Book Title: Shreemannagpuriya Tapagachhani Pattavali Author(s): Jain Yuvak Mandal Publisher: Jain Yuvak Mandal View full book textPage 2
________________ श्वेतपद्मासना देवी श्वेतपद्मोपशोगिता श्वेताम्बरधरा देवी श्वेतगन्धानुलेपना। अर्चिता मुनिभिः सर्वै रुषिनिस्तूयते सदा एवं ध्यात्वा सदा देवीं वांनित लगते नरः ॥१॥ उदयशिखरिचन्ताः सहचोंजोधिचन्ताः सुकृतकुमुदचन्द्रा धान्तविधंसचन्द्राः । कुमतनलिनचन्द्राः कीर्तिविख्यातचन्द्राः प्रमदजननचन्द्राः श्रेयसे पार्श्वचन्द्राः श्रेयसे भ्रातृचन्द्राः ॥१॥ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.comPage Navigation
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