Book Title: Vinit Kosh
Author(s): Gopaldas Jivabhai Patel
Publisher: Gujarat Vidyapith Ahmedabad
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अस्तम्
अस्तम् अ० घेर (२) अस्ताचळ उपर ( ३ ) दूर थाय के अंत आवे तेम अस्तमित वि० आथमी गयेलुं; अंत आव्यो होय तेवुं ; दूर थयुं होय तेबुं अस्तरुषु वि० जेनो क्रोध शांत थयो छे तेबुं [ वीखरायेलुं अस्तव्यस्त वि० वेरणछेरण; आमतेम अस्तशिखर पुं० अस्ताचळनी टोच अस्तसमय पुं० आथमवानी वेळा (२) आखरी घडी.
अस्तसंख्य वि० असंख्य अस्त्रग्राम पुं० हथियारोनो ढगलो-समूह अस्त्रभृत् पुं० अस्त्र फेंकनारो; अस्त्रधारी अस्त्रयंत्र न० एक प्रकारनुं अस्त्र अस्त्रवेद पुं० अस्त्र फेंकवानी विद्या अस्त्रिन् वि० अस्त्र वडे लडतुं; अस्त्रधारी अस्थायिन् वि० कायमी नहीं तेवु; नाशवंत
अस्थास्तु वि० अधीरुं अस्थिबंधन न० स्नायु [ अत्यंत कठोर अस्थिभेदिन् वि० हाडकाने भेदे तेवुं - अस्थिस्नेह पुं० मज्जा अस्नेहदीपन्यायः जुओ पृ० ६३१ अस्पृष्ट वि० स्पर्श कर्या विनानुं ( २ ) ( शब्दथी ) उल्लेखित नहि तेवुं अत्र पुं० खूणो
अस्वर वि० खराब अवाजवाळु ( २ ) अस्पष्ट के धीमा अवाजवाळु अस्वाधीन वि० अस्वतंत्र; पराधीन अहरादि पुं० परोढ; सवार अहदिवम् अ० दररोज ; दिवसे दिवसे अहल्या स्त्री० जुओ पृ० ५९८ अहंजुषु वि० पोतानो ज विचार करना अहं पूर्व वि० प्रथम होवानी इच्छावाळं अहं वि० अहंकारी; स्वार्थी अहंवादिन् वि० पोताने विषे ज कहेतुं ; अहंकारी [ तेवुं होवापणुं अहार्यत्व न० कोई हरी जई न शके
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अंतरय
अहिकुंडलन्यायः पुं० जुओ पृ० ६३१ अहिच्छत्रा स्त्री० जुओ पृ० ५९८ अहितहित न० सारं नरसुं अहिमदीधिति, अहिममयूख, अहिमरोचिस् पुं० सूर्य [ शून्यमनस्क अहृदय वि० हृदय विनानुं ( २ ) बेध्यान; अहेतु वि० निष्कारण; कृत्रिम नहि तेवुं; स्वाभाविक
अह्न पुं० दिवस ( ' अहन् 'नुं समासमा थतुं एक रूप; जेमके, 'मध्याह्न' ) अही वि० निर्लज्ज (२) स्त्री ० निर्लज्जता अंकुशग्रह पुं० ( हाथीनो) महावत अंगद पुं० जुओ पृ० ५९९ अंग संहति स्त्री० शरीरनो बांधो ; शरीरनी सुरेखता [ राजा - - कर्ण अंगाधिप, अंगाधीश पुं० अंगदेशनो अंगारिन् वि० वेचवा माटे कोलसा तैयार करनारं अंगिरस पुं० जुओ पृ० ५९९ अंगुलित्र, अंगुलित्राण न० बाणावळीओ पछी आंगळीने बचाववा पहेरे छे ते खोळी [ कदनुं अंगुष्ठमात्र वि० अंगूठा जेटलं; तेटला अंघो अ० गुस्सो के दिलगीरी बतावनार उद्गार [वाळी स्त्री अंचित स्त्री० वांकी के सुंदर भमरोअंजना स्त्री० जुओ पृ० ५९९ अंजलिक पुं० अर्जुनना एक बाणनुं नाम (२) उंदरना मुखना आकारनुं बाण अंजलिकर्मन् न० हाथ जोडवा ते; नम्रताथी नमस्कार करवा ते अंजलिका स्त्री० नानी उंदरडी अंजलिकावेध पुं० युद्धनो एक व्यूह अंडक न० नानुं ईंडु (२) घूमट अंतरज्ञ वि० रहस्य के तत्त्व जाणनारं; डा. ; शाणुं ( २ ) अगमचेतीवाळु अंतरतस् अ० अंदर; वचमां अंतरय पुं० अंतराय
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