Book Title: Vasant Vilas Fagu
Author(s): Madhusudan Chimanlal Modi
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur

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Page 55
________________ पथ ७३-७७.] वसंतविलास [३५] इम देखीय वनसंपइ कंपइ विरहिणीसाथु। . आंसूए नयण निशां भरइं सांभरइं जिम जिम नाथु॥ ७३ अङ्गानि निर्दहतु नाम वियोगवतिः । संरक्ष्यतां प्रियतमो हृदयस्थितो मे। इत्याशया शशिमुखी गलदश्रुवारि धाराभिरामनिशं कुरुते कुचाग्रम् ।। ७४ ___[३८] विरहि करालीय बालीय फालीय चोलीय चंगु । विषय गणइ तृण तोलइ बोलइ ते बहु भंगु॥ ७५ पीयूषं विषवद् विसं विशिखवत् पङ्केरुहं शकुवद् वेश्मान्तर्वनवन सदैव मनुते शृङ्गारमङ्गारवत् । किं चान्यत् सुभग त्वदीयविरहे न क्यापि धत्ते धृति . ____ पर्यङ्केऽपि न भूतलेऽपि न गृहारामेऽपि न प्रेयसी ॥ . ७६ [३९] रहि रहि तोरीय जो इलि कोइलि सिउं वास। नाहलउ अजीयन,आवह भावह मंन विलास ॥ ७७ . 73. a. क. देषी अम वन संपए कंपए विरहणी साथ; ख विरहिणि; ग, देषीभ इम वनसंपद ए कंपई ए विरहणी साथ. घ. देषी; साथ b. क. निशा; सामरई जिम २ नाथ; ख. आंसूअ; ग आंसूए नयण निशां भरइ सांभर जिम २ नाथ. घ भरि for भरई; सांभरई जिम जिम नाथ घ has.OG verse : No. 35. 74. क, ख, ग have the same Sk. verse in common; while घ has रात्रिः कल्पशायते etc., which is verse 78-printed text. 75. a. क. विरह करालीअ यालीय फालीअ चोलीअ चंगुः ख. विरहि फरालीय फालीय वासीय घोलीय अगु; ग विरहकराजीअ बालीअ फालीभ चोलीम चंगु; घ. विरहकरालीय; फालीय .. चोलीय चंग. In घ .Ms. this ou. verse is No. 36. b. क विषइ गिणइ; ख... भंग; ग. तोलइ ए वोलइ ए ते सहू भंग; घ. बहु भग. 76. क, ख, ग have this verse in common; while घ has also . this verse, Sk. verse : No. 36. 77. a. तोरीभ जो अलि कोअलि स्यु बहु वास; ख. रहि २; स्यु for सिउं; ग. तोरी for तोरयः स्युः घ. कोइलि सिउं बहु वास. b. क. नाहल उ अगीभ न आवइ:- ग. नाइल अजीअ न आवए भावए मू न विलास; घ. नाहु अनी नवि आवए भावए मूं न विलास, Ms. घ has this oG. verse : No. 37. :

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