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द्वितीयकाण्डम्
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नगरवर्गः २
airat स्त्री कुंचिका कुची कुंजिकोद्घाटनीति च देहल्यै दुम्बरोऽपिस्याद् गृहावग्रहणी तु या || १५॥ स्तम्भादूर्ध्वमधस्ताद्वा दारुनासौ शिलमता । गोपानेसी च वलभी छादने वक्रदारुणि ॥ १६ ॥ fasisस्त्री स्त्रीकपोत पाली पारावतालये । attrai पटल प्रान्तेऽथो पलं छदिः ||१७|| प्राणः प्रघणोऽलिन्दो बाह्ये द्वारप्रकोष्ठके ।
दो नाम - कपाट १ अरर २ नपुं० । ( ८ ) ताला के तोन नामताल १, तालिका २, ताला ३ स्त्रो० । (९) खोलने की क्रिया के दो नाम -माचन १ उद्घाटन २ नपुं० । (१०) कुञ्जी के पांच नाम - च्यावी १ क्रुचिका २ कुंची ३ कुंचिका ४ उद्घाटिनी ५ स्त्रो० । (११) देहली के तीन नाम - देहली १ गृहावग्रहणी २ स्त्री०, उदुम्बर ३ पु० । (१२) खंभे के ऊपर तथा नीचे रक्खीं गई लकड़ी का क्रमशः एक एक नाम - नासा, शिला स्त्र1० ।
हिन्दी - ( १ ) छज्जा ( जिससे मकान पाटा गया हो उस लकड़ो के) के दो नाम - गोपानसी ? वलभी (वलभि) २ स्त्री० । (२) कबूतर खाना के तीन नाम - विटंक १ अस्त्री०, कपोतपालो २ स्त्री०, पारावतालय (३) पु० ३ पटल के किनारे के दो नाम - नीघ्र १ नपुं०, वलोक २ पुं० नपुं०, (४) गृह का आच्छादन (छप्पर छौनी) का दो नाम-पटल १ त्रिलिङ्ग, छदि २ पुं० (५) द्वारेले बाहिर द्वार चौकी के तीन नाम प्रघाण १ प्रघण २ अलिन्द ३ पुं०, (६) बाहिर की चोको अथवा यज्ञवेदी के दो नाम-वेदिका
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