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आठवां परिच्छेदः - कनकवती परिणय
कनकवती का प्रथम भव तीसरा भव
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( नल दमयन्ती चरित्र) कनकवती का सातवां भव
नवां परिच्छेद
चौथा, पांचवा, और छठा भव
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वसुदेव के अद्भुत चातुर्य वसुदेव की कला निपुणता एक का वियोग दूसरी का संयोग वसुदेव की अध्यात्म चर्चा ललित श्री से विवाह
दसवां परिच्छेद:
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रोहिणी स्वयंवर
वसुदेव का रोहणी का वरण तथा युद्ध भ्रातृ मिलन और गृहागमन
ग्यारहवां परिच्छेद -
महाभारत नायक बलभद्र और श्री कृष्ण
वलराम जन्म देवकी विवाह
अद्भुत घटना
कृष्ण-बलदेव का पूर्व भव
श्री कृष्ण जन्म
नेमिनाथ जन्म बारहवां परिच्छेद - महाराणी गंगा
गांगेय कुमार की भीष्म प्रतिज्ञा
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१८५-२१६
१८५
२००
२०१
२८३
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२१६
२१७-२२६
२१७
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२३०-२४४
२३०
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२३३
२४१
२४५ - २६६
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२२०
२२३
२२४
२२७
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२७०-२६३
२१०
२४५
२४५
२४७
२५१
२५४
२५६
२६५
२७५
२८१