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(७६) माटे ग्रहण थाय छे ते बीजो पिडित संग्रहनय कहीए.
३ जे अनेक जीवरुप अनेक व्यक्ति छे ते सर्वमां पामीए, जेम " सञ्चिन्मय आत्मा" एटले सर्व जीव तथा सर्व प्रदेश अने सर्व गुण ते जीवनां लक्षण छे. ते अनुगम संग्रह नय कहीए.
४ जेना ना कहेवाथी तेनाथी इतरनो सर्व संग्रहपणे ज्ञान थाय ते जेम अजीव छे तेवारे जे जीव नहीं ते, अजीव कहीए. एटले कोइक जीव छे एम व्यतिरेक वचने ठो. तथा उपयोगे जीवनो संग्रह थाय छे, ते व्यतिरेक संग्रह कहीए. ___एक नाम लीधाथी सर्व गुण पर्याय परिवार सहीत आवे ते संग्रहनय जाणवो.
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