Book Title: Uttaradhyayan Sutram Part 01
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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उत्तराभ्ययनरत्र , मानुपत्व दुर्लभमित्या दश दृष्टान्ताः पदयन्ते, तद् यया-चोलकः १, पाशक: २, धान्य ३, घृत ४, रत्न ५, स्वप्नः ६, चक्र ७, कूमः ८, युग ९, परमाणुः १०।
अथ प्रथमथोल्लाहप्टान्तः-चोल्लको भोजन तदुपलसितो दृष्टान्तः पोच्यते
काम्पिल्यनगरे नमनामको नृपतिरासीद, तस्य भार्या चुलनीनाम्नी, पुत्रो ब्रह्मदत्तनामकः । तस्मिन् नामनृपती मृते सति तत्पुत्रस्य ब्रह्मदत्तस्य वाल्यावस्था विलोक्य नमनपसुहृद् दीर्घपृष्ठनामो नृपस्तद्राज्य रक्षति। तदनन्तर स नहीं हो सकता है उसी तरह इन मानुपत्व आदि चार अगों की प्राप्ति हुए विना मुक्ति की प्राप्ति जीव को नहीं हो सकती है।
"मानुपत्व दुर्लभ" मनुष्यपन की प्राप्ति महादुर्लभ है, इस विषय में दश दृष्टान्त कहे जाते है, जैसे-चोल्लक १, पाशक २, धान्य ३, धूत ४, रत्न ५, स्वप्न ६, चक्र ७, कूर्म ८, युग ९ परमाणु १०। ,
चोल्लक नाम भोजनका है। इससे उपलक्षित होनेसे चोल्लक को भी दृष्टान्त कह दिया गया है। यह प्रथम चोल्लकदृष्टान्त इस प्रकार है। कापिल्य नगर मे ब्रह्म नाम का राजा या । इसकी स्त्री का नाम चुलनी और पुत्र का नाम ब्रह्मदत्त था। राजा ब्रह्म के काल प्राप्त हो जाने के बाद ब्रह्मदत्त की बाल अवस्था देखकर "राज्य में अव्यवस्था न फैल जाय" इस दृष्टि से राजा ब्रह्म के मित्र दीर्घपृष्ठ नाम के राजा ने उसके राज्य को सभाल लिया । जय कुछ समय व्यतीत हो गया થઈ શકતું નથી, એજ રીતે આ માનુષત્વ આદિ ચાર અગોની પ્રાપ્તિ થયા વિના મુકિતની પ્રાપ્તિ જીવને થઈ શકતી નથી
मानुपत्व दुर्लभ मनुष्यानी प्रारित महान , 41 विषयमा ४० દwાત કહેવામાં આવે છે જેમ ચૌલક ૧, પાશક ૨, ધાન્ય ૩, ઘત ૪, २न ५, ६, ७, ८, युग ६, ५२भार १०
ચેલક નામ ભજનનુ છે એથી ઉપલક્ષિત થવાથી ચૌલકનુ પણ દુષ્ટાત કહેવામાં આવેલ છે આ પ્રથમ ચૌલાદછાત આ પ્રકારનું છે –
કાપિલ્ય નગરમાં બ્રહ્મનામને રાજા હતા તેની સ્ત્રીનું નામ ચુલની અને પુત્રનું નામ બ્રહ્મદત્ત હતુ રાજા બ્રહ્મની કાળપ્રાપ્તિ પછી, બ્રહ્માની બાળ અવસ્થા જોઈને રાજ્યમાં અવ્યવસ્થા ન ફેલાઈ જાય” આ દષ્ટીથી રાજા બ્રહ્મના મિત્ર દિર્ઘપૃષ્ટ નામના રાજાએ તેના રાજ્યને સભાળી यो