Book Title: Terapanth Maryada Aur Vyavastha
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya, Madhukarmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati
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सूंखड़ी खावा रा त्याग छै। अनंता सिद्धां री साख करी नै छै। बलै टोळा मांहे उपगरण करै ते, पड़त पाना लिखे जाचे ते साथे ले जावा रा त्याग छै। एक बोदो चोलपटो, एक बोदी पिछेवड़ी, बोदा रजूहरणां उपरंत साथे ले जावण रा त्याग छै, उपगरण टोळा री नेश्राय साधां रा छै। ए मरजादा पाळे ते पिण लाजवंत कहीजे। कर्म जोगे गण सूं टळे तो ही अवर्णवाद न बोले। गण सूं सनमुख रहे, सासण रा गुण गावे, तो ही कर्मां सूं भारी न हुवै। गण माहे तो गुणवांन पुन्यवांन विवेकवान हुवै सो आग्या प्रमाणे सदा रहे अनै कळा चतुराइ विनयादिक करी सतगुर नै रीझावे। तथा भीखणजी स्वामी पिण विनीत अवनीत री चोपी में अनेक बातां कही। ते ढाळ१ 'पाळे गुर री निरंतर आगन्यां,कनै राख्या हुवै हरष अपार जी। बलै वरते गुर री अंगचेष्टा, तिण सफल कियो अवतार जी।।
श्री वीर वखांण्यो वनीत नै॥धुपदं ।। २ जिण अभितर छोड़ी कषाय नै, नहीं मुख तणो लबाळ।
एहवा गुर समीपे रह्या थकां, छता गुण दीपे रसाळ।। तिण नै करड़े काठे वचनै करी, गुर सीख देवे किण वार। तो उ खिम्या करै धर्म जाण नै, पिण नांणे क्रोध लिगार।। सुकमाळ कठोर वचने करी, गुर दीधी सीखामण मोय। सुवनीत हुवै ते इम चिंतवे, मोने हेत रो कारण होय।। बलै उपधादिक नौ जाचवो, इत्यादिक काम अनेक।
बलै देवो लेवो और साध नै, गुर आज्ञा बिनां न करै एक ६ उपवास बेलादिक तप करै, करै रसादिक परिहार।
ते पिण न करै गुरु आगन्यां विनां, बलै संलेखणा संथार।।
करै व्यावच और साध नी, और पास करावै आप। ___ . ते पिण गुरु आगन्यां विनां, एहवी जिन सासण री थाप॥
अंसमात्र करणो करावणों, ते पिण आगन्यां ले सुवनीत। सर्व कार्य में लेणी आगन्यां, एहवी बांधी छै अरिहंत रीत।। सुवनीत टोळा में रह्यां थकां, ते तो सगळां नै गमतो होय।
ओर साधां साथे मेळ्यां थकां, तिण नै पाछो न ठेले कोय॥ १० आत्मा दम इन्द्रयां वस करै, उपजावे साधां नै परतीत ।
बलै लोक बतावे आंगुली, एहवो न करै काम वनीत ।। ११ विनीत सूं गुर प्रश्न हुवै, आपै ज्ञान अमूल।
तिण सूं सिव-रमणी वेगी वरे, रहै सासता सूख में झूल॥ १. लय : आ तो माठी रे गति छै नार नी। २. अमूल्य २८० तेरापंथ : मर्यादा और व्यवस्था