Book Title: Shaddarshan Samucchaya
Author(s): Damodar Pandit
Publisher: Chaukhamba Sanskrit Series Office

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Page 84
________________ वेदान्तपरिभाषा सटिपण 'श्रर्थदीपिका' टीका सहित महामनीषी श्री शिवदत्त कृत 'अर्थदीपिका' टीका के साथ २ वेदान्ताचार्य पं० त्र्यम्बकराम शास्त्री विरचित सुविस्तृत टिप्पणी हो जाने से इसका प्रथम तथा द्वितीय संस्करण भी हाथों हाथ विक गया । इस बार यह तृतीय संस्करण और भी अधिक सुन्दर छपा है । मूल्य २) वेदान्तसारः 'भावबोधिनी' संस्कृत-हिन्दी व्याख्या 'समालोचना' सहित टीकाकार - पं० रामशरण शास्त्री एम० ए०, संस्कृत-हिन्दी प्राध्यापक — के० जी० के० कालेज, मुरादाबाद - शाङ्कर वेदान्त का यह प्रन्थ लघु होने पर भी सभी प्रान्तों की संस्कृत तथा अंगरेजी परीक्षाओं में पाठ्य निर्धारित है । अतः नवीन शिक्षा पद्धति के अनुरूप मूल ग्रन्थ के वाक्यों को खण्ड-खण्ड करके उसकी सरल सुबोध संस्कृत तथा हिन्दी व्याख्या कर दी गयी है । व्याख्या के नीचे सर्वत्र टिप्पणी के रूप में ग्रन्थ के गूढ़ भावों का विवेचन करके तदनुकूल हिन्दी व्याख्या में उसका भी भाष्य कर दिया गया है तथा अज्ञान ( माया ), अध्यारोप, तत्त्वमसि श्रहं ब्रह्मास्मि इत्यादि स्थल इतने विस्तार एवं सरलतापूर्वक लिखे गये हैं कि साधारण से साधारण छात्र के लिये भी यह प्रन्थ अत्यन्त सुबोध हृदयंगम करने योग्य हो गया है। इस संस्करण की समालोचनात्मक विस्तृत भूमिका भी अध्ययन करने योग्य है । प्रन्थ के अन्त में अनेक विश्वविद्यालयों के प्रश्न पत्र भी दिये गये हैं । मूल्य अत्यल्प १॥ ). " रामानुज - वेदान्तसारः श्री सुदर्शनाचार्यकृत 'अधिकरणसारावली' सहित रामानुज वेदान्त के प्रकाण्ड विद्वान् श्राचार्य श्री रामदुलारे शास्त्री कृत पाद-टिप्पणी से परिष्कृत यह अभिनव संस्करण बहुत ही शुद्ध और सुन्दर छपा है | २|| ) प्राप्तिस्थानम् — चौखम्बा संस्कृत पुस्तकालय, बनारस - १

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