Book Title: Vinit Kosh
Author(s): Gopaldas Jivabhai Patel
Publisher: Gujarat Vidyapith Ahmedabad

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Page 668
________________ अवृथार्थ ६५४ अष्ठीला अवृथार्थ वि० सफळ; निरर्थक नहि अभाव (२) जेठ अने अषाढ महिना तेवं [योग्य (चालता होवा ते) अवेक्षणीय वि० आदरणीय; विचारवा अशन्य न० खाली न होवू ते (२) अवेक्षमाण वि० जोतुं; निहाळतुं एकलुं न रहे माटे साथे मोकलवानुं ते अवेक्षा स्त्री० जोवू ते; निहाळवू ते अशेषयति प. संपूर्ण रीते पूरं करवू (२) लक्ष; काळजी अशोकवनिका स्त्री० अशोकवृक्षोनी अवेदनाज्ञ वि० पीडा नहि जाणनाएं वाटिका के उपवन अव्यक्तमति वि० जेनुं स्वरूप प्रगट अशोकवनिकान्यायः जुओ पृ० ६३० के स्पष्ट नथी तेवू अश्नीतपिबता स्त्री० खानपान माटे अव्यक्तादि वि० जेनो आरंभ अप्रगट (उजाणीमां) आमंत्रण छे एवं; जेनी पूर्वनी स्थिति जोई अश्मक पुं० जुओ पुं० ५९८ शकाती नथी एवं अश्मकाः पुं० ब० व० ते देशना लोको अव्यक्तिक वि० अव्यक्त; अप्रगट । अश्मकुट्ट, अश्मकुट्टक पुं० वानप्रस्थ अव्यथिन् वि० वेदना के पीडाथी अश्मलोष्टन्यायः जओ प०६३० रहित (२) पीडा न करतुं (३) अश्रुति वि० कान विनानुं (२) पुं० भयरहित; निर्भय साप (३) स्त्री० न सांभळवू ते; अव्यपेक्षा स्त्री०असावधानता; बेकाळजी विस्मृति अव्ययात्मन् वि० अविनाशी; नित्य अश्रुपूर्ण वि० आंसु भरेलु स्वरूपवाळू (२) पुं० आत्मा अश्रुमुख वि० आंसु रेलावतुं अव्याक्षेप पुं० विलंब के मूंझवणनो अश्वकर्णक पुं० एक वृक्ष; साग अभाव अश्वचर्या स्त्री० घोडाओनी संभाळ अव्याहृत न० मौन [अविच्छिन्न अश्वतीर्थ न० गंगा नदीने किनारे अव्युच्छिन्न वि० सतत - चालु एवं; कान्यकुब्ज नजीक आवेलुं एक तीर्थ अवत वि० धार्मिक विधि के विधान अश्वत्थामन् पुं० जुओ पृ० ५९८ न पाळतुं होय एवं अश्वपति पुं० जुओ पृ० ५९८ । अशकुन पुं०, न० अपशुकन अश्वमेधिक वि० अश्वमेध माटे योग्य; अशकुनीभू अपशुकन बनी रहेQ। अश्वमेध संबंधो अशम् अ० कल्याणकर न होय तेम अश्ववाजिन वि० घोडानी शक्तिवाळू अशस्त्र न० जे शस्त्र नथी ते (रणमां अश्ववार पुं० अश्वपाल; घोडानी शस्त्रथी थयेलं मरण यशस्वी गणाय) देखरेख राखनारो अशांत वि० शांति विनानु; जंप विनानुं अश्विनीकुमार जुओ पृ० ५९८ अशिथिल वि० ढीलं नहि तेवू; दृढ अश्वीय वि० अश्व संबंधी (२) न० (२) असरकारक; खातरीवाळ घोडाओनो समूह अशिरस्क वि० मस्तक विनानुं अष्टपादिका स्त्री० एक फूल-वेल अशिशिररश्मि पुं० सूर्य अष्टादशन् वि० अढार अशीतल वि० गरम ; उष्ण । अष्टावक्र पुं० जुओ पृ० ५९८ अशीतिभाग पुं० एंशीमो भाग अष्टाशीति स्त्री इठ्याशी अशुचिता स्त्री० गंदकी; स्वच्छतानो अष्ठीला स्त्री० गोळ पथ्थर Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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