Book Title: Sanskrit Jain Nitya Path Sangraha
Author(s): Pannalal Baklival
Publisher: Bharatiya Jain Siddhant Prakashini Sanstha

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Page 143
________________ मोतशास्त्रम .. ६१३७ तोणुमहती॥२॥ तत्स्थैर्यार्थ भावनाः पंच पंच ॥३॥वाङ्मनोगुप्तीर्यादाननिक्षेपणसमित्यालोकितपानभोजनानि पंच ॥४॥क्रोषलोमभीरुत्वहास्यप्रत्याख्यानान्यनुवीचिभाषणं च पंच ॥५॥ शून्यागारविमोचितावासपरोपरोधाकरणभैक्ष्यः शुद्धिसद्धर्माविसंवादाः पंच ॥६॥ स्त्रीरागकथाश्रवणतन्मनोहरांगनिरीक्षणपूर्वरतानुस्मरणवृष्येष्टरसखशरीरसंस्कारत्यागाः पंच ॥ ७॥ मनोज्ञामनोजेंद्रियविषयरांगद्वेषवर्जनानि 'पंच॥ ॥ हिंसादिष्विहामुत्रापायावद्यदर्शनं ॥९॥ दुःखमेव

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