नहीं हैं, पर अब एक गृहमन्दिर बनवाना शुरू किया गया है। 168 भांडवा