Book Title: Stotra Granth Samucchaya
Author(s): Trailokyamandanvijay
Publisher: Jain Granth Prakashan Samiti
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प्राकृतस्तोत्रप्रकाशः
२२५
भयमेहुणसण्णाओ, मुच्छासण्णा य साहणचउक्का ॥ इय० ॥५८॥ उयहितरगकामजला, विविहा कुंभा तहेव चत्तारि ॥ इय० ॥५९।। कुंभनिदंसणजोगा, पुरिसा चत्तारि कम्मुणो भेया । इय० ॥६०।। संघो बुद्धी चउहा, चउप्पयारा दुहा मई जीवा ॥ इय० ॥६१।। दसणभेया चउहा, जीवा णिहिला तहेव चत्तारि ॥ इय० ॥६२॥ चउआगइगइवंता, पंचिंदियभाविया य तिरिमणुया ॥ इय० ॥६३।। नासेज्जा संतगुणे, चउकारणसेवणेण दीवेज्जा ॥ इय० ॥६४॥ सव्वेसि देहीणं, देहुप्पत्ती य कारणचउक्का ॥ इय० ॥६५॥ चत्तारि धम्मदारा, चत्तारि निबंधणाइ आऊणं ॥ इय० ॥६६।। चत्तारि पुण्णमल्ला, गेयालंकारनट्टवज्जाइ ॥ इय० ॥६७॥ अहिणयकव्वं चउहा, गब्भा उदगस्स होज्ज नारीओ ॥ इय० ॥६८।। तइयचउत्थे सग्गे, देवविमाणा य होज्ज चउवण्णा ॥ इय० ॥६९|| अट्ठमसत्तमसग्गे, मूलंगं करचउक्कपरिमाणं ॥ इय० ॥७०।। चत्तारि चूलवत्थू, पढमे पुब्वे तहेव आवत्ता ॥ इय० ॥७१।। चत्तारि समुग्घाया, नेरइयाईण होज्ज जीवाणं । इय० ॥७२।। चउसय चोद्दसपुव्वी, सिरिणेमिपहुस्स बंभयारिस्स ॥ इय० ॥७३॥ चउसयवरवाइगणो, सासणणायगजिणेसवीरस्स ॥ इय० ॥७४।। चत्तारि महाकप्पा, हेट्ठिल्ला अद्धचंदसंठाणा ॥ इय० ॥७५।। चत्तारि महाकप्पा, मज्झिल्ला पुण्णचंदसंठाणा | इय० ॥७६।। पुवरिल्ला चत्तारि, कप्पा णेया जहेव हेट्ठिल्ला । इय० ॥७७।। पत्तेयरसा उयही, चत्तारि चउप्पएसिया खंधा । इय० ॥७८।। पढमाए पुहवीए, चउपल्लाऊ पहूयनिरयाणं ॥ इय० ॥७९॥ बहुनिरयाणं तइए, चउसागरजीवियं निरयवासे ॥ इय० ॥८०॥ चउपल्लाउयदेवा, होज्ज पहूया इहाइकप्पदुगे । इय० ॥८१॥ तइयचउत्थे सग्गे, चउसागरजीविया पहूयसुरा ॥ इय० ॥८२॥ किट्ठिप्पमुहुप्पण्णा, चउसागरजीविया सुरा होज्जा ॥ इय० ॥८३।। ते आणमंति नियमा, चउपक्खवइक्कमेण दिव्वसुरा || इय० ॥८४|| आहारेच्छा तेसिं, चउवाससहस्सवुत्तववहाणा ॥ इय० ॥८५॥ अत्थेगइया जीवा, चउभवगहणेण निव्वुया होज्जा ॥ इय० ॥८६।। महुसुक्कपंचमीए, कयजोगनिरोहपत्तवरमुत्तिं । अट्ठपहाणगुणटुं, वंदे सिरिसंभवाहीसं ॥८७।। जिणपडिमा जिणतुल्ला, भावुल्लासप्पयाइणी समया । पच्चक्खऽरिहंताणं, पच्चयसंपायणे दक्खा ॥८८॥

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